संपूर्ण भारत में आजादी के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का आयोजन किया जा रहा है। चूंकि, महिलाएं भी भारत में आधी–आबादी के नाम से जानी जाती हैं तो…
1990 के दशक में सरकार ने उदारीकरण तथा भूमंडलीकरण के तहत नई-आर्थिक-नीतियाँ लागू कीं । बाजार को खुली छूट दी जाने लगी जिसके कारण विदेशी वस्तुओं का बाजार में भरमार होने लगी। देशी…
बुंदेलखंड एवं मध्यप्रदेश में निवास करने वाली ‘बेड़िया-समुदाय’ की स्थिति कुछ और ही है। वैसे तो इस समुदाय का पारंपरिक व्यवसाय चोरी/डकैती रहा है पर, धीरे-धीरे इन्होंने राई-नृत्य को अपना व्यवसाय बनाया ।…
परंपरा और आधुनिकता के बीच संबंध और बदलाव को ‘मेंटेन’ करने का पूरा दायित्व स्त्रियों पर ही तय हुआ। बाजार इसमें एक महत्त्वपूर्ण कड़ी रही। स्त्री को परंपरा के दायरे में रहकर आधुनिक…
प्रधानमंत्री ने बीते दिनों में लड़कियों के विवाह की उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव का ऐलान किया था।
सभ्यता के आरंभिक इतिहास से यह ज्ञात होता है कि मानव समाज गुफाओं और कंदराओं में रहा करता था। मनुष्य (स्त्री-पुरुष) आखेट/शिकार करके अपना जीवन यापन किया करते थे। धीरे-धीरे स्त्री-पुरुष छोटे-छोटे समूह…
हमारे समाज में हमेशा से ही एकल स्त्री का होना अप्राकृतिक माना जाता रहा है और ऐसी स्त्री को ‘सशंकित दृष्टि’ से भी देखा जाता रहा है । अकेली स्त्री का आशय उस…
भारत में लगभग हर आदिवासी समुदाय की अपनी संस्कृति, भाषा, इतिहास और सामाजिक-व्यवस्थाएं होती हैं। औपनिवेशिक शासन के दौरान लगभग सभी आदिवासी समुदाय दमन और शोषण के शिकार हुए हैं।
इस पूजा की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि, भारतीय संस्कृति और आस्था के नाम पर महिला और पुरुष दोनों समान रूप से निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में अपना दखल देते हैं।
गांधीजी ने कहा था, “मैं भारत के लिए काम करूंगा जिसमें निर्धन लोग यह महसूस कर सकें कि यह उनका देश है। जिसके निर्माण में उनकी प्रभावकारी वाणी रही है, वह भारत जिसमें…
खासतौर से उत्तर भारतीय समाज में आमतौर पर, लड़की के अभिवावक अपनी लड़की का हाथ अपने अनुसार ढूंढ़े गये वर को ही सौंपते हैं। रीति-रिवाज के साथ कन्या का हाथ वर को सौंपने…