COVID-19 : कोराना का अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा गहरा प्रभाव, जा सकती हैं 52 प्रतिशत नौकरियां


संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी कहा हैकि कोरोना वायरस न केवल जीवन,बल्कि नौकरियों के लिए भी खतरा साबित हो रहा है। इस महामारी से दुनिया भर में लगभग2.5करोड़ नौकरियां खत्म हो सकती हैं,लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित नीतिगत कार्रवाई के जरिए वैश्विक बेरोजगारी के प्रभाव को कम कम किया जा सकता है।



नयी दिल्ली. कोरोना वायरस के सामुदायिक फैलाव को रोकने के लिए किए गए 21 दिन के
देशव्यापी पाबंदियों का अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव होगा। भारतीय उद्योग परिसंघ
(सीआईआई) एक सर्वेक्षण के हवाले से भारी संख्या में लोगों की नौकरी जाने का अंदेशा
जताया है।
सीआईआई के करीब
200 मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के बीच किए गए ऑनलाइन सर्वेक्षण ‘सीआईआई सीईओ स्नैप पोल’ के मुताबिक
मांग में कमी से ज्यादातर कंपनियों की आय गिरी है। इससे नौकरियां जाने का अंदेशा
है।

सर्वेक्षण
के अनुसार, ‘‘चालू तिमाही (अप्रैल -जून) और पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च)
के दौरान अधिकांश कंपनियों की आय में 10 प्रतिशत से अधिक कमी आने की आशंका है और
इससे उनका लाभ दोनों तिमाहियों में पांच प्रतिशत से अधिक गिर सकता है।’’ सीआईआई ने कहा कि घरेलू कंपनियों आय और लाभ दोनों में इस तेज गिरावट का असर
देश की आर्थिक वृद्धि दर पर भी पड़ेगा। रोजगार के स्तर पर इनसे संबंधित क्षेत्रों
में 52 प्रतिशत तक नौकरियां कम हो सकती हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार लॉकडाउन खत्म
होने के बाद 47 प्रतिशत कंपनियों में 15 प्रतिशत से कम नौकरियां जाने की संभावना
है। वहीं 32 प्रतिशत कंपनियों में नौकरियां जाने की दर 15 से 30 प्रतिशत होगी। 
वहीं संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी कहा कि कोरोना वायरस
न केवल जीवन के लिए, बल्कि नौकरियों के लिए भी खतरा साबित हो रहा है। इस
महामारी के कारण दुनिया भर में लगभग 2.5 करोड़ नौकरियां खत्म
हो सकती हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित नीतिगत
कार्रवाई के जरिए वैश्विक बेरोजगारी के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।
अंतरराष्ट्रीय
श्रम संगठन (ILO) ने “कोविड-19 ने
भी अपनी प्रारंभिक मूल्यांकन रिपोर्ट में कार्यस्थल में श्रमिकों की सुरक्षा,
अर्थव्यवस्था को मदद और रोजगार तथा आमदनी को बनाए रखने के लिए
तत्काल, बड़े पैमाने पर और समन्वित उपायों का आह्वान किया है।