अडाणी, पीरामल ने डीएचएफएल के लिए बोली बढ़ाई


पीरामल ने डीएचएफएल के खुदरा पोर्टफोलियो के लिए बोली को 15,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 26,500 करोड़ रुपये कर दिया है।


भाषा भाषा
अर्थव्यवस्था Updated On :

नई दिल्ली। संकट में फंसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएचएफएल) में हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए विभिन्न कंपनियों ने अपनी बोली बढ़ा दी है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

सूत्रों ने बताया कि अडाणी समूह, पीरामल एंटरप्राइजेज, अमेरिका की ओकट्री और हांगकांग की एससी लोवी ने डीएचएफएफल में हिस्सेदारी के अधिग्रहण या उसकी कुछ संपत्तियों के लिए अपनी बोली में 10 से 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि ओकट्री ने समूचे पोर्टफोलियो के लिए अपनी बोली को 27,800 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 33,000 करोड़ रुपये कर दिया है।

पीरामल ने डीएचएफएल के खुदरा पोर्टफोलियो के लिए बोली को 15,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 26,500 करोड़ रुपये कर दिया है।

अडाणी प्रॉपटीर्ज ने होलसेल और स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (एसआरए) की संपत्तियों के लिए अपनी बोली को 2,200 करोड़ रुपये से संशोधित कर 3,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इसके अलावा उसने स्लम रिडेवलपमेंट संपत्तियों के लिए 50 करोड़ रुपये की पेशकश की है। एससी लोवी ने नॉन-एसआरए संपत्तियों के लिए बोली को 1,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2,300 करोड़ रुपये कर दिया है।

डीएचएफएल ने इन कंपनियों से अपनी पेशकश में संशोधन को कहा था। डीएचएफएल के प्रवर्तक कपिल वधावन ने बैंकों के बकाये के निपटान के लिए 43,879 करोड़ रुपये की 10 परियोजनाओं के अधिकार को स्थानांतरित करने की पेशकश की है। वधावन ने इस बारे में रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक सुब्रमण्यकुमार को पत्र लिखा है।

डीएचएफएल में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 39.21 प्रतिशत की है। बैंकर चाहते हैं कि निपटान योजना के तहत प्रवर्तकों की हिस्सेदारी को 10 प्रतिशत से नीचे लाया जाए। समाधान योजना की निगरानी कर रही ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) की अगले सप्ताह बैठक होगी जिसमें इन बोलियों पर विचार किया जाएगा।