
दशहरा की धूम में जहां एक तरफ रावण का पुतला जल रहा है, वहीं दूसरी तरफ तेलंगाना की शराब की दुकानों पर भी रावणों की भीड़ उमड़ पड़ी! जी हां, त्योहार की चमक-दमक के साथ-साथ शराब की बिक्री ने भी नया रंग चढ़ा दिया है। आंकड़ों पर नजर डालें तो दशहरा से ठीक पहले के तीन दिनों में राज्य भर में 700 करोड़ रुपये से ज्यादा की शराब बिक चुकी है। यह आंकड़ा न सिर्फ गत वर्ष के पूरे दशहरा सीजन को पीछे छोड़ रहा है, बल्कि उत्सव की रंगीन शामों को और भी चटपटा बना रहा है।
कल्पना कीजिए गांधी जयंती के ‘ड्राई डे’ का साया मंडराते हुए भी शराब प्रेमी पीछे नहीं हटे। आठ अक्टूबर को गांधी जयंती पड़ने की खबर सुनते ही ‘मद्य बाबू’ यानी शराब दुकानदारों ने एक्शन मोड में आकर स्टॉक की भारी भरकम लिफ्टिंग शुरू कर दी। नतीजा? सितंबर 30 को ही रिकॉर्ड 333 करोड़ रुपये की बिक्री! यह दिन ऐसा चमका कि लगे मानो दशहरा की आतिशबाजी शराब की बोतलों से ही हो रही हो। उसके पहले के दो दिनों में भी 367 करोड़ रुपये का कारोबार, कुल मिलाकर तीन दिनों में 697.23 करोड़ रुपये का धमाल।
गत वर्ष की तुलना करें तो आंखें फटी रह जाएंगी। 2024 के दशहरा के आठ दिनों में जहां 852।38 करोड़ रुपये की बिक्री हुई थी, वहीं इस बार सिर्फ तीन दिनों में ही 82% लक्ष्य हासिल! आबकारी विभाग के अधिकारियों की मानें तो यह उछाल त्योहार की पार्टियों, परिवारिक जमावड़ों और देर रात की गपशपों का कमाल है। लोगों ने ‘ड्राई डे’ से पहले ही सब कुछ ‘वेट’ कर लिया,” एक दुकानदार ने हंसते हुए कहा, “अब तो दशहरा की शामें बिना ‘टॉप-अप’ के अधूरी लगेंगी!”
यह रिकॉर्ड ब्रेकिंग बिक्री राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए भी मील का पत्थर साबित हो रही है। तेलंगाना में शराब से होने वाली कमाई 2014 में महज 10,000 करोड़ रुपये थी, जो अब 2024-25 में 34,600 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। दशहरा जैसे त्योहार इस ‘लिक्विड गोल्ड’ को चमकाने में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन सवाल यह भी उठता है-क्या यह उत्सव की खुशी है या फिर आदत का धागा? स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि ‘चीयर्स’ के बीच ‘केयर’ भी जरूरी है, वरना सुबह का सिरदर्द त्योहार की मस्ती को फीका कर सकता है।