नई दिल्ली। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि देश में पिछले 24 घंटों के
दौरान कोरोना वायरस से संक्रमण के 1543 नये मामले सामने आये
हैं। इसके साथ ही संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 29,435 हो
गयी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने नियमित
संवाददाता सम्मेलन में बताया कि कोविड-19 से स्वस्थ होने
वालों की संख्या बढ़कर 6,868 हो गयी है। यह कुल संक्रमित
मरीजों की संख्या का 23.3 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि
पिछले 24 घंटों के दौरान 684 मरीजों को
स्वस्थ्य होने पर अस्पताल से छुट्टी दी गयी है।
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस
के संक्रमण से देश में अब तक 934 लोगों की मौत हो चुकी है।
मंत्रालय ने प्लाज्मा पद्धति से कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज को लेकर किये जा
रहे दावों को गलत बताते हुये स्पष्ट किया कि इस तरह की किसी पद्धति को मान्यता
नहीं दी गयी है।
अग्रवाल ने प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज के
दावों को भ्रामक और गैरकानूनी बताते हुये कहा कि फिलहाल यह पद्धति प्रयोग एवं
परीक्षण के दौर में है। उन्होंने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद
(आईसीएमआर) ने अब तक इस बात की पुष्टि नहीं की है कि कोविड-19 के इलाज में यह कारगर साबित हुयी है।
उन्होंने कहा कि ऐसी किसी भी पद्धति से कोरोना वायरस के संक्रमण का
इलाज करना मरीज के जीवन के लिये घातक साबित हो सकता है इसलिये आईसीएमआर द्वारा इसे
इलाज की पद्धति के रूप में मान्यता दिये जाने तक इसे उपचार का विकल्प नहीं माना जा
सकता है।
अग्रवाल ने संक्रमण को रोकने के उपायों के असर की जानकारी देते हुये
बताया कि जिला स्तर पर चलाये जा रहे संक्रमण रोधी अभियान के कारण देश के 17
जिले ऐसे हैं, जिनमें पिछले 28 दिनों से संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है। सोमवार को ऐसे जिलों
की संख्या 16 थी।
उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल के बाद इस सूची में
दो जिले (पश्चिम बंगाल का कलिंगपोंग और केरल का वायनाड) जुड़े हैं। वहीं, बिहार के लखीसराय जिले में संक्रमित मरीज मिलने के कारण यह जिला इस सूची से
बाहर हो गया है।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने मंगलवार को जैव
तकनीक विभाग के 18 शोध संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों के साथ
बैठक कर कोरोना वायरस के इलाज और टीके को विकसित करने के लिये जारी शोध कार्यों की
समीक्षा की। उन्होंने कोविड-19 के परीक्षण की स्वदेशी किट भी
यथाशीघ्र विकसित करने की जरूरत पर बल दिया।
अग्रवाल ने बताया कि मंत्रालय ने बेहद मामूली लक्षणों वाले संक्रमित
मरीजों को घर में ही पृथक रख कर इलाज और देखभाल करने के बारे में दिशानिर्देश जारी
किये हैं। उन्होंने बताया कि ये दिशानिर्देश पिछले दिनों संदिग्ध मरीजों के
पृथकवास के बारे में जारी किये गये दिशानिर्देशों को ही विस्तार देते हुये जारी
किये गये हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि बहुत मामूली लक्षणों वाले मरीजों को
अस्पताल के बजाय घर में ही पृथक रखना अधिक सुरक्षित होने के कारण यह व्यवस्था दी
गयी है। इसमें मरीज और उसकी नियमित देखभाल के लिये निर्दिष्ट व्यक्ति (केयर गिवर)
के लिये विशेष सुरक्षा उपाय सुझाये गये हैं।