नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उन्होंने अपना जीवन भारत की एकता और प्रगति के लिए खपा दिया। भारतीय जनसंघ के संस्थापक और इसके पहले अध्यक्ष डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज 120वीं जयंती है. डॉक्टर मुखर्जी जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 के मुखर विरोधी थे। उनका सपना था आजाद कश्मीर, जिसे अब जाकर भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार ने साकार किया है।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मैं श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें नमन करता हूं। उनके ऊंचे आदर्श लाखों लोगों को आज भी प्रेरित करते रहते हैं। डॉक्टर मुखर्जी ने भारत की एकत और प्रगति के लिए अपना जीवन खपा दिया। उन्होंने एक असाधारण विद्वान के रूप में भी अपनी पहचान बनाई।’’
I bow to Dr. Syama Prasad Mookerjee on his Jayanti. His lofty ideals motivate millions across our nation. Dr. Mookerjee devoted his life towards India’s unity and progress. He also distinguished himself as a remarkable scholar and intellectual.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2021
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनके सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचार चिरकाल तक प्रासंगिक रहेंगे।
शाह ने ट्वीट कर कहा, ‘‘डॉ. मुखर्जी ने अपनी दूरदर्शी सोच से देश में शिक्षा, स्वास्थ्य व औद्योगिक विकास की मजबूत नींव रखने और सामरिक दृष्टि से भारत को सशक्त बनाने में अहम योगदान दिया। उनके सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचार चिरकाल तक प्रासंगिक रहेंगे। ऐसे अप्रतिम राष्ट्रनायक की जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन।’’
डॉ. मुखर्जी ने अपनी दूरदर्शी सोच से देश में शिक्षा, स्वास्थ्य व औद्योगिक विकास की मजबूत नींव रखने और सामरिक दृष्टि से भारत को सशक्त बनाने में अहम योगदान दिया। उनके सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचार चिरकाल तक प्रासंगिक रहेंगे।
ऐसे अप्रतिम राष्ट्रनायक की जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन।
— Amit Shah (@AmitShah) July 6, 2021
उन्होंने कहा कि ‘‘एक राष्ट्र, एक निशान, एक विधान’’ के प्रणेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के लिए देशहित से ऊपर कुछ नहीं था और भारत की अखंडता के लिए उनके बलिदान और संघर्ष ने कश्मीर और बंगाल को देश का अभिन्न अंग बनाए रखा।
‘एक राष्ट्र, एक निशान, एक विधान’ के प्रणेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के लिए देशहित से ऊपर कुछ नहीं था। भारत की अखंडता के लिए उनके बलिदान और संघर्ष ने कश्मीर और बंगाल को देश का अभिन्न अंग बनाए रखा। डॉ. मुखर्जी राष्ट्र पुनर्निर्माण में स्वदेशी नीतियों के दृढ़ समर्थक थे।
— Amit Shah (@AmitShah) July 6, 2021
उन्होंने कहा, ‘‘मुखर्जी राष्ट्र पुनर्निर्माण में स्वदेशी नीतियों के दृढ़ समर्थक थे।’’
आपको बता दें कि वर्ष 1901 में तत्कालीन कलकत्ता (कोलकाता) में जन्में मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाया था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर पूरी तरह से भारत का हिस्सा बने, साथ ही वहां देश के अन्य राज्यों जैसे हालात और माहौल बन सके। जम्मू-कश्मीर में भी सभी राज्यों की तरह भारत का कानून लागू हो। इसके लिए उन्होंने आवाज भी बुलंद की थी। उनका मानना था कि एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे।
लगातार दूसरी बार केंद्र की सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया।
मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बनी।