कुशीनगर: मधुबनी प्रखंड के दहवा स्थिति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सिविल सर्जन के द्वारा जांच करने आने की सूचना लगते ही चाक चौबंद सुविधा नजर आया। ग्रामीणों के द्वारा इस बात का चर्चा बना रहा कि काश प्रतिदिन ऐसे ही सुविधा चाक चौबंद रहता। ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों के द्वारा सीएचसी प्रभारी पर शिकायतों का तांता लगा रहा। शिकायतों के पूछताछ में सीएस के सामने ही आपस मे स्वास्थ्य कर्मी लड़ने लगे। जिसके बाद सीएस ने डाट फटकार लगाते हुए शांत कराया। ग्रामीणों के द्वारा तमाम शिकायतों के बाद भी मामला ठंडा बस्ता में रख दिया गया है।
ग्रामीण व जनप्रतिनिधि सिविल सर्जन के जाने तक अस्पताल में रुके रहे। एम्बुलेंस रोस्टर के रजिस्टर जांच में बिना काम के ही फर्जी सिग्नेचर मिला, जिसपर सीएस ने कार्यवाही का आदेश दिया। ग्रामीणों के द्वारा जर्जर एम्बुलेंस के शिकायत पर सीएस ने शख्त आदेश दिया कि एम्बुलेंस खराब होने पर अस्पताल परिसर से बाहर रखने को कहा गया।
ग्रामीणों ने मांग किया कि सीएचसी में महिला चिकित्सक, नवजात शिशु चिकित्सक की पदस्थापना व अल्ट्रासाउंड सहित अन्य जांच की सुविधा हो। जिस पर सीएस ने पल्ला झाड़ लिया। अस्पताल में मरीजों के साथ गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार एवं अस्पताल कर्मी द्वारा रेफर मरीजों को निजी नर्सिंग होम में रेफर करने के आरोप भी लगाया गया। जिसपर सिविल सर्जन ने कहा कि लिखित शिकायत मिलने पर कार्रवाई किया जाएगा।
“इंटरनेट मीडिया पर होती रही प्रभारी का शिकायत”
मधुबनी सीएचसी से बार बार इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जिला मुख्यालय में शिकायत पहुंच रहा था। आरोप था कि यहां रोस्टर मुताबिक डाक्टर ड्यूटी पर नहीं रहते हैं। जीवनरक्षक दवाइया भी नही मिलता है। इन्हीं सब बिन्दुओं की सघन जांच हुई है। जांच में बार बार ग्रामीण सीएचसी प्रभारी पर लापरवाही का आरोप लगाते रहे।
जिस पर प्रभारी आरोप में घिर रहे। अस्पताल परिसर में ग्रामीणों के समक्ष सीएस ने स्वास्थ्य सेवा में पूर्ण सहयोग के आग्रह करने की बात बताई। जबकि विभाग के सभी प्रतिनियुक्ति डाक्टरों को अपने मूल स्थान पर सेवा लेने की हिदायत भी दी गई।
(अखिलेश अंजन की रिपोर्ट)