ग्लासगो। स्कॉटलैंड के ग्लासगो में विश्व के 130 से अधिक नेता सोमवार से शुरू हो रहे महत्वपूर्ण सीओपी26 अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे और इस बारे में बात करेंगे कि ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के खतरे के बारे में उनके अपने देश में कौन से कदम उठाए जा रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से लेकर सेशेल्स के राष्ट्रपति वैवेल जॉन चार्ल्स रामकलावन तक, से यह कहने की उम्मीद की जाती है कि उनका देश इस खतरे से निपटने के लिए किस तरह अपनी पूरी कोशिश करेगा।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन सम्मेलन में दुनिया के शीर्ष नेताओं के सामने बढ़ते हुए वैश्विक तापमान की चुनौती से निपटने की रूपरेखा प्रस्तुत करेंगे। जॉनसन अपने संबोधन में दुनिया के नेताओं से जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की अपील करेंगे।
बाइडन, जॉनसन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह सहित सबसे प्रमुख नेता सोमवार को मंच संभालेंगे।
संयुक्त राष्ट्र की पूर्व जलवायु सचिव क्रिस्टियाना फिगुएरेस ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि 2015 के ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते को सफल बनाने पर किये गये कार्यों पर चर्चा होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘पेरिस में दो लक्ष्यों के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये थे, एक तो वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 डिग्री फारेनहाइट) तक सीमित रखना और दूसरा 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य स्तर तक लाना।
सबसे अधिक कार्बन प्रदूषण करने वाले देश चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ग्लासगो के सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सदी में वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ने से रोकने के लक्ष्य को पूरा करने की संभावना धीरे-धीरे कम होती जा रही है।