विकसित देश के पैमानों से कितना दूर है भारत?


किसी भी देश को विकसित बनने के लिए उसकी अर्थव्यवस्था सबसे अहम होती है। भारत इस वक्त दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत की जीडीपी 3.74 ट्रिलियन डॉलर है।


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नई दिल्ली। क्या भारत एक विकसित देश है? नहीं, आजादी के 77 साल बाद भी भारत विकसित देशों की लिस्ट से कोसों दूर है। मोदी सरकार ने साल 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा है। लेकिन क्या ये सपना साकार हो पाएगा?

किसी भी देश को विकसित बनने के लिए उसकी अर्थव्यवस्था सबसे अहम होती है। भारत इस वक्त दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत की जीडीपी 3.74 ट्रिलियन डॉलर है।

अनुमान है कि साल 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर के साथ भारत तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। हालांकि फिर भी भारत विकसित देशों की लिस्ट में शामिल नहीं पाएगा। आइए समझते हैं विकसित देश होने का क्या होता है पैमाना, कितना बड़ा है यह लक्ष्य और कैसे हासिल किया जा सकता है।

कौन से देश हैं विकसित

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया में ऐसे कई देश हैं जो विकसित माने जाते हैं। इनमें पहला नाम नॉर्वे का है। नॉर्वे दुनिया में सबसे ज्यादा विकसित लोकतांत्रिक और न्यायिक देश कहा जाता है। इसके बाद स्विटजरलैंड, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, कनाडा, फ्रांस, रूस, ऑस्ट्रेलिया, स्वीडन और इटली जैसे देशों का नाम आता है।

ये देश दुनिया के बाकी देशों से बहुत अलग हैं। इन्हें औद्योगिक देश भी कहा जाता है। यहां के लोगों की इनकम बहुत ज्यादा होती है। यहां के नागरिक क्वालिटी हेल्थ केयर और हायर स्टडी का फायदा उठाते हैं। इन देशों के पास एडवांस टेक्निकल इंफ्रास्ट्रक्चर होता है।

क्या भारत विकासशील देश है?

भारत एक विकासशील देश था पहले, अब ये अतीत की बात है। वर्ल्ड बैंक ने भारत को ‘लोअर मिडिल इनकम’ वाले देशों में शामिल किया है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार, जिन देशों की प्रति व्यक्ति आय 1085 डॉलर से कम है उन्हें लो इनकम देश कहा जाता है। 1086 डॉलर से 4125 डॉलर के बीच प्रति व्यक्ति आय वाले देशों को लोअर मिडिल इनकम देश और कहा जाता है।

भारत में प्रति व्यक्ति आय करीब 2500 डॉलर है। भारत के साथ पाकिस्तान भी ‘लोअर मिडिल इनकम’ वाले देशों में शामिल है। खास बात ये है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश चीन विकसित नहीं है। वर्ल्ड बैंक ने चीन को ‘अपर मिडिल इनकम’ कैटेगरी में रखा है।

विकसित और विकासशील देश में अंतर

विकसित और विकासशील देश में कई अंतर होते हैं, लेकिन कोई सटीक परिभाषा नहीं है। विकसित देश स्वतंत्र और समृद्ध होते हैं। इन देशों की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और प्रति व्यक्ति आय ज्यादा होती है।

विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था कमजोर होती है और प्रति व्यक्ति आय कम होती है। विकसित देशों में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा जैसी सुविधाओं की गारंटी होती है। विकासशील देशों में इन सुविधाओं का स्तर कम होता है।

विकसित देशों में पढ़े लिखे लोगों की संख्या (Literacy Rate) आमतौर पर 90% या उससे अधिक होती है, जबकि विकासशील देशों में यह 70% या उससे कम होती है। विकसित देशों में पर्यावरण संरक्षण (Environment Protection) के लिए अधिक कानून और नियम होते हैं। विकासशील देशों में लोगों का जीवन स्तर औसत होता है और मॉडर्न टेक्नोलॉजी की कमी होती है।

विकसित देश होने का क्या होता है पैमाना

विकसित देश होने के लिए कोई एक मापदंड या पैमाना नहीं है। विकसित देश बनने के लिए कई आर्थिक और सामाजिक कारण निर्भर करते हैं। इसमें सबसे अहम होता है प्रति व्यक्ति आय।

वर्ल्ड बैंक के अनुसार, अगर किसी देश में प्रति व्यक्ति आय सालाना 12 हजार डॉलर यानी 10 लाख रुपये से ज्यादा है तो वह देश विकसित माना जाता है।

भारत को विकसित देशों की लिस्ट में शामिल होने के लिए इन चार पैमानों पर खरा उतरना होगा- ग्रॉस नेशनल इनकम (GNI), पर कैपिटा इनकम (PCI), ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्शन (GDP) और ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (HDI)।

2047 तक भारत कैसे बनेगा विकसित देश

भारत को विकसित देश बनने के लिए इंडस्ट्रियलाइजेशन बढ़ाना होगा। माना जाता है कि जितना ज्यादा इंडस्ट्रियलाइजेशन होगा वो देश उतना ही विकसित होता है।

देश इंडस्ट्रियलाइजेशन होने से रोजगार और निर्यात दोनों बढ़ता है। अभी भारत का आयात ज्यादा है और निर्यात कम। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, 2020 में ग्लोबल एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 3.6 फीसदी थी, जबकि चीन का हिस्सा 34 फीसदी से ज्यादा था।

एक अन्य कारण है गरीबी। विकसित देशों में गरीबी न के बराबर होती है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति हर दिन 2.15 डॉलर (करीब 180 रुपये) से कम कमाता है, तो वह बेहद गरीब कहा जाता है।

वहीं भारत में वह व्यक्ति गरीबी रेखा से नीचे नहीं माना जाता है अगर वह गांव में रहकर हर दिन 26 रुपये और शहर में रहकर हर दिन 32 रुपये खर्च करने में सक्षम है।

अमीरी-गरीबी का फासला

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में कहा था, भारत में गरीब और अमीर लोगों के बीच का फासला बढ़ा है। दुनिया की 5वीं अर्थव्यवस्था होने के बावजूद यहां के लोग गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, जातिवाद, अस्पृश्यता और महंगाई का सामना कर रहे हैं। अमीर और गरीबी की खाई गहरी होती जा रही है। हमें इस खाई को पाटने की जरूरत है।

केंद्रीय मंत्री ने इस समस्या का समाधान भी बताया। उन्होंने कहा कि अमीर-गरीब का फासला कम करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में काम करने की जरूरत है।

देश के 124 जिले सामाजिक और शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में पिछड़ रहे हैं। उन्होंने उन जिलों को विकसित करने के लिए एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया। कहा कि शहरी क्षेत्रों में खूब विकास हुआ है ग्रामीण इलाकों में सुविधाओं का अभाव है। इस कारण एक बड़ी आबादी गांव से शहरों की ओर पलायन कर कर रही है।

हालांकि इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (IMF) का अनुमान है भारत अगर अगले कुछ सालों तक 7 फीसदी से ज्यादा ग्रोथ के साथ आगे बढ़ता है तो 2030 तक देश की जीडीपी 7.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी।

भारत सरकार ने 2047 तक विकसित देश बनने का लक्ष्य रखा है। नीति आयोग 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की विकसित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार कर रही है।

नीति आयोग के अनुसार, 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत को 2030 से 2047 तक हर साल 9% की रफ्तार से आगे बढ़ना होगा। तभी विकसित देश का लक्ष्य हासिल हो पाएगा। तब 2047 में भारत में प्रति व्यक्ति आय 10 लाख से ज्यादा होने का अनुमान है।