
प्रयागराज। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर बुधवार को आए फैसले का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने स्वागत करते हुए कहा कि इस फैसले से साधु संत ही नहीं पूरा सनातन धर्म और हिंदू समाज अति प्रसन्न है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा, “आज अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस पर जो फैसला सुनाया है उससे हम सब संत ही नहीं, पूरा सनातन धर्म और हिंदू समाज इतना खुश है कि उसके मुख से जय श्रीराम और महादेव के अलावा कुछ नहीं निकल रहा है।”
उन्होंने कहा, “राम के कार्य में कोई अपराध नहीं होता है। यह घटना कोई पूर्व नियोजित नहीं थी जैसा कि माननीय न्यायाधीश ने भी कहा है। सभी को बरी कर दिया गया क्योंकि किसी का कोई अपराध नहीं था। यह काम भगवान राम का था और उन्होंने अपना काम कराया। आज के फैसले का संत समाज स्वागत करता है।” महंत नरेंद्र गिरि ने कहा, “न्याय की अदालत में सत्य की जीत होती है। हम सभी संत महात्मा, हिंदू धर्म मानने वाले सभी लोग सत्य के मार्ग पर चलते हैं, इसलिए हमारी हमेशा जीत होती है। सभी का न्यायालय में विश्वास होना चाहिए। जो लोग न्यायालय में विश्वास नहीं करते वे राष्ट्रद्रोही हैं। ”
वहीं फैसले आने के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को बाबरी विध्वंस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत द्वारा सभी आरोपियों को बरी किये जाने के फैसले के तत्काल बाद वयोवृद्ध भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी से उनके आवास पर मुलाकात की। मालूम हो कि आडवाणी इस मामले के 32 आरोपियों में एक थे। प्रसाद राम जन्मभूमि मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में बतौर वकील भी पेश हो चुके हैं। आडवाणी को भी इस मामले में अदालत में मौजूद होने का कहा गया था लेकिन उम्र और कोरोना वायरस महामारी के चलते वह न्यायालय में हाजिर नहीं हो सके। अदालत के फैसले के बाद 92 वर्षीय आडवाणी अपने कमरे से बाहर निकले और ‘जय श्री राम’ का नारा लगाते हुए मीडिया का अभिवादन किया।
अदालत जब अपना फैसला सुना रही थी उस वक्त आडवाणी अपने परिवार के सदस्यों के साथ टेलीविजन देख रहे थे। उनकी पुत्री प्रतिभा आडवाणी, उनका हाथ पकड़े हुईं थी। यह मामला छह दिसंबर 1992 को बाबारी ढांचा ध्वस्त करने से संबंधित था। विशेष अदालत के न्यायाधीश एस.के. यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। यह एक आकस्मिक घटना थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।
बाबरी विध्वंस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत द्वारा बरी किए जाने के बाद भाजपा के वयोवृद्ध नेता व देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने ‘‘जय श्री राम’’ का नारा लगाया और अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह निर्णय उन्हीं अन्य फैसलों के अनुरूप हैं जिसने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के उनके सपने का मार्ग प्रशस्त किया।
आडवाणी इस मामले के 32 आरोपियों में एक और रामजन्मभूमि आंदोलन के अगुवा थे। आडवाणी ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘विशेष अदालत का आज का जो निर्णय हुआ है वह अत्यंत महत्वपूर्ण है और वह हम सबके लिए खुशी का प्रसंग है। जब हमने अदालत का निर्णय सुना तो हमने जय श्री राम का नारा लगाकर इसका स्वागत किया।’’ बाद में एक बयान जारी कर उन्होंने कहा, ‘‘यह निर्णय उन्हीं अन्य फैसलों के पदचिह्नों पर है जिसने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के उनके सपने का मार्ग प्रशस्त किया।’’
अदालत के फैसले के बाद 92 वर्षीय आडवाणी अपने कमरे से बाहर निकले और ‘जय श्री राम’ का नारा लगाते हुए मीडिया का अभिवादन किया। अदालत जब अपना फैसला सुना रही थी उस वक्त आडवाणी अपने परिवार के सदस्यों के साथ टेलीविजन देख रहे थे। उनकी पुत्री प्रतिभा आडवाणी उनकी हाथ पकड़े थीं।
गौरतलब है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष न्यायाधीश एस. के. यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, यह एक आकस्मिक घटना थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के आरोपी एवं शिवसेना के पूर्व सांसद सतीश प्रधान ने इस मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी करने के सीबीआई की विशेष अदालत के आदेश का बुधवार को स्वागत किया। ठाणे के पूर्व महापौर 80 वर्षीय प्रधान ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सुनवाई में भाग लेने के बाद ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘‘सच्चाई की जीत हुई है।’’
अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है। प्रधान को इस मामले में पहले जमानत दी गई थी। पहले शिवसेना के नेता रहे प्रधान अब भाजपा में हैं। प्रधान ने कहा, ‘‘सच की हमेशा जीत होती है। न्यायपालिका में हमारा पूरा भरोसा है।’’ प्रधान एक समय शिवसेना सुप्रीमो दिवंगत बाल ठाकरे के विश्वसनीय सहयोगी थे और उन्होंने कोंकण क्षेत्र एवं महाराष्ट्र में पार्टी के विस्तार में मदद की थी।
‘कारसेवकों’ में शामिल रहे स्थानीय भाजपा नेता ओम प्रकाश शर्मा ने भी अदालत के फैसले का स्वागत किया। शर्मा ने सभी आरोपियों को बरी किए जाने पर खुशी जताई। सीबीआई की विशेष अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी समेत सभी 32 आरोपियों को बुधवार को बरी कर दिया। मामला छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने से जुड़ा हुआ है।
वहीं वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने बुधवार को बाबरी विध्वंस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत द्वारा सभी आरोपियों को बरी किये जाने के फैसले को ‘‘ऐतिहासिक’’ करार देते हुए उम्मीद जताई कि इसी के साथ ही विवाद की भी इतिश्री हो जानी चाहिए। वयोवृद्ध भाजपा नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी व अन्य के साथ जोशी भी इस मामले में आरोपी थे। फैसले के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए जोशी ने कहा, ‘‘अदालत ने एक एतिहासिक निर्णय सुनाया है।’’ इस मामले में उनकी ओर से पेश हुए अधिवक्ताओं का धन्यवाद करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने सही पक्षों और तथ्यों को न्यायालय के सामने रखा।
उन्होंने कहा, ‘‘उनका परिश्रम था जिससे इस जटिल मामले में भरपूर प्रयत्नों के बाद सीबीआई अपना पक्ष नहीं रख पाई और न्यायाधीश ने सच को सबके सामने रख दिया।’’ जोशी ने कहा कि इस निर्णय ने सिद्ध कर दिया है, ‘‘हमारे कार्यक्रम किसी षड्यंत्र के तहत नहीं थे।’’ फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि इसके बाद ये विवाद समाप्त होना चाहिए। सारे देश को भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए तत्पर होना चाहिए। इस अवसर पर मैं एक ही बात कहूंगा कि ‘जय जय श्री राम’ और ‘सबको सन्मति दे भगवान’।’’
गौरतलब है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष न्यायाधीश एस के यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, यह एक आकस्मिक घटना थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।