रामेश्वर चौरसिया ने लोजपा से दिया इस्तीफा, विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए थामा था लोजपा का दामन


लोजपा प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘रामेश्वर चौरसिया लोजपा से कभी जुड़े नहीं। वह भाजपा के साथी रहे हैं। हम साथ में रहते, तो साथ काम करते, लेकिन उनकी अपनी महत्वाकांक्षा के कारण हम साथ में नहीं हैं।’’


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बिहार Updated On :

पटना। चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) को बिहार के हालिया विधानसभा चुनाव से पहले लोजपा में शामिल हुए भाजपा के बागी नेता रामेश्वर चौरसिया के अचानक बुधवार को इस्तीफा देने से एक बड़ा झटका लगा।

नोखा से कई बार भाजपा विधायक रहे चौरसिया 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद उम्मीदवार के हाथों पराजित हो गए थे और उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव में इस सीट के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के हिस्से में चले जाने पर भाजपा छोड़ दी थी।

2019 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश के नेतृत्व को अस्वीकार्य करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आस्था व्यक्त करने वाले चिराग की पार्टी लोजपा ने राजग से अलग होकर अपने बलबूते चुनाव लड़ा था तथा चौरसिया का अपनी पार्टी में स्वागत किया था ।

लोजपा के तब तक नोखा से एक और उम्मीदवार तय कर लिए जाने पर उसने चौरसिया को सासाराम सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह इस सीट पर हुए चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे और अपनी जमा राशि भी नहीं बचा पाए थे।

चौरसिया ने अपने हस्तलिखित पत्र में चिराग पासवान को विधानसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुने जाने के लिए धन्यवाद दिया, लेकिन लोजपा के लिए काम करना जारी रखने में असमर्थता व्यक्त की। इस पत्र का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

जेएनयू के पूर्व छात्र चौरसिया ने अंग्रेजी में लिखे अपने पत्र में चिराग से कहा है, ‘‘इसलिए मैं आपसे इस पत्र को लोजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफे के रूप में मानने का अनुरोध करता हूं ।’’

लोजपा प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘रामेश्वर चौरसिया लोजपा से कभी जुड़े नहीं। वह भाजपा के साथी रहे हैं। हम साथ में रहते, तो साथ काम करते, लेकिन उनकी अपनी महत्वाकांक्षा के कारण हम साथ में नहीं हैं।’’

चौरसिया सहित भाजपा के अन्य बागियों को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने दल से निष्कासित कर दिया था, क्योंकि उन्हें जदयू के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा गया था।

लोजपा की इस चुनावी रणनीति के कारण जदयू की सीटों में भारी गिरावट आई थी, लेकिन दिवंगत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान द्वारा स्थापित यह पार्टी 140 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद केवल एक सीट जीतने में सफल हो पायी थी।

चौरसिया भविष्य में क्या कदम उठाते हैं, यह देखा जाना अभी बाकी है, लेकिन भाजपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘‘वह हमारे वरिष्ठ नेता रहे हैं, जिन्होंने महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। वह 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी थे। उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव अमित शाह के साथ मिलकर काम किया था। वास्तव में भाजपा उनका घर है।’’



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