अंग्रेज़ी एक ऐसी भाषा है जो हिंदी ही नहीं बल्कि प्रतिवर्ष लगभग दो हज़ार अन्य विदेशी भाषाओं के शब्दों को भी पचाकर अपने में समाहित कर लेती है। इसी कारण समृद्ध होकर यह…
कुुल मिलाकर जनता को यही याद रहेगा कि अमरीकी पैसे वाला कुछ लफड़ा था। और कुछ नहीं तो कम से कम महाकुंभ और नई दिल्ली स्टेशन में सरकारी लापरवाही से हुई मौतों की…
प्रधानमंत्री ने जैसे-तैसे बात को संभाल लिया, लेकिन दाल में कुछ काला है, यह सारी दुनिया को दिख गया। उधर ट्रम्प ने वह बात कह दी जिसका किसी बयान में कोई जिक्र न था-उन्होंने खुलासा कर…
स्वाधीनता संघर्ष ने न सिर्फ विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच एकता के बंधनों को मजबूत किया वरन् मिली-जुली संस्कृति को सशक्त करने में भी योगदान दिया। मुस्लिम लीग और आरएसएस जैसे संगठनों…
गुरु रविदास, जो 15वीं शताब्दी के मध्य में काशी के पास रहते थे, ऐसे ही एक और संत थे जिन्होंने अपने पीछे एक महान विरासत छोड़ी है। काशी हिंदुओं के लिए उतनी ही पवित्र है जितनी…
ऐसी ही सांस्कृतिक गुलामी को समझने की कोशिश ईरान के फिरदौसी ने अपनी कृति 'शाहनामा' में कभी की थी। हमें भी करनी चाहिए। हमारी भारतीय ज्ञान-परम्परा विज्ञान के अनुकूल है। यदि हमने इसके…
हमारा समाज सदियों से बदलता आया है। पहले घुमक्कड़ पशुपालकों के समूह हुआ करते थे जो एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते थे। फिर बादशाहतें कायम हुईं और अब दुनिया कई राष्ट्रों…
वैकल्पिक राजनीति का सपना तो उस वक्त ही मर गया था। लेकिन एक राजनीतिक विकल्प के रूप में ‘आप’ बनी रही और मजबूत भी हुई। भ्रष्टाचार विरोधी आदर्शवाद को छोड़कर अब पार्टी ने…
सभी जानते हैं आप में विद्रोह का झंडा उठाने वाले लोग लोकसभा का चुनाव जीत जाते या इन्हें दिल्ली से राज्यसभा में भेज दिया जाता या पार्टी में अहम पद सौंप दिया जाता तो…
ख़ुद प्रधानमन्त्री मोदी दिन में 18-18 घण्टे काम करने के बयान देते रहे हैं। इससे पहले इन्फ़ोसिस के नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 70 घण्टे काम करवाने की इच्छा जतायी थी और अब…
कोरोना महामारी के बाद से पहले की तुलना में देश में खेती-बाड़ी पर निर्भर आबादी बढ़ गई है। लेकिन बजट के आंकड़े देखने के बाद ऐसा लगा मानो सरकार इस इंजन से उम्मीद…
स्वाधीनता संग्राम के सन्दर्भ में उन्होंने नेहरु पर निशाना साधा क्योंकि नेहरु ही वे महापुरुष थे जिन्होंने न सिर्फ सैद्धांतिक बल्कि व्यावहारिक स्तर पर भी धर्मनिरपेक्षता को अपनाया।
देश में अपराधों का रिकार्ड रखने वाली संस्था एनसीआरबी के आँकड़ों को देखें तो पता चला चलता है कि केवल वर्ष 2022 में 1 लाख 12 हज़ार छात्रों ने आत्महत्या की है।
ओवैसी राजनीति में अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता की एक अलग पट्टी तैयार करने की कोशिश में लगे हैं। अल्पसंख्यक राजनीति का यह ढब नरम इस्लामत्व का आधार लेकर चलेगा अथवा कट्टर इस्लामत्व का, या दोनों…
देवेन्द्र फडणवीस टीवी पर पाँच साल पहले घोटाले को लेकर चीख-चीख कर कहा करते थे कि अजित पवार को जेल में “चक्की पीसिंग एण्ड पीसिंग” करायेंगे। यही राग ख़ुद प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी भी…
मुस्तफा ने फासीवाद और साम्यवाद से अलग अपने फलसफे विकसित किये, जो अधिक मानवीय और संवेदनशील थे, आधुनिक भी। उसने धर्म के महत्त्व को स्वीकार किया, लेकिन उसके आधुनिकीकरण पर जोर दिया।
भारत सरकार के अनुसार एक मजदूर की औसत दिहाड़ी महज 433 रुपए है। क्या आठवें वेतन आयोग में सरकारी कर्मचारी के न्यूनतम वेतन को सरकार द्वारा तय किए जाने वाले न्यूनतम वेतन से…
आधुनिक भारत के निर्माता पंडित नेहरु ने यह सुनिश्चित किया कि नए भारत की नीतियां और कार्यक्रम सार्वजनिक क्षेत्र, शिक्षा, वैज्ञानिक शोध और सिंचाई व स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी पर केन्द्रित हों।
नव उदारवाद के लिए इससे बड़ी उपलब्धि क्या हो सकती है कि उसके शिकार मान रहे हैं कि कोठी-कार वालों के लिए पिछले 65 साल में कुछ नहीं हुआ!
यह कहना गलत नहीं होगा कि 2013 से अभी तक दिल्ली में आप और भाजपा की साझी सत्ता रही है। इसलिए यह कहना कि इन चुनावों में आप की जगह भाजपा की सरकार…
अब आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत ने देश के ‘असली स्वतंत्रता’ हासिल करने की एक नई तारीख घोषित कर दी है। मध्यप्रदेश के इंदौर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि…
खान अब्दुल गफ्फार खान का जन्म 1890 में पेशावर में उत्तमजई गाँव में मालदार जमींदार पठान खानदान में हुआ था। पठानों में ‘खून के बदले खून’ के उसूल पर खानदानों में पुश्त-दर-पुश्त खून…
कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन भी नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। यहाँ साधु, संत, नागा बाबा और अन्य धार्मिक गुरुओं के दर्शन होते हैं, जो अपने ज्ञान और…
सवाल यह था कि चुनाव आयोग द्वारा मतदान वाले दिन शाम को दिए गए और अंतिम मतदान के आंकड़ों में इतना अंतर क्यों है, मतदान के अंतिम आंकड़े इतनी देरी से और वो…
केरल सहित आज के भारत में हमारे लिए नारायण गुरु और कबीर के बताए रास्ते पर चलना जरूरी है जिनके मानवीय मूल्यों ने समाज को बंधुत्व की ओर अग्रसर किया।