जल गुणवत्ता निगरानी को देश के 23 प्रतिशत गांवों में ही हुआ पानी समितियों का गठन

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नई दिल्ली। जल जीवन मिशन शुरू होने के करीब ढाई वर्षो में ग्रामीण इलाकों में जल की गुणवत्ता की निगरानी के लिये देश के 6,05,040 गाँवों में से अब तक 1,36,971 में ही पानी समितियों का गठन हुआ है। यह कुल गांवों का करीब 23 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त, 2019 को घोषित ‘जल जीवन मिशन’ के तहत 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है ।

जल गुणवत्ता निरीक्षण को सशक्त बनाने के उद्देश्य से राज्यों को सलाह दी गई है कि वे प्रत्येक गांव के स्थानीय समुदाय में से पानी समितियों का गठन करें और उन्हें प्रशिक्षित करें। पानी समितियों में महिलाओं को प्रमुखता देने पर जोर दिया गया है ।

जल शक्ति मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, कुछ ही दिन पहले राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक परामर्श जारी किया है, जिसमें उन्हें सभी गांवों के हर घर और सार्वजनिक संस्थानों में पीने योग्य जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जल गुणवत्ता निगरानी और निरीक्षण (डब्ल्यूक्यूएम एंड एस) गतिविधियों की शुरूआत करने के लिए कहा गया है।

परामर्श में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश में कम से कम प्रदेश स्तर की एक एक प्रयोगशालाएं और बड़े राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में क्षेत्रीय स्तर की प्रयोगशालाएं होनी चाहिए, जिससे आसपास के सभी स्रोतों का नियमित रूप से परीक्षण किया जा सके। इसी प्रकार, सभी जिलों में जिला स्तरीय प्रयोगशालाएं होनी चाहिए।

लोकसभा में 8 मार्च 2021 को पेश, जल शक्ति मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने समिति को बताया कि राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उप मिशन को मार्च 2017 में लागू किया गया था, जिसके तहत आर्सेनिक/फ्लोराइड से प्रभावित 27,544 ग्रामीण बस्तियों को साल 2021 तक सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिये चिन्हित किया गया था।

विभाग ने समिति को लिखित में बताया कि 20 राज्यों के 251 जिलों की 48,969 ग्रामीण बस्तियां जल गुणवत्ता एवं संदूषण समस्या का सामना कर रही हैं। जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जल गुणवत्ता निगरानी के लिये 10-15 सदस्यीय पानी समितियों के गठन की संकल्पना की गई। इसके तहत पानी समितियों में 50 प्रतिशत महिलाओं, 25 प्रतिशत कमजोर वर्ग के लोगों को चिन्हित कर उन्हें प्रशिक्षित करने का सुझाव दिया गया।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत, कुल आवंटित निधि का 2 प्रतिशत तक जल गुणवत्ता की निगरानी और निरीक्षण गतिविधियों पर उपयोग किया जाना है। इसके तहत प्रशिक्षण कार्य में मुख्य रूप से विभाग द्वारा प्रयोगशाला परीक्षण के माध्यम से जल गुणवत्ता निगरानी और समुदाय द्वारा फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके स्थानीय जल स्रोतों का परीक्षण शामिल है।

स्वच्छता एवं पेयजल विभाग के आंकड़े के अनुसार, जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद देश में 6,05,040 गाँवों में से अब तक 1,36,971 में ही पानी समितियों का गठन हुआ है, जो कुल का करीब 23 प्रतिशत है।

विभाग के आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश के 18,650 गांवों में से 7065 में पानी समिति का गठन हुआ है जबकि बिहार के 39708 गांवों में से 139 में और छत्तीसगढ़ के 19698 ग्रामों में से 9896 में पानी समिति का गठन किया गया है। इसी तरह, गुजरात के 18191 गांवों में से 13500 , हरियाणा के 6814 ग्रामों में से 5901 में पानी समिति गठित की गई है।

इसी प्रकार, कर्नाटक के 28883 गांवों में से 1212 में , मध्य प्रदेश के 51674 गांवों में से 7020 में, महाराष्ट्र के 40596 गांवों में से 8040 में , ओडिशा के 47411 गांवों में से 533 में, राजस्थान के 43323 ग्रामों में से 33153 में, पश्चिम बंगाल के 41357 गांवों में से 444 में पानी समिति का गठन किया गया है।

उल्लेखनीय है कि 2019 में जल जीवन मिशन की घोषणा के समय, लगभग 3.23 करोड़ ग्रामीण परिवारों (17 प्रतिशत) के पास नल के पानी के कनेक्शन थे। जल शक्ति मंत्रालय का दावा है कि इसके बाद कोविड-19 महामारी के बावजूद 4.17 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में नल से जल मुहैया कराने के लिये पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं।