भूमि का उद्धार करते भगवान वाराह, शेषसायी विष्णु, महिष का मर्दन करती दुर्गा, ये सभी सबसे अनूठी और हैरान कर देने वाली, आकर्षित करती हुई प्रतिमाएँ हैं। इनके बारे में जितना कहा जाए…
डॉ. राधाकृष्णन भारतीय समाज को सच्चे अर्थ में स्वतंत्र बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने भारतीय चिन्तन धारा का आश्रय लिया। उन्होंने एक ऐसे भारत की कल्पना की, जहाँ सच्ची सभ्यता के मूल्यों का…
धरती का स्पर्श जरूरी होता है, सिर्फ मुहावरों में नही। सचमुच माँ की तरह सहेज लेती है, इसकी गोद में बैठो तो।
अंग्रेजी भाषा एक विकल्प के तौर पर नहीं, बल्कि आवश्यक रूप से आना विवशता बनती जा रही है।
मुंह में पान भरे हुए चालक और फिर उनका बोलना, आपको अच्छा लगे सो डे देना, अरे मियां बैठाओ बाजी को बैठाओ, आराम से अप्पी, बड़ी बी बैठ गई आराम से? चलें? वैसे…
सारनाथ, मथुरा, नालंदा, अजंता , बेरुल, सांची, भोजपुरी, कोणार्क इत्यादि (लगभग पूरे भारत में) घूमते हुए वहाँ के शिल्प पर लोहिया जी ने जो व्याख्या की वो अतुलनीय है। अमूमन शिल्प देखते हुए…