
बिहार विधान सभा चुनाव में चुनाव-खर्च की सीमा बढ़ाया जा रहा है। इस बारे में चुनाव आयोग का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास भेजा गया है। प्रस्ताव के अनुसार चुनाव-खर्च की सीमा में दस प्रतिशत बढ़ोतरी की जाने वाली है। यह कोरोना की वजह से होने वाले अधिक खर्च को देखते हुए किया जा रहा है। हालांकि खर्च की यह बढ़ी हुई सीमा बाद में होने वाले चुनावों में भी लागू रहेगा।
चुनाव आयोग ने इसके लिए चुनाव संचालन नियमावली-1961 की धारा 90 में संशोधन का प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा है। वर्तमान में बिहार में विधानसभा चुनाव में खर्च की अधिकतम सीमा 28 लाख है, इसमें दस प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। इसतरह संशोधन के बाद यह 30.8 लाख हो जाएगी। चुनाव-खर्च की सीमा में इसके पहले 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान बढ़ोतरी की गई थी।
चुनाव आयोग ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि महामारी के दौरान चुनाव प्रचार अधिक चुनौतीपूर्ण और खर्चीला होगा। रैलियों और सभाओं के बारे में चुनाव आयोग की निर्देशावली का पालन करने के लिए उम्मीदवारों को अधिक संख्या में छोटी-छोटी सभाएं करनी होगी ताकि अधिक भीड़ इकट्टा होने से बचा जा सके। चुनाव आयोग ने पिछले सप्ताह कोरोना महामारी को देखते हुए चुनाव प्रचार के बारे में विशेष नियमावली जारी की थी जिसके अंतर्गत किसी बड़ी सभा में एक सौ से अधिक लोग नहीं आ सकते।
चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव भारतीय जनता पार्टी के सुझाव पर आया है। भाजपा ने कहा था कि मास्क, साबुन, पीपीई किट और थर्मल स्क्रिनिंग की वजह से इन चुनावों में खर्च बढ़ जाने वाला है। भाजपा ने यह भी मांग किया कि इस खर्च को पार्टी के खर्च में शामिल किया जाना चाहिए, उम्मीदवार के खर्च में नहीं।
इस बीच चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव 29 नवंबर के पहले कराने की तैयारी में है। इसके साथ ही देश के विभिन्न विधानसभाओं के रिक्त 64 सीटों और वाल्मिकीनगर लोकसभा क्षेत्र में उप-चुनाव भी कराए जाएगे। इसे देखते हुए आयोग राज्य के चुनाव अधिकारियों के साथ लगातार वर्चुअल बैठकें कर रहा है।