इस लेख में लोहिया पूरे भारतीय इतिहास की व्याख्या नहीं करते। उसके लिए उनकी इतिहास चक्र की अवधारणा को देखना होगा। लेकिन आधुनिक काल की व्याख्या करते हुए लोहिया याद दिलाते हैं कि…
कानूनी मर्यादा से बड़ा सवाल संवैधानिक मर्यादा का है। क्या हमारे देश का प्रधानमंत्री (या संवैधानिक पद पर आसीन कोई भी व्यक्ति) बतौर प्रधानमंत्री किसी धार्मिक अनुष्ठान का जजमान बन सकता है?
पिछले 63 साल में भारत का सफर हमें इंसाफ की डगर से बहुत दूर ले आया है। हम हर सवाल को अपने-पराए की नजर से देखते हैं अगर शिकार मेरे अपने धर्म या जाति का…
महात्मा गांधी का शहादत दिवस 30 जनवरी इस महीने के सभी सूत्रों को हमारे गणतंत्र से जोड़ता है। राम के भक्त की हिंदू उग्रवादी द्वारा हत्या राम के नाम पर चल रही समकालीन…
मेरी राजनीतिक दीक्षा गांधीवादी समाजवादी धारा में हुई, लेकिन आदर्श की राजनीति केवल इस धारा तक सीमित नहीं रही। आजादी से पहले की कांग्रेस और बाद में सोशलिस्ट, कम्युनिस्ट और जनसंघ में भी बेशुमार नेता…
हैट्रिक वाले मिथक की जांच के लिए इतिहास की समीक्षा जरूरी है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव के कुछ ही महीनों में लोकसभा का चुनाव पिछले 2 दशक से चला आ रहा है। पिछली…
इस घटना के बारे में आए अनेक वीडियो और प्रमाण भी देखता रहा हूं, मीडिया और निहित स्वार्थों द्वारा फैलाए प्रोपेगंडा को भी सुनता रहा हूं। कुल मिलाकर देश के सामने अद्र्धसत्य से…
शिशिर डेबनाथ, सौरभ पॉल और कोमल सरीन ने अपने शोध में एक बड़े सवाल को केंद्र में रखा है। क्या शराबबंदी से महिलाओं पर होने वाली हिंसा में कमी होती है? इस संबंध…
अगर मेरे सामने या मेरे पड़ोस में छेडख़ानी की घटना होती है तो मैं उस पर आंख मूंदकर दूर-दराज में हुई हत्या और रेप की चर्चा नहीं कर सकता, उस घटना पर प्रतिक्रिया…
अपने ऐतिहासिक भाषण की शुरुआत में ही स्वामी जी कहते हैं: "मैं एक ऐसे धर्म का अनुयाई होने में गर्व का अनुभव करता हूं जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति दोनों की…
इन दिनों मणिपुर भारतीय राष्ट्रवाद की परीक्षा ले रहा है। भारत की यह मणि टूट रही है। भारत मां के 120 बच्चे उसकी गोद में हमेशा के लिए सो चुके हैं। कोई 45,000…
हमारे वक्त की एक पहचान ये है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी हिंदू-धर्म, परंपरा, राष्ट्रवाद आदि जिन जिन दायरों पर अवैध कब्ज़ा करते जा रहे हैं, सेक्युलर राजनीति खुद वहां से…
पहली नजर में सुंदर लगने वाली इस व्याख्या में पेंच यह है कि हमारे देश में शादी,तलाक और उत्तराधिकार के बारे में अलग-अलग प्रथाएं चली आ रही हैं। अलग धर्मावलंबियों की बात छोड़…
कर्नाटक में बीजेपी की निर्णायक हार के साथ दक्षिण भारत से उसकी वापसी की शुरूआत हो सकती है। इससे भी ज्यादा अहम बात यह कि बीजेपी की हार से सड़कों और गलियों में…
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह कहना बिल्कुल वाजिब है कि हिंदू राष्ट्र की बात करने से खालिस्तान की मांग को शह मिलती है। अगर देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन लोग…
शिक्षा-जगत से संबंधित भारत का अग्रणी स्वयंसेवी संगठन प्रथम इस बीच कई किस्म की किताबें ले आया है और प्रथम ने किताबों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की कोशिश की है।
सीबीआई मनीष सिसोदिया के आवास पर छापा मारकर अपनी जरूरत की चीजें कब्जे में ले चुकी थी। जाहिर है, फिर इस बात का खतरा नहीं था कि सबूत मिटा दिए जाएंगे। इस बात…
हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है? हमें लोकतंत्र को महत्व क्यों देना चाहिए? हम राष्ट्रीय गौरव से कैसे संबंधित हैं? क्या अल्पसंख्यक अधिकार एक अच्छा विचार है? धर्मनिरपेक्षता से हमारा क्या तात्पर्य है?…
बी.बी.सी. ने पहली बार खबर दी कि पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस हार रही है और खुद संजय गांधी और इंदिरा गांधी भी अपने चुनाव क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं। बी.बी.सी. ने ही…
उद्योगपति गौतम अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्ते छुपे नहीं हैं। वर्ष 2000 में मोदी जी के गुजरात का मुख्यमंत्री बनने से पहले अडानी की कुल सम्पत्ति 3300 करोड़ रुपए थी। मोदी जी के मुख्यमंत्री…
असर 2018 की रिपोर्ट बताती थी कि कक्षा 5 में पढऩे वाले बच्चों में से सिर्फ 51 प्रतिशत ही कक्षा 2 की साधारण पुस्तक का सरल सा पैरा भी पढ़ पाते थे। यह…
आज जो कुछ देश में हो रहा है उसे भारत के स्वधर्म पर हमला कैसे कहा जा सकता है? इस लेख की पिछली 3 कडिय़ों में हमने यह देखा कि आज की परिस्थिति…
किसी देश की यात्रा को जांचने-परखने का पैमाना उसका स्वधर्म ही हो सकता है। पहले धर्म और स्वधर्म की व्याख्या के बाद लेख की पिछली कड़ी इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि भारत…
इस सिलसिले की आखिरी बात यह कि यह यात्रा सिर्फ कांग्रेसजन की यात्रा नहीं है। भारत जोड़ो यात्रा को ऐसे कई जन-आंदोलनों और संगठनों, जन-बुद्धिजीवियों तथा गणमान्य नागरिकों का समर्थन हासिल है जिनका…
देशधर्म का कालखंड राज्य सत्ता के युग परिवर्तन से परिभाषित होता है। औपनिवेशिक भारत का युगधर्म अलग था, स्वतन्त्र भारतीय गणतंत्र का युगधर्म अलग है।