नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिसंबर 2017 में पुणे के नजदीक हुई भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में 82 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी को उनके रांची स्थित घर से गिरफ्तार किया। अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि स्वामी को मुंबई ले जाया जाएगा।
पुणे पुलिस और एनआईए के अधिकारी इस मामले में फादर स्वामी से पहले दो बार पूछताछ कर चुके हैं। एनआईए के अधिकारियों ने बताया कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) से संपर्कों के चलते उन्हें बृहस्पतिवार शाम उनके घर से पूछताछ के लिए लाया गया और फिर गिरफ्तार कर लिया गया।
उन्होंने बताया कि फादर स्वामी को मुंबई ले जाया जाएगा जहां एजेंसी निर्दिष्ट अदालत से उनकी रिमांड मांगेगी। इस मामले में गिरफ्तार होने वाले वह 16वें व्यक्ति हैं।
एनआईए के अधिकारियों ने कहा कि जांच में यह साबित हो चुका है कि वह भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों में सक्रिय रूप से लिप्त थे।
एनआईए का आरोप है कि वह अन्य साजिशकर्ताओं- सुधीर धवले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गैडलिंग, अरूण फरेरा, वर्नन गोंजाल्विस, हेनी बाबू, शोमा सेन, महेश राउत, वरवर राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े के साथ समूह की गतिविधियों को आगे बढ़ाने की खातिर संपर्क में थे।
एजेंसी ने आरोप लगाया कि एजेंडा को विस्तार देने के लिए स्वामी को एक सहयोगी के माध्यम से वित्तीय मदद भी मिली। अधिकारियों के मुताबिक वह भाकपा (माओवादी) के संगठन परसिक्युटेड प्रिजनर्स सॉलिडेरिटी कमेटी (पीपीएससी) के समन्वयक भी थे।
एनआईए अधिकारियों ने कहा कि फादर स्वामी के पास से समूह के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने से संबंधित साहित्य, प्रचार सामग्री तथा अन्य दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं।
गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले स्वामी ने एक वीडियो पोस्ट करके कहा कि एनआईए उनसे पूछताछ कर रही है और बीते पांच दिन में उनसे 15 घंटे की पूछताछ की जा चुकी है। स्वामी ने वीडियो में कहा कि वह कभी भीमा कोरेगांव नहीं गए।
एनआईए को भीमा कोरेगांव मामले की जांच की जिम्मेदारी इस साल 24 जनवरी को मिली थी।