
आईपीएस अधिकारी आभास कुमार को पुलिस महानिदेशक(डीजीपी) के पद पर पदोन्नत किया गया है। आभास कुमार 1990 बैच के आईपीएस और वर्तमान में तमिलनाडु सीआईडी (नागरिक आपूर्ति) के प्रमुख हैं। लेकिन यहां चर्चा का विषय पुलिस महानिदेशक पद पर उनकी पदोन्नति नहीं बल्कि पुलिस विभाग में सरकारी कर्तव्यों का पालन करते हुए नागरिक सुरक्षा, मानवाधिकार की रक्षा, मानवीय संवेदनशीलता और कानून की रक्षा करना है।
आभास कुमार का जन्म 1965 में बिहार राज्य के पटना हुआ था. पटना से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए वह दिल्ली आये। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली और 1990 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में आईपीएस चयनित हुए। आभास कुमार पुलिस सेवा में अपनी मानवीयता और संवेदनशीलता के लिए जाने जाते है।
दक्षिणी तमिलनाडु में जातीय दंगों को कड़ाई से दबाने के लिए उन्हें प्रसिद्धि मिली। उन्होंने जन भागीदारी के माध्यम से तमिलनाडु के जिला मुख्यालय विरुदुनगर में एक नहर पर 40 फुट के पुल के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसने विरुदुनगर शहर में यातायात की भीड़ को काफी हद तक कम कर दिया। आज भी इसे स्थानीय लोगों द्वारा पुलिस ब्रिज के नाम से जाना जाता है।
वह थाना स्तर पर मानवाधिकार प्रकोष्ठों का गठन करने वाले देश के पहले पुलिस अधिकारियों में से एक हैं। मानवाधिकार के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए कामराज विश्वविद्यालय, मदुरै ने उच्च अध्ययन के लिए ‘मानवाधिकार’ पर पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए उन्हें अपने पैनल में शामिल किया। उनके प्रयासों के लिए उन्हें सांप्रदायिक सद्भाव पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।
युवाओं के प्रशिक्षण के क्षेत्र में किए गए प्रयासों के लिए तमिलनाडु के पेरियार विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद अतिथि संकाय के रूप में नियुक्त किया। उन्होंने विश्वविद्यालय में ‘नेतृत्व’ विषय पर कई मॉड्यूल संचालित किए हैं। उनके कार्यक्रमों में देश के कुछ शीर्ष शिक्षाविदों ने भाग लिया। विनयगा डीम्ड यूनिवर्सिटी, सलेम में इस विषय पर उनके द्वारा आयोजित संगोष्ठी में देश में चिकित्सा पेशे के क्षेत्र में शीर्ष नामों ने भाग लिया। उनकी कई तरह की रुचियां हैं और उनके लेख देश की कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
भारत के चुनाव आयोग ने उन्हें मई 2004 में संसद के आम चुनावों के दौरान मदुरै शहर के पुलिस आयुक्त के रूप में तैनात किया, जब विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ कई आरोप लगाए। 14 अगस्त 2007 को उन्हें तमिलनाडु के राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला द्वारा गांधी सहयोग पुरस्कार (एसोसिएट ऑफ गांधी अवार्ड) से सम्मानित किया गया। वह प्रतिष्ठित ‘मेधावी सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पदक’, 2007 और ‘प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक’, 2014 से भी नवाजे जा चुके हैं।
चुनाव आयोग उन्हें मई 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान मदुरै शहर का पुलिस आयुक्त नियुक्त किया. जब लोकसभा का चुनाव तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री करुानिधि के बेटे एमके अलीगिरी लड़ रहे थे. दिसंबर 2009 में फिर उन्हें भारत के चुनाव आयोग ने तमिलनाडु में दक्षिण क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (IGP)बनाया। इसके बाद अभास कुमार ने तिरुचेंदूर निर्वाचन क्षेत्र के लिए तमिलनाडु विधानसभा के उपचुनाव की निगरानी की।
आभास कुमार को तमिलनाडु पुलिस अकादमी, ओणमंचेरी, चेन्नई का आईजीपी भी बनाया गया था। इसके बाद वह तमिलनाडु पुलिस के अपराध शाखा, एसआईटी का भी नेतृत्व किया और राज्य में नशीले पदार्थों के नियंत्रण को लागू करने के प्रभारी थे। उन्होंने वर्ष 2010 में कुछ समय के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का भी नेतृत्व किया और राज्य में नक्सल विरोधी अभियानों में शामिल रहे। यह आभास कुमार की ईमानदारी का ही सबूत है कि उन्हें तमिलनाडु में सब इंस्पेक्टर के पदों के लगभग 2500 उम्मीदवारों के साक्षात्कार के लिए बोर्ड के सदस्य के रूप में चुना गया था। आभास कुमार चुनाव आयोग, तमिलनाडु सरकार के साथ-साथ जनता की अपेक्षाओं पर हमेशा खरे उतरे।