मुख्यमंत्री ठाकरे को सोनिया का पत्र संवाद प्रक्रिया का हिस्सा : थोराट


सोनिया ने ठाकरे को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री को राज्य की शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम की याद दिलाई है और दलितों तथा आदिवासियों के कल्याण के लिए कुछ कदम उठाने पर जोर दिया है।


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महाराष्ट्र Updated On :

मुंबई। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने शनिवार को कहा कि पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी ने राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जो पत्र भेजा है, वह किसी नाराजगी में नहीं, बल्कि संवाद प्रक्रिया के तहत लिखा गया है।

सोनिया ने ठाकरे को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री को राज्य की शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम की याद दिलाई है और दलितों तथा आदिवासियों के कल्याण के लिए कुछ कदम उठाने पर जोर दिया है।

सोनिया ने 14 दिसंबर को लिखे अपने पत्र में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के पेशेवरों के लिए सरकारी ठेकों में आरक्षण देने की बात की ताकि उनमें अन्य चीजों के साथ उद्यमशीलता को बढ़ावा मिल सके।

थोराट ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि उनकी पार्टी गठबंधन में दुखी नहीं है। वह प्रदेश के राजस्व मंत्री भी हैं।

उन्होंने कहा, “कांग्रेस का रुख हमेशा समाज के गरीब और वंचित वर्गों के कल्याण के पक्ष में रहा है और सोनिया गांधी का पत्र इस बात संबंध में संवाद का हिस्सा था कि कल्याणकारी कदम कैसे उठाए जा सकते हैं। इसमें कोई नाराजगी नहीं है।”

इस बीच पत्र के बारे में पूछे जाने पर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि सोनिया गांधी संप्रग की अध्यक्ष हैं और महाराष्ट्र के गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) की स्थापना में उनका योगदान रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘समाज के विभिन्न वर्गों के कल्याण के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम गठबंधन का एजेंडा है तथा उद्धव ठाकरे उस दिशा में काम कर रहे हैं। संभव है कि महामारी के कारण कुछ मुद्दे पीछे चले गए हों। लेकिन सरकार धीरे-धीरे पटरी पर वापस लौट रही है और न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित कर रही है।’’

एक सवाल का जवाब देते हुए राउत ने इस बात से इनकार किया कि पत्र के पीछे दबाव की कोई राजनीति है। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई दबाव की राजनीति नहीं है।”



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