नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिये व्यवसायों को ऋण बढ़ाने पर जोर दिया और साथ ही बैंकों से फिनटेक और स्टार्टअप की जरूरतों के अनुरूप उत्पाद तैयार करने को कहा।
मोदी ने कहा कि भले ही सरकार निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये प्रयास कर रही है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र को अभी भी गरीबों का समर्थन करने के लिये बैंकिंग और बीमा में उपस्थित रहने की आवश्यकता है।
वित्तीय सेवाओं पर बजट घोषणाओं को लेकर आयोजित वेबिनार में मोदी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान मध्यम एवं छोटे व्यवसायों की मदद करने के लिये 90 लाख सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को 2,400 अरब रुपये का ऋण दिया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘एमएसएमई और स्टार्टअप का समर्थन करना और उनके लिये ऋण प्रवाह का विस्तार करना आवश्यक है। सरकार ने सुधारों को आगे बढ़ाते हुये कृषि, कोयला और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्र खोले हैं। अब ग्रामीण और छोटे शहरों की आकांक्षाओं को समझना तथा उन्हें आत्मानिर्भर भारत की ताकत बनाना वित्तीय क्षेत्र की जिम्मेदारी है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘जैसे-जैसे हमारी अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है, और तेजी से बढ़ रही है, ऋण प्रवाह भी उतना ही महत्वपूर्ण हो गया है। आपको देखना होगा कि ऋण नये उद्यमियों, नये क्षेत्रों तक कैसे पहुंचता है। अब आपको स्टार्टअप व फिनटेक के लिये नये और बेहतर वित्तीय उत्पादों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना होगा।’’
प्रधानमंत्री ने किसान क्रेडिट से छोटे किसानों और पशुपालन से जुड़े लोगों की अनौपचारिक ऋण के जाल से बाहर निकलने में मदद मिलने का जिक्र करते हुए कहा कि निजी क्षेत्र को अब समाज के इस वर्ग के लिये नवीन वित्तीय उत्पादों के बारे में सोचना होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार के पास वित्तीय सेवा क्षेत्र के लिये एक स्पष्ट दृष्टिकोण है। सरकार इसे जीवंत, सक्रिय और मजबूत बनाने के लिये कदम उठा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘जिस गति से हमें 21वीं सदी में देश को आगे ले जाना है, निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण है। सरकार का दृष्टिकोण वित्तीय क्षेत्र के बारे में स्पष्ट है। सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता यह है कि हर जमाकर्ता और निवेशक विश्वास व पारदर्शिता का अनुभव करें।’’
मोदी ने कहा कि भरोसा जमा और आर्थिक वृद्धि की सुरक्षा पर निर्भर करता है। बैंकिंग और गैर-बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ी पुरानी नीतियों को बदलने की जरूरत है।
मोदी ने कहा, ‘‘वित्त क्षेत्र को कर्ज बांटने की आक्रामक नीति के कारण 10-12 साल पहले झटका लगा था। देश को गैर-पारदर्शी ऋण बांटने की संस्कृति से बाहर निकालने के लिये कदम उठाये गये हैं। आज एनपीए को ढंकने के बजाय हमने एक दिन में एनपीए की जानकारी देना अनिवार्य बना दिया है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार व्यवसायों में होने वाले उतार-चढ़ाव से अवगत है। सरकार इस तरह की सोच नहीं रखती है कि सभी व्यावसायिक निर्णय बुरे इरादे से लिये जाते हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अच्छे इरादे से किये गये ऐसे सभी व्यावसायिक निर्णयों के साथ खड़ी हो और मैं वित्तीय क्षेत्र के उन सभी लोगों से यह कहना चाहता हूं कि ईमानदारी से किये गये सभी निर्णयों के लिये मैं आपके साथ खड़ा रहूंगा।’’
सरकार ने 2021-22 के बजट में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव किया है। इसके अलावा बीमा क्षेत्र में 74 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी देने और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईाी) का प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने का भी प्रस्ताव है।
एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) की स्थापना के बजट प्रस्ताव पर विस्तार से मोदी ने कहा कि एआरसी बुरे ऋणों को “फोकस्ड तरीके” से देखगी और इससे सरकारी बैंकों को मजबूत बनाने तथा उनकी कर्ज देने की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि 130 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड हैं और 41 करोड़ लोग जनधन खाताधारक हैं, जिनमें से 55 प्रतिशत महिलाएं हैं।
वित्तीय समावेशन में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा कि हर महीने औसतन चार लाख करोड़ रुपये का लेनदेन यूपीआई प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया जा रहा है और 60 करोड़ रूपे कार्ड धारक हैं।
मोदी ने कहा कि आज समाज के सभी वर्गों के पास ऋण की पहुंच है और मुद्रा योजना के माध्यम से 15 लाख करोड़ रुपये के रिण लोगों को दिये गये हैं। पीएम किसान स्वनिधि योजना के माध्यम से 11 करोड़ किसान परिवारों को लगभग 1.15 लाख करोड़ रुपये दिये गये हैं।