बिहार में कोरोना संकट और बाढ़ की तबाही के बीच चुनाव की चर्चा

अमरनाथ झा
बिहार चुनाव 2020 Updated On :

कोरोना का भयावह होता संकट और भारी वर्षा व बाढ़ की तबाही के बीच चुनाव की चर्चा हो सकती है क्या? सामाजिक कार्यकर्ता रंजीव कुमार इसे लेकर परेशान हैं। उन्हें लगता है कि यह राजनीतिक तबके के असंवेदनशील होने का प्रमाण तो है ही, चुनावकर्मियों और आम मतदाताओं के जीवन को खतरे में डालने जैसा भी है। 74 आंदोलन से निकले इस सामाजिक कार्यकर्ता को लगता है कि अभी के माहौल में चुनाव कराना लोकतंत्र को कमजोर करने वाला साबित होगा क्योंकि इसमें आम मतदाताओं की भागीदारी कम होगी।

परन्तु सरकारी तंत्र और राजनीतिक पार्टियां चुनावों की तैयारी में लगी हैं। विपक्षी पार्टियां वर्तमान हालत में चुनाव कराना अनुचित बता रही है, पर चुनावों को टालने की स्पष्ट मांग नहीं कर रही। केवल वामपंथी पार्टियां और सत्ताधारी गठबंधन में शामिल लोजपा एवं कुछ छोटी पार्टियों ने इसकी मांग जरूर की है। प्रमुख विपक्षी दल राजद ने कहा है कि अगर चुनाव कराए जाएं तो बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया जाए, ईवीएम मशीन का नहीं क्योंकि धातुई सतह पर संक्रामक कीटाणु अधिक समय तक जीवित रहते हैं। कोरोना संकट को देखते हुए सत्ताधारी गठबंधन ने डिजिटल माध्यम के बड़े पैमाने पर उपयोग करने की सलाह दी है और नियत समय चुनाव की जुगत में हैं। कुल मिलाकर बिहार विधानसभा के चुनावों को लेकर अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर तक है।

चुनाव आयोग समय पर चुनाव कराने की तैयारी में है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बार-बार इसकी घोषणा की है। उन्होंने यह जरूर कहा कि चुनाव के कार्यक्रम मौसम, स्कूल कैलेंडर, साजो-सामान की उपलब्धता और सुरक्षा की व्यवस्था के अलावा कोरोना-संक्रमण की अवस्था को देखकर बनाया जाएगा। इसके लिए संबंधित एजेंसियों, सरकारी विभागों के बीच बैठकों का दौर चल रहा है। कोरोना के कारण इसबार मतदान केंन्द्रों की संख्या, मतदानकर्मियों की संख्या, मतदान केन्द्रों पर मतदाताओं की संख्या और चुनाव प्रचार के तौर तरीकों में कई बदलाव होंगे। चुनाव आयोग इसे सुनिश्चित करेगा कि कोरोना से जुड़े हिदायतों के का पालन चुनावों के दौरान हो।

चुनाव आयुक्त ने बताया कि इस बार किसी मतदान-केन्द्र पर 1000 से अधिक मतदाता नहीं होंगे। अभी हर मतदान केन्द्र पर औसतन 1500 तक मतदाता रहते थे। इसलिए राज्य में 33 हजार 787 अतिरिक्त मतदान केन्द्र बनाने होंगे। इसके लिए अतिरिक्त मतदान कर्मियों की व्यवस्था करनी होगी। अनुमान है कि करीब एक लाख 80 हजार अतिरिक्त मतदान कर्मियों की जरूरत होगी। निर्वाचन पदाधिकारियों की ट्रेनिंग का दौर 9 जुलाई से 17 जुलाई के बीच संपन्न हो चुका है। निर्वाचन पदाधिकारी के रूप में 101 अनुमंडल पदाधिकारी, 101 भूमि उप समाहर्ता और अन्य वरीय पदाधिकारियों को नामित किया गया है।

बिहार की राजनीतिक पार्टियां कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में लगी हैं। शुरुआत विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक करने से हुई। बैठकों के इस दौर में भाजपा सबसे आगे रही। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व अध्यक्ष व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बिहार के प्रभारी महामंत्री भूपेंद्र यादव इस अभियान में लगे हैं। कार्यकर्ता बैठक के अलावा पार्टी ने वर्चुअल रैली भी की। पहली रैली को अमित शाह ने संबोधित किया। बाद में जिलावार बैठकों का दौर जारी है। प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल प्रखंड स्तर के कार्यकर्ताओं से भी संपर्क साध रहे हैं। दूसरी पार्टियों ने भी वर्चुअल बैठकें की। अब लॉकडाउन की शर्तों के अनुसार शारीरिक दूरी का पालन करते हुए भौतिक बैठकें भी आरंभ हुई हैं।

भाजपा ने इस बार प्रत्येक मतदान केन्द्र पर सात कार्यकर्ताओं की एक टीम बनाना तय किया है। इसे सप्तर्षि नाम दिया गया है। इस टोली को मोदी सरकार के एक साल के काम को घर-घर जाकर बताने का काम दिया गया है। जदयू की ओर से महासचिव आरसीपी सिंह और लल्लन सिंह मोर्चा संभाल रहे हैं। पार्टी जिलावार बैठक करने के बाद समुदायों के आधार पर भी वर्चुअल सभाएं आयोजित कर रही है। लोजपा ने भी वर्चुअल मीटिंगों के बाद भौतिक बैठकें आयोजित करना शुरु किया है।

कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिहाज से केन्द्र की ओर से बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल लगाता दौरे पर आ रहे हैं और पार्टी प्रभारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं। कांग्रेस ने राज्य के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों का सर्वें कराने का फैसला किया है। सर्वे के दौरान पार्टी की स्थिति के लिहाज से ग्रेडिंग की जाएगी और जातिगत समीकरण का आंकलन किया जाएगा। सर्वेक्षण की रिपोर्ट बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल को सौंपा जाएगा। रिपोर्ट में क्षेत्रवार विपक्षी पार्टियों की स्थिति के बारे में भी बताया जाएगा।

(अमरनाथ  वरिष्ठ  पत्रकार हैं और पटना में रहते हैं ।)