बिहार विधानसभा चुनाव : इस बार मुख्यमंत्री के छह उम्मीदवार

अमरनाथ झा
बिहार चुनाव 2020 Updated On :

पटना। बिहार विधानसभा के इन चुनावों में मुख्यमंत्री के छह उम्मीदवार हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो छठी बार मुख्यमंत्री बनना चाहते ही हैं, उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती पेश कर रहे तेजस्वी यादव सबसे बड़े विपक्षी गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं। इनके अलावा दो अन्य गठबंधन भी मैदान में हैं और उनकी ओर से मुख्यमंत्री के उम्मीदवारों के अलावा दो अन्य भी मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं।

नीतीश कुमार पहली बार 2005 में 3 मार्च से 10 मार्च तक मुख्यमंत्री रहे। फिर 24 नवंबर 2005 ले 24 नवंबर 2010 तक, तीसरी बार 26 नवंबर 2010 से 17 मई 2014 तक और चौथी बार 22 फरवरी 2015 से अब तक मुख्यमंत्री हैं। वे पहली बार 1985 में विधायक बने। 1989 में नौवीं लोकसभा के लिए पहली बार चुने गए। इसके बाद 1996, 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए। इस दौरान 1990 में अप्रैल से नवंबर 1990 तक केन्द्रीय कृषि व सहकारिता राज्यमंत्री, फिर रेल राज्यमंत्री, भूतल परिवहन मंत्री, कृषि मंत्री और फिर रेल मंत्री रहे।

इस लिहाज से तेजस्वी यादव का संसदीय अनुभव काफी कम है। पिछले विधानसभा चुनाव में पहली बार मैदान में उतरे और जीतने के बाद उप-मुख्यमंत्री बन गए। नीतीश कुमार के भाजपा के साथ चले जाने पर उन्हें विपक्ष का नेता रहने का अनुभव मिला। पर इन चुनावों में कांग्रेस औऱ वामदलों (भाकपा, माकपा और भाकपा-माले) के साथ गठबंधन करके बेहद मजबूती से मैदान में उतरे हैं।

मुख्यमंत्री के तीसरे उम्मीदवार उपेन्द्र कुशवाहा हैं जो ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट की ओर से मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं। उनका राजनीतिक जीवन लंबा है पर प्रमुख गठबंधनों का हिस्सा नहीं होने से उनकी चुनावी ताकत कमतर है। वे करीब 20 साल पहले विधायक बने। पहले वे समता पार्टी और फिर जदयू में थे। 2010 में जदयू कोटे से राज्यसभा के सदस्य बने। बाद में 2013 में रालोसपा का गठन किया। 2014 में एनडीए में शामिल हुए और लोकसभा सांसद बने। 2014 में ही केन्द्र में मानव संसाधन राज्य मंत्री बने। उनके गठबंधन में मायावती की बहुजन समाज पार्टी और पूर्व सांसद देवेन्द्र यादव की समाजवादी पार्टी व सांसद असुद्दुल्ला ओबैसी की पार्टी समेत छोटी-छोटी पार्टियां शामिल हैं।

राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव भी मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं। वे पहलीबार 1990 में सिंहेश्वर स्थान से निर्दलीय विधायक बने। पहली बार 1991 में पूर्णिया के लोकसभा सदस्य बने। उसके बाद पांच बार सांसद बने। पार्टी बदलने औऱ निर्दलीय भी चुनाव लड़ते रहे। 2015 में सर्वश्रेष्ठ सांसद घोषित किए गए। 2015 में ही उन्होंने जन अधिकार पार्टी बनाई। इस चुनावों के लिए नए उभरते दलित नेता चंद्रशेखर रावण और प्रकाश अंबेडकर समेत कई मुस्लिम संगठनों के साथ मिलकर पिपुल्स डेमोक्रेटिक एलायंस बनाई है।

लोक शक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान भी मुख्यमंत्री के उम्मीदवार माने जा रहे हैं। हालांकि स्वयं उन्होंने कभी इसकी घोषणा नहीं की है। लेकिन उनके जदयू के खिलाफ आक्रामक होने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना नेता मानने से अनुमान लगाया जा रहा है कि परिस्थिति आने पर भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री बना सकती है। चिराग पहली बार 2014 में लोकसभा सदस्य बने। दूसरी बार भी चुने गए। उनका राजनीतिक जीवन तो लंबा नहीं है, पर पिता रामविलास पासवान के सानिध्य में रहने से कम समय में ही राजनीति के गुर सीख गए हैं।

इन सबसे अलग पुष्पम प्रिया चौधरी हैं जो इंगलैंड में पढ़ाई पूरा करके एक ही बार मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार होकर बिहार आई हैं। उन्होंने प्लुरल्स पार्टी बनाई और करीब सभी सीटों पर अपना उम्मीदवार दिया है। चुनाव-प्रचार में काफी मेहनत भी कर रही हैं पर अपने पहनावा और भाषा-लहजा किसी लिहाज से बिहार के लोगों से जुड़ नहीं पा रही हैं।

एकतरह से बिहार विधानसभा का यह चुनाव विचित्र है जिसमें कई मुख्यमंत्री उम्मीदवार, कई गठबंधन और छोटी-छोटी पांच सौ से ज्यादा पार्टियां मैदान में है। इससे वोटों का कमोबेश कई जगह बंटना तय है। ऐसे में वहीं गठबंधन बढ़त हासिल कर पाएगी जिसमें अपने समर्थक वोटरों को रोक रखने की क्षमता होगी।