टैरिफ टेंशन और GST रिफॉर्म के बीच रेपो रेट में नहीं बदलाव, RBI की मोनेट्री पॉलिसी का ऐलान


आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद बुधवार को घोषणा की गई कि ब्याज दरों (रेपो रेट) में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। यानी अगस्त के बाद अब अक्टूबर में भी रेपो रेट को 5।5 प्रतिशत रखा गया है। इससे पहले रेपो रेट में इस साल कटौती करते हुए 100 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती की गई थी।

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता बनी हुई है। घरेलू स्तर पर जीएसटी रिफॉर्म और महंगाई नियंत्रण जैसे मुद्दे अहम हैं। बाजार को उम्मीद थी कि आरबीआई इस बार सतर्क रुख अपनाएगा।

लोन और EMI लेने वालों के लिए फिलहाल कोई राहत नहीं, क्योंकि ब्याज दरें पहले जैसी ही रहेंगी। बैंकों के लिए भी उधारी की लागत में कोई बदलाव नहीं होगा। निवेशकों के लिए संकेत है कि आरबीआई फिलहाल स्थिरता बनाए रखना चाहता है और किसी बड़े बदलाव के मूड में नहीं है। इसका असर शेयर बाजार, बॉन्ड मार्केट और रुपये की चाल पर देखने को मिल सकता है।

ब्याज दर स्थिर रहने से इन पर मिलाजुला असर दिख सकता है। निवेशकों को राहत है कि लोन डिमांड बनी रहेगी। ब्याज दरें नहीं बढ़ीं, मतलब होम लोन और ऑटो लोन महंगे नहीं होंगे। विदेशी निवेशकों (FII) के लिए संकेत है कि आरबीआई सावधानी से कदम बढ़ा रहा है। इससे बाजार में थोड़ी स्थिरता आ सकती है, लेकिन ग्लोबल अनिश्चितताओं का असर फिर भी रहेगा।



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