कोरोना काल में अमेरिकी-चीनी वैज्ञानिकों का संपर्क खड़े कर रहा है कई सवाल


डॉ. एंथनी और चीन के महामारी विशेषज्ञ डॉ. जॉर्ज गाउ, जो चायनीज सेन्टर फॉर डिजीज कंट्रोल के डायरेक्टर हैं, दोनों के बीच कोरोना वायरस के दुनिया में फैलने के समय लगातार बातचीत हो रही थी! चीनी वैज्ञानिकों के साथ उनका यह संपर्क, अब कई बड़े सवाल खड़े कर रहा है।


गिरीश मालवीय
मत-विमत Updated On :

कोरोना काल मे अमेरिकी राष्ट्रपति के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार एंथनी फाउची के ई मेल सामने आने से, बहुत से छिपे हुए तथ्य सामने आ गए हैं, लेकिन सबसे पहले तो यह समझिए कि यह कोई लीक नहीं है, बल्कि यह मेल वाशिंगटन पोस्ट और बज फीड को अमेरिका के “फ्रीडम ऑफ इंफॉर्मेशन एक्ट” के तहत प्राप्त हुए है। यह अमेरिका का आरटीआई है। भारत में तो हम आरटीआई  में ऐसे लेटर्स के सामने आने की कल्पना भी नही कर सकते।

इन ईमेल्स से पता चला है कि डॉ. एंथनी फाउची,  कोरोना के संक्रमण के शुरूआती महीनों में, चीन के शीर्ष महामारी विशेषज्ञों से, लगातार संपर्क में थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. एंथनी और चीन के महामारी विशेषज्ञ डॉ. जॉर्ज गाउ, जो चायनीज सेन्टर फॉर डिजीज कंट्रोल के डायरेक्टर हैं, दोनों के बीच कोरोना वायरस के दुनिया में फैलने के समय लगातार बातचीत हो रही थी! चीनी वैज्ञानिकों के साथ उनका यह संपर्क, अब कई बड़े सवाल खड़े कर रहा है।

दूसरी बात यह है कि इनमे बिल गेट्स की भी पोल खुल गई है, जो अपने आपको इस महामारी में बतौर एक बड़े परोपकार के तौर पर पेश करते आए हैं!

लीक हुए ईमेल में डॉ. फाउची, “बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन” के एक एक्जिक्यूटिव के साथ भी हुई बातचीत शामिल हैं जो गेट्स फाउंडेशन में टीकाकरण के प्रभारी बताए जाते हैं!

“एंथनी फाउची-बिल गेट्स बातचीत” को अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने सार्वजनिक किया है। दोनों के ये बीच बातचीत, कोरोना महामारी के आने के शुरूआती दिनों में हुई थी।

एक अप्रैल’ 20 को डॉ. एंथनी फाउची ने बिल गेट्स से टेलीफोन पर बातचीत की थी, जिसमें वो “बिल गेट्स-मेलेनिया फाउंडेशन” को कोरोना वायरस वैक्सीन निर्माण के लिए कहा था। एक ईमेल में बिल गेट्स से डॉ. एंथनी फाउची कहते हैं कि “उन्हें सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए।”

आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि बिल गेट्स, वेक्सीन इंडस्ट्री के कोलम्बस कहे जाते हैं। बिल गेट्स स्वीकार कर चुके हैं कि सीरम इंस्टीट्यूट को एस्ट्राजेन्का ऑक्सफर्ड कोविड वैक्सीन का कांट्रेक्ट दिलाने में उनका बड़ा रोल है, मोडरना की वेक्सीन भी उन्हीं के द्वारा फंडेड है।

खास बात यह है कि अमेरिका ने अपने यहां अभी तक, एस्ट्राजेन्का की वेक्सीन को, अमेरिकी नागरिकों को लगाने की अनुमति नही दी है, जबकि उसके पास 6 करोड़ डोज फालतू पड़ी हुई है। वह इसे दूसरे देशो को बतौर मदद के लिए भी नहीं भेज रहा है! उसका मानना है कि ‘यदि वह स्वंय के नागरिकों को इसको लगाने की अनुमति नहीं दे रहा तो दूसरे देश के नागरिकों को यह वेक्सीन कैसे लगाने के लिए भेज दे ?

बात सही भी है, लेकिन भारत ब्राजील ओर अन्य कई थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज में इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है और इसके कई एडवर्स इफेक्ट सामने आए हैं, लेकिन किसी के मुँह से आवाज नहीं निकल रही है, क्योंकि उसके पीछे “बिल गेट्स फाउंडेशन” है!