विभाजन के समय उनके परिवार का सब कुछ वहीं छूट गया था। संवेदनशील बलराज को अपने जन्मस्थान और वास्तविक वतन की बहुत याद आती।
एच.एस. रवैल अपने समय के मशहूर निर्माता-निर्देशक थे। वह मुस्लिम सामाजिक फिल्मों के उस्ताद निर्देशक माने जाते थे।
फिल्मी दुनिया में में शून्य से शिखर तक पहुंचने के कई किस्से हैं ...बिल्कुल फिल्मी अंदाज में ऐसा ही कुछ घटित हुआ जयराज के साथ जिनका मूल नाम था पैयादिपति जयराज ।
दुनिया में सबसे ज्यादा फ़िल्मों का निर्माण हमारे देश में किया जाता है लेकिन यदि हम इनकी गुणवत्ता की बात करें तो कुछ अपवादों को छोड़कर यह कहीं नहीं टिकती। विश्व सिनेमा की…
डी. एन.मधोक को ज्यादातर फिल्म प्रशंसक चालीस और पचास के दशक के एक लोकप्रिय गीतकार विशेषत: तानसेन के यादगार गीत- दिया जलाओ जगमग जगमग, जिसे कुंदन लाल सहगल की आवाज़ और फ़िल्म रतन…
काम की तलाश में घूम रहीं दुर्गा 10 मिनट के इस रोल के लिए तुरंत तैयार हो गई। फिल्म सफल रही लेकिन उनकी काफी आलोचना हुई।
अपने कैरियर की शुरुआत में अभिनय के अच्छे अवसर न मिलने पर बलराज साहनी ने कई तरह के काम किए। उनके दोस्त चेतन आनंद ने अपनी फिल्म कंपनी ‘नवकेतन’ के बैनर तले बन…
वैजयंतीमाला और दिलीप कुमार की जोड़ी अपने समय की लोकप्रिय जोड़ी थी जिसे दर्शक भी काफी पसंद करते थे। दिलीप कुमार ने वैजयंती माला के साथ सात फ़िल्में कीं -देवदास, नया दौर,मधुमति, पैगाम,…
अपनी दुर्लभ आवाज और अभिनय प्रतिभा के बल पर कुंदन लाल सहगल ने भारतीय सिनेमा के चौथे दशक में जो छवि बनाई।
फिल्म "जॉनी मेरा नाम" प्रदर्शित होने के कुछ दिन बाद ऐसा संयोग बना कि गोल्डी ने दिलीप कुमार, देव आनंद और राज कपूर, तीनों को साथ लेकर एक फिल्म बनाने की योजना बनाई।
यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म "कभी-कभी" 1976 में आई एक हिट फिल्म थी। इसमें ऋषि कपूर ने शशि कपूर और राखी के नौजवान बेटे का रोल किया था जो अमिताभ की पत्नी वहीदा…
'वह कौन थी' फिल्म सफल रही और महबूब खान की भविष्यवाणी बिल्कुल सही साबित हुई। लेकिन फिर भी उनके मन के किसी कोने में हीरो बनने की आस थी जिसके चलते वे निर्माता…
1959 में यह फिल्म रिलीज़ हुई और गजब की हिट रही । संगीत निर्देशक शंकर जयकिशन की जोड़ी का मानना था कि फिल्म की कहानी बहुत अच्छी नहीं है और इसमें संगीत के…
फिल्म 75 प्रतिशत बन चुकी थी की तभी अचानक के. आसिफ साहब नही रहें और फिल्म फिर अधूरी रह गई … बहुत समय के बाद के. सी. बोकाडिया ने इस फिल्म को पूरा…
झगड़ा इतना बढ़ा कि किशोर ने कहा कि अब वह नागपुर ही जाएंगे और कभी लौट कर नहीं आएंगे। बुखार की हालत ही में वीटी स्टेशन से कोलकाता मेल में एक सूटकेस और…
सुन ले मारवाड़ी मेरे मुकाबले साले तूने फिल्म मैगजीन निकाली है साल भर के अंदर तेरी मैगजीन बंद न करवा दूं तो मेरा नाम बाबूराव पटेल नहीं। जैन ने खिल खिलाकर अपनी पतली…
दिलीप कुमार को इस बात पर आज तक गर्व है कि उनके भाषण की वजह से देशवासियों की सच्ची भावनाएं अंग्रेजों के सामने प्रकट हो पाई और उन्हें "गांधीवादियों" के साथ एक रात…
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की रामायण को धारावाहिक फिल्म के रूप में बनाने का प्रयास 1945 में ही किया गया था। इस प्रयास के पीछे थे बरेली के प्रख्यात राधेश्याम कथावाचक और…
'धूल का फूल' जिसे बीआर फिल्म्स ने बनाया था के पोस्टरों पर लिखा था पंडित मुखराम शर्मा की ' धूल का फूल'।
मीना कुमारी जो फिल्म की नायिका थीं को जब निर्देशक से यह पता चला कि हलाकू की भूमिका प्राण कर रहे हैं तो थोड़ी निराश हुईं। लेकिन सेट पर आते ही जब उन्होंने…
हिंदी फिल्मी दुनिया को सपनों की दुनिया जैसा मायावी बनाकर बड़े पर्दे पर पेश करने वाले अनेक चेहरे हैं...उनकी कहानियां भी फिल्मों जैसी ही रोचक अजूबी और मायावी हैं... आइए शामिल होते हैं…