भीड़ के लिहाज से तेजस्वी की सभाएं सब पर भारी


विभिन्न नेताओं की रैलियों में जुट रही भीड़ को ही जनसमर्थन का पैमाना माने जाए तो प्रधानमंत्री मोदी को छोड़ तेजस्वी यादव एनडीए के सभी नेताओं पर भारी ही नहीं, बहुत भारी पड़ते दिख रहे हैं।


अनिल जैन अनिल जैन
बिहार चुनाव 2020 Updated On :

बिहार में दूसरे दौर के मतदान के लिए प्रचार के अंतिम दिन रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार रैलियों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री का बिहार में यह तीसरा चुनावी दौरा था। पहली दो चुनावी यात्राओं के दौरान उनकी रैलियों में उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं जुट पाई थी, लेकिन आज तीसरी यात्राओं के दौरान उनकी चारों रैलियों में पहले के मुकाबले भीड़ ठीक-ठाक रही। जाहिर है कि भाजपा के प्रादेशिक नेताओं और संबंधित क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवारों के अतिरिक्त प्रयासों से ही ऐसा हो पाया।

पहले दौर के लिए हुए मतदान वाली सीटों पर मतदाताओं का मिजाज अपने खिलाफ भांपकर एनडीए यानी जनता दल (यू) और भारतीय जनता पार्टी की ओर से दूसरे दौर के मतदान वाली सीटों पर चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी गई, जिसका असर मोदी की रैलियों में जुटी भीड़ के रूप में भी देखने को मिला। दूसरी ओर राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और वामपंथी दलों के महागठबंधन की ओर से प्रचार की कमान मुख्य रूप से तेजस्वी यादव ने ही संभाली।

दूसरे दौर के मतदान वाली सीटों पर चुनाव प्रचार के लिए एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्रियों और प्रादेशिक नेताओं ने धुआंधार दौर कर सभाओं को संबोधित किया।

विभिन्न नेताओं की रैलियों में जुट रही भीड़ को ही जनसमर्थन का पैमाना माने जाए तो प्रधानमंत्री मोदी को छोड़ तेजस्वी यादव एनडीए के सभी नेताओं पर भारी ही नहीं, बहुत भारी पड़ते दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री की पहली और दूसरी चुनावी यात्रा के दौरान हुई कुछ सभाएं तो भीड़ के लिहाज से तेजस्वी की सभाओं के मुकाबले भी फीकी थीं।

प्रधानमंत्री मोदी ने पहले की तरह इस दौरे में भी अपनी चारों रैलियों में राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव को तो मुख्य रूप से निशाने पर रखा ही, उनके साथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। मोदी ने तेजस्वी यादव और राहुल गांधी निशाना साधते हुए कहा कि आज बिहार में एक तरफ डबल इंजन’ की सरकार है तो दूसरी तरफ डबल युवराज हैं। जो हाल उत्तर प्रदेश चुनाव के चुनाव में डबल युवराज का हुआ, वही बिहार में भी होगा, खासकर जंगलराज के युवराज का।

चुनाव कहीं भी हो, मोदी का भाषण पाकिस्तान, आतंकवाद और भारतीय सेना के पराक्रम का जिक्र किए बगैर पूरा नहीं होता। इन रैलियों में भी प्रधानमंत्री मोदी ने पुलवामा हमले को लेकर पाकिस्तान के मंत्री के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अब तो साफ हो गया है कि उस हमले के पीछे पाकिस्तान का ही हाथ था।

मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस मामले में भी हमेशा की तरह विपक्ष को निशाने पर रखा और परोक्ष रूप से उसे पाकिस्तान तथा आतंकवादियों का हमदर्द बताया, लेकिन यह नहीं बताया कि पाकिस्तानी मंत्री के इस कुबूलनामे के बाद उनकी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ क्या करने जा रही है।

गौरतलब है कि जब पाकिस्तान पुलवामा हमले में अपनी भूमिका को नकार रहा था तब तो भारत सरकार ने उसकी सीमा में स्थित आतंकवादियों के अड्डों को सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए नष्ट करने का दावा किया था।

मोदी के भाषणों की उल्लेखनीय बात यह रही कि उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं की चर्चा तो की लेकिन बिहार की बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, बुरी तरह बिगड़ी हुई कानून-व्यवस्था जैसी समस्याओं पर कोई बात नहीं की। इन मुद्दों की ज्यादा चर्चा करने से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए के दूसरे नेता भी बच रहे हैं। जबकि तेजस्वी यादव अपने प्रचार अभियान में सिर्फ इन्हीं मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।

मोदी ने स्थानीय मुद्दों में सिर्फ छठ पूजा का जिक्र किया और नाटकीय अंदाज में कहा, ”मैं बिहार की माताओं को कहना चाहता हूँ कि आप छठ पूजा की तैयारी करो, दिल्ली में आपका बेटा बैठा है।’’ मोदी लोगों को यह भी याद दिलाना नहीं भूले कि छठ पूजा के पर्व को ध्यान में रखते हुए ही केंद्र सरकार की ओर से लोगों को छठ पूजा तक मुफ्त अनाज की सुविधा जारी रखी गई है।

रविवार को प्रधानमंत्री का दौरा शुरू होने से पहले भी तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए मोदी को इन मुद्दों पर बात करने की चुनौती दी। तेजस्वी ने प्रधानमंत्री की रैलियां खत्म होने के बाद भी इन्हीं मुद्दों को लेकर उन पर निशाना साधा और उनके डबल इंजन वाली सरकार के डॉयलॉग की खिल्ली उड़ाई।

तेजस्वी ने प्रचार के अंतिम दिन 19 रैलियां कीं और प्रधानमंत्री से 11 सवाल पूछे। उनका ज़ोर बेरोजगारी पर ही था। उन्होंने बार-बार 10 लाख रोज़गार सृजित करने का दावा किया और राज्य की आर्थिक स्थिति के लिए नरेंद्र मोदी व नीतीश कुमार पर चोट की।

तेजस्वी अपने भाषणों और ट्वीट के जरिए दिए जा रहे बयानों में इस बात की पूरी सावधानी बरत रहे हैं कि उनका प्रचार अभियान कहीं मुद्दे से न भटक जाए। इस सिलसिले में वे न तो प्रधानमंत्री की ओर से किए जा रहे निजी हमलों पर और न ही भाजपा के दूसरे नेताओं के सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने वाले बयानों पर कोई प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

एनडीए और महागठबंधन के अलावा दो अन्य गठबंधन भी चुनाव मैदान में हैं। एक गठबंधन रालोसपा, बसपा और ओवैसी की पार्टी का है तो दूसरा गठबंधन पप्पू यादव और दलित नेता चंद्रशेखर आजाद की पार्टी का। इनके अलावा चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी चुनाव मैदान में है। भीड़ के लिहाज से इनमें से सिर्फ ओवैसी और चिराग पासवान की सभाओं में ही थोड़ी बहुत भीड़ रहती है। दिलचस्प बात यह है कि इन दोनों के बारे में ही यह माना जाता है कि चुनाव मैदान में इनकी मौजूदगी भाजपा को फायदा पहुंचाने वाली है।