आज 16 अक्टूबर यानी विश्व खाद्य दिवस है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन की ओर से अन्नों की कम बर्बादी, पोषणयुक्त आहार, खाद्य सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के कम इस्तेमाल के लिए इस दिन पहल और अपील की जाती है।
इस साल खाद्य दिवस की थीम- ग्रो, नरिस, सस्टेन, टूगेदर, आवर एक्शन आर आवर फ्यूचर है यानी वृद्धि करें, पोषण करें, बने रहें, साथ रहें और हमारे क्रिया-कलाप ही हमारे भविष्य हैं।
ट्वीटर पर विश्व खाद्य दिवस को लेकर कई तरह के अपील सामने आएं। लोगों और संगठनों ने यहां खाद्य पदार्थों की बर्बादी रोकने और भूखमरी से जुझ रहे लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के अपने पहलों को भी साझा किया।
खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने ‘फूड हिरोज’ को लेकर ट्वीट किया और इस पर लोगों ने ट्वीट कर अपने समुदाय के हिरो के बारे में लिखना शुरू किया। कुछ लोगों ने किसान, समाजसेवियों और संस्थाओं का जिक्र कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया।
This #WorldFoodDay, we are celebrating our #FoodHeroes!
👩🏻🌾Farmers
🚛Food transporters
🏭Factory Workers
🛒Grocers
👨🏻🍳Cooks
👨👨👧👦Family members
👩🏼🦰 Friends
👨🏿YouAnyone can be a food hero! Who is yours? pic.twitter.com/LyBVxarZIK
— FAO (@FAO) October 16, 2020
आज दुनिया के सामने पेट भरने की सबसे बड़ी चुनौती है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक, आज दुनिया में 6 करोड़ 90 लाख लोग भूखे रह जाते हैं और तीन अरब लोगों को स्वास्थकर भोजन नहीं मिल पाता।
पिछले पांच सालों में वैश्विक स्तर पर भूखमरी तेजी से बढ़ी है। वहीं कोरोना महामारी ने एक करोड़ 32 लाख लोगों को भूखमरी के कगार पर ला दिया है। खाद्य समस्या ऐसे ही रहा तो एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक करीब दो अरब लोग भूखमरी के शिकार हो जाएंगे।
जानकारों के मुताबिक, इनोवेशन, तकनीक और लोगों के व्यवहार में बदलाव लाकर खाद्य पदार्थों की कम से कम बर्बादी और अधिकतम भूखे लोगों तक भोजन को उपलब्ध करा सकते हैं। परंतु संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार, विश्व के सिर्फ 11 देश खाद्यान्न की कमी को राष्ट्र स्तरीय निर्धारित योगदान यानी नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन का हिस्सा बनाये हैं।
जबकि जरूरत है कि खाद्यान्नों की बर्बादी भी प्रमुखता से इस नीति का हिस्सा होने से खाद्यान्नों के रख-रखाव और उपयोग के क्षेत्र में सुधार होगा और 25 फीसद खाद्यान्न लोगों के उपयोग के लिए उपलब्ध हो जाएगा।
भारत जैसे विशालकाय जनसंख्या वाले देश के सामने भी खाद्यान्नों की आपूर्ति और बर्बादी रोकना सबसे गंभीर सवाल है। हरित क्रांति के बाद यहां खाद्यान्नों की समस्या नहीं रहा। लेकिन दशको बाद भी गरीबी को हटाया नहीं जा सका, जिसकी वजह से लोग पोषक खाद्य पदार्थ- दूध, फल, मांस, अंडे को खरीदने में समर्थ नहीं है।
हालांकि, सरकारी योजनाओं में लोगों को कम से कम दाम पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है और मिड डे मिल में बच्चों को स्कूल परिसर में भोजन की व्यवस्था की जी रही, लेकिन यहां पोषक पदार्थों को शामिल नहीं किया जाता। इसलिए सरकारी मदद के बावजूद भारत की बड़ी जनसंख्या कुपोषण या भूखमरी की शिकार है।
भारत को गरीबी और कुपोषण जैसी समस्या से निजात पाने का एक तरीका है कि अधिक से अधिक आर्थिक विकास तो करे ही साथ में सामाजिक सुरक्षा के और भी कार्यक्रमों को चलाया जाए।
दूसरी ओर खाद्यान के क्षेत्र में सतत् विकास के लिए अन्न की कम से कम बर्बादी और उत्पादन बढ़ाने के लिए पर्यावरण पर जो अतिरिक्त दबाव डाला गया है उसे कम करने की जरूरत है।
भारत में जो अतिरिक्त खाद्यान्न उत्पादन होता है उसके समुचित उपयोग को बढ़ाने की जरूरत है। इसके कदम के तौर पर सप्लाई चेन, भंडारन गृह, शीत गृह और शीत तकनीकी पर जोर देने की जरूरत है।
तभी पोषित समाज और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण होगा। इस विश्व खाद्य दिवस के मौके पर सरकार और लोगों को इन्हीं बातों के लिए प्रतिबद्ध होने की जरूरत है।