नई दिल्ली। दिल्ली से सटे गुड़गांव में साल 2017 में सोहना के एक नमी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र प्रिंस (बदला हुआ नाम) हत्याकांड मामले में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में उस समय एसीपी रहे बीरम सिंह, भोंडसी थाने के तत्कालीन प्रभारी नरेंद्र खटाना, सब-इंस्पेक्टर शमशेर सिंह एवं ईएएसआइ सुभाषचंद के खिलाफ सीबीआई सबूत सौंपने की कार्रवाई शुरू कर दी है। ये कार्रवाई पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत में शुक्रवार से शुरू हो गई।
अदालत में चालान के ऊपर सीबीआइ की ओर से अधिवक्ता अमित जिंदल ने जबकि पीड़ित पक्ष की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील टेकरीवाल ने बहस की। मामले में अगली सुनवाई दो फरवरी को होगी। इन पुलिस अधिकारियों पर हत्याकांड से सम्बंधित सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप है।
ऐसे में ये माना जा रहा है कि इन पुलिस अधिकारियों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। प्रिंस हत्याकांड पर गौर करें तो जिस बस कंडक्टर को पुलिस ने हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर थर्ड डिग्री दी और फिर जेल भेज दिया, उसी कंडक्टर अशोक को सीबीआई ने जांच करते हुए न सिर्फ क्लीन चिट दी बल्कि उसी स्कूल के एक नाबालिग को हत्या के आरोप में गिरफ्तार भी किया था।
सीबीआइ ने चालान पेश कर साफ कर दिया है कि बस सहायक को फंसाने के लिए तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई थी। चालान पर संज्ञान लेने के लिए शुक्रवार को अदालत ने सीबीआइ से चारों पुलिस अधिकारियों के बारे पूरी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। वे फिलहाल कहां तैनात हैं, किस पद पर तैनात हैं आदि जानकारी दो फरवरी को सीबीआइ अदालत को देगी।
कयास लगाए जा रहे हैं कि दो फरवरी को प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके बाद चारों पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा शुरू हो जाएगा। पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट ने मामले पर 15 जनवरी को सुनवाई का दिन तय किया था। इस सुनवाई से पहले ही सीबीआई को कोर्ट में इस चार्जशीट में आरोपित बनाए गए पुलिसकर्मियों के खिलाफ गवाह व सबूतों की लिस्ट पेश करनी है। घटना के बाद लोग यही इंतजार कर रहे है कि भोलू के बजाय बस कंडक्टर को फंसाने वाले गुड़गांव पुलिस के अधिकारियों पर सीबीआई क्या कार्रवाई करेगी।