बिहार चुनाव में सुरक्षा के मद्देनजर केंद्रीय बलों की 350 से 400 कंपनी की तैनाती संभव

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बिहार Updated On :

बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने के लिए केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ी तैयारी शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में लगभग 350 से 400 कंपनी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और अन्य राज्यों की पुलिस इकाइयों को तैनात किया जाएगा।

जानकारी के अनुसार, एक सीएपीएफ कंपनी में लगभग 70 से 80 जवान होते हैं। इस हिसाब से बिहार में हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे, जो चुनाव के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए विभिन्न जिलों और संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी ड्यूटी निभाएंगे। अधिकारियों ने कहा कि इन बलों में वे इकाइयां भी शामिल होंगी, जो सामान्य समय में अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा करती हैं।

निर्वाचन आयोग के सूत्रों के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा अक्टूबर की शुरुआत में होने की संभावना है। चुनावी कार्यक्रम तय होते ही केंद्रीय बलों की कंपनियों को बिहार भेजने की प्रक्रिया तेज कर दी जाएगी। अभी से ही संबंधित इकाइयों को तैयारी करने और तैनाती के लिए आदेश दिए जा चुके हैं।

बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों पर चुनाव होना है। आयोग का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर चुनाव के दौरान राज्य की स्थानीय पुलिस बल अकेले पर्याप्त नहीं होगी। ऐसे में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की मौजूदगी मतदान केंद्रों और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा का भरोसा दिलाएगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार जैसे बड़े और राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में चुनावी हिंसा और गड़बड़ी की आशंका हमेशा बनी रहती है। इसे देखते हुए निर्वाचन आयोग हर बार बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों को तैनात करता है। इस बार भी आयोग की प्राथमिकता यही है कि मतदाता बिना किसी डर और दबाव के मतदान कर सकें।

अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय बलों को न केवल मतदान वाले दिन बल्कि उससे पहले चुनाव प्रचार, नामांकन और मतगणना की प्रक्रिया के दौरान भी जिम्मेदारी दी जाएगी। उनका मुख्य काम मतदान केंद्रों की सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण और किसी भी आपात स्थिति से निपटना होगा।

कुल मिलाकर, बिहार चुनाव के लिए इस बार भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। निर्वाचन आयोग और सुरक्षा एजेंसियां मिलकर यह सुनिश्चित करने में जुटी हैं कि लोकतंत्र का यह महापर्व पूरी शांति और पारदर्शिता के साथ संपन्न हो।



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