केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत, ब्रिटेन के बीच चिकित्सा उत्पाद विनियमन क्षेत्र में सहयोग को मंजूरी दी


इस समझौता ज्ञापन से दोनों पक्षों के बीच विनियामक संबंधी विषयों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी और यह चिकित्सा उत्पादों के विनियमन क्षेत्र में सहयोग में वृद्धि तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर समन्वय में मदद कर सकता है।


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नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत के केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और ब्रिटेन की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य देखभाल उत्पादन विनियामक एजेंसी (यूके एमएचआरए) के बीच चिकित्सा उत्पादों के विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन को मंजूरी दे दी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इसे मंजूरी दी। एक आधिकारिक बयान में इसकी जानकारी दी गई।

बयान के मुताबिक इस समझौते से दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों के अनुरूप चिकित्सा उत्पाद विनियमन संबंधी मामलों में सार्थक सहयोग और सीडीएससीओ और यूके एमएचआरए के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान में मदद मिलेगी।

इस समझौते के तहत दोनों विनियामक प्राधिकरणों के बीच फार्मा के क्षेत्र में सतर्कता (फार्माकोविजिलेंस) सुरक्षा संबंधी जानकारी का आदान-प्रदान, भारत और ब्रिटेन की ओर से आयोजित की जाने वाली वैज्ञानिक एवं प्रयोगात्मक बैठकें, सम्मेलन, सेमिनार आदि में सहभागिता शामिल है।

बेहतर प्रयोगात्मक विधियों (जीएलपी), बेहतर चिकित्सा संबंधी पद्धतियों (जीसीपी), बेहतर विनिर्माण विधियों (जीएमपी), बेहतर वितरण विधियों (जीडीपी) और बेहतर फार्मा निगरानी संबंधी विधियों (जीपीवीपी) के क्षेत्र में सहयोग और सूचनाओं का आदान-प्रदान भी इस सहयोग का हिस्सा होगा।

इस समझौते में आपसी सहमति वाले क्षेत्रों में क्षमता निर्माण, प्रत्येक पक्ष के विनियामक ढांचे के बीच आपसी समझ को बढ़ावा देना, आवश्यकताओं एवं विधियों पर ध्यान देना और दोनों पक्षों के बीच भविष्य में विनियमन को मजबूती प्रदान करना भी शामिल है।

बयान में कहा गया कि औषधियों और चिकित्सा उपकरणों के संबंध में कानूनों और विनियमनों के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान तथा गैर-लाइसेंसी आयात एवं निर्यात पर नियंत्रण को समर्थन देने के लिए जानकारी का आदान-प्रदान भी समझौता ज्ञापन का हिस्सा है।

इस समझौता ज्ञापन से दोनों पक्षों के बीच विनियामक संबंधी विषयों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी और यह चिकित्सा उत्पादों के विनियमन क्षेत्र में सहयोग में वृद्धि तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर समन्वय में मदद कर सकता है।