
बांग्लादेश की सेना में असंतोष बढ़ रहा है, जो भविष्य में कभी भी गंभीर संकट का रूप ले सकता है। सेना प्रमुख और एक वरिष्ठ जनरल के बीच टकराव से बाहरी हस्तक्षेप का रास्ता खुल गया है।
दरअसल, पाकिस्तान अब कट्टरपंथी गुटों और सेना के एक धड़े के समर्थन से ढाका में प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। यह स्थिति बांग्लादेश की स्थिरता और भारत के लिए चिंता का विषय बन गई है।
बांग्लादेश की सेना के भीतर इस विवाद की जड़ विचारधाराओं का टकराव है। जून 2024 में सेना प्रमुख बने जनरल वकार-उज-जमान को भारत के साथ संतुलन बनाने वाले नेता के रूप में देखा जाता है। वहीं, उनके विरोधी लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान, जो क्वार्टर मास्टर जनरल (QMG) हैं, पाकिस्तान और कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के समर्थक माने जाते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2024 की शुरुआत में फैजुर रहमान ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख से मुलाकात की थी। इस बैठक में खुफिया नेटवर्क स्थापित करने पर चर्चा हुई, जिससे सेना प्रमुख जमान की स्थिति को सीधी चुनौती मिली। यह बैठक बांग्लादेश की सेना में बाहरी प्रभाव के बढ़ते दखल का भी संकेत देती है। फैजुर रहमान की ओर से सेना प्रमुख को हटाने की कोशिशों की खबरें भी सामने आई हैं। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में रहमान ने जनरलों की एक बैठक बुलाई थी, जिसे शक्ति परीक्षण के रूप में देखा गया। हालांकि, उम्मीद के मुताबिक समर्थन न मिलने के कारण यह प्रयास कमजोर पड़ गया। इसके बाद से सेना प्रमुख जमान ने रहमान की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी है।
जनरल जमान स्पष्ट रूप से राजनीति से सेना को दूर रखने के पक्षधर हैं। उन्होंने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सेना को जल्द ही बैरकों में लौट जाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने कट्टरपंथियों के प्रभाव से पुलिस और सुरक्षा बलों के कमजोर होने के खतरे को भी उजागर किया।
बता दें कि फैजुर रहमान का नेतृत्व वाला सेना का एक धड़ा पाकिस्तान और कट्टरपंथियों के करीब माना जाता है। यह गुट बांग्लादेश में पाकिस्तान को फिर से प्रभावी बनाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तानी आईएसआई, बांग्लादेश के जरिए भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में अस्थिरता फैलाने की रणनीति पर काम कर रही है, और इसके लिए वह अपने समर्थक जनरल को शीर्ष पद पर देखना चाहती है।