
दूसरे चरण से पहले एनडीए गठबंधन मे आपसी विश्वास टूटता नजर आ रहा है। जनता दल यूनाइटेड के एक सांसद के वायरल ऑडियो ने एनडीए गठबंधन में आपसी विश्वास को काफी घटा दिया है। वायरल ऑडियो ने साफ संकेत दिए है कि दूसरे और तीसरे चरण में नीतीश कुमार की पार्टी के कार्यकर्ता भाजपा के खिलाफ मोर्चेबंदी कर रहे है। नीतीश की पार्टी ने यह तैयारी पहले चरण के मतदान के बाद आयी रिपोर्ट के कारण की है।
पहले चरण के मतदान के बाद रिपोर्ट आयी है कि भाजपा ने कई जगहों पर जद यू को वोट ट्रांसफर नहीं करवाया। जबकि जद यू ने अपना वोट भाजपा को ईमानदारी से ट्रांसफर करवाया। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पहले चरण में आयी नेगेटिव रिपोर्ट के कारण जनता दल यूनाइटेड ने दूसरे और तीसरे चरण मे भाजपा को झटका देने की योजना बनायी है। हालांकि वायरल आडियो को लेकर सफाई दी जा रही है। लेकिन दोनों पार्टियों के बीच अविश्वास काफी बढ़ चुका है।
वायरल वीडियो में जद यू के सांसद अजय मंडल पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवार को हराने की बात कर रहे है। जद यू के एक कार्यकर्ता से बातचीत में अजय मंडल कह रहे है कि उच्च स्तर से उन्हें भाजपा का विरोध करने का निर्देश मिला है। क्योंकि जहां भी जद यू के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे है, वहां लोजपा ने भाजपा के इशारे पर उम्मीदवार खड़ा किया है।
सांसद का ऑडियो वायरल होने के बाद बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने सांसद से नाराजगी जतायी है। पीरपैंती में आयोजित रैली में उन्होंने कहा कि सांसद गठबंधन विरोधी काम कर रहे है, मतदाताओं में भ्रम फैला रहे है। जबकि सांसद ने आडियो वायरल होने के बाद सफाई दी है कि तोड़ मरोड़ कर आडियो को सुनाया जा रहा है।
एनडीए की घटक भाजपा को अब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से उम्मीद है। मैक्रों के दिए गए ब्यान के बाद भारत में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया है। इसे भाजपा बिहार चुनाव में भुनाने की कोशिश कर रही है। भाजपा को लगता है कि मैक्रों के खिलाफ मुसलमानों के हुए प्रदर्शन के बाद हिंदुओं का ध्रुवीकरण होगा। इसका लाभ भाजपा को मिलेगा। वहीं भाजपा की एक औऱ उम्मीद औवेसी की पार्टी अभी भी है।
हालांकि पहले चरण में औवैसी की पार्टी कुछ खास नहीं कर पायी। मुसलमानों का वोट एकमुश्त महागठबंधन को गया है। लेकिन भाजपा को अभी भी लग रहा है कि औवैसी की पार्टी मुसलमानों का वोट काटेगी। इससे महागठबंधन का नुकसान होगा। हालांकि औवेसी दूसरी और तीसरे चरण में कितने वोट कांटेंगे यह समय बताएगा।
हालांकि उनकी रैलियों में भीड़ आ रही है। पहले चरण में भी औवेसी की कुछ रैलियों में अल्पसंख्यकों की भीड़ आयी। लेकिन ये भीड़ वोट में नहीं बदल सकी। पर अल्पसंख्यकों की भीड़ देख भाजपा को अभी भी कुछ उम्मीद है। भाजपा को लगता है कि औवेसी बिहार के सीमांचल इलाके में मुस्लिम वोट काटेंगे। इसका सीधा नुकसान महागठबंधन को होगा।
भाजपा की परेशानी तेजस्वी की सटीक गेंदबाजी है। वे एनडीए को डिफेंसिव कर चुके है। उनकी रैलियों में आयी भीड़ उत्साहित है। उनमें जोश है। युवाओं में काफी ज्यादा जोश है। ये जोश भाजपा की रैलियों में नहीं दिख रहा है। नीतीश कुमार की रैलियो में भीड़ विरोध भी कर रही है। नीतीश इस हद तक परेशान है कि रैलियों में उनकी जुबान फिसल रही है।
तेजस्वी यादव ने पहले 10 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया। उन्होंने एक और वादा सरकारी कर्मचारियों के साथ कर दिया है। इस वादे के बाद एनडीए कैंप में घबराहट फैल गई है। तेजस्वी यादव ने कहा है कि सरकारी कर्मचारियों को 50 वर्ष की उम्र पर रिटायरमेंट संबंधी सरकार की योजना उनकी सरकार बनते ही खत्म कर दी जाएगी। इससे सरकारी कर्मचारी खुश हो गए है।
चुनाव के वक्त सरकारी कर्मचारियों की अहम भूमिका होती है। जिस तरह से पिछले कुछ समय में सार्वजनिक क्षेत्र में कर्मचारियों की नौकरियां गई है, उससे बिहार के सरकारी कर्मचारियों में भी भय़ है। इसलिए तेजस्वी का यह वादा काम कर गया है। जद यू और भाजपा दोनों के पास तेजस्वी के इस वादे का जवाब नहीं है।
भाजपा की चिंता बढ़ने के वाजिब कारण है। नीतीश कुमार की रैलियों में जनता का विरोध देखा जा रहा है। लेकिन उम्मीद के विपरित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों में भी जनता उत्साहित नहीं दिख रही है। प्रधानमंत्री की अभी तक हुई रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए भाजपा ने 5-6 जिलों के कार्यकर्ताओं को रैली में भिजवाया। ताकि कुर्सियों को भरा जा सके।
भाजपा नेता स्वीकार कर रहे है कि जनता में अब प्रधानमंत्री को लेकर उत्साह नहीं है। रैलियों में आगे की कुर्सियों पर दूसरे राज्यो से आए कार्यकर्ताओं को भी बिठाना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री के खुद के भाषण में वो जोश नहीं दिख रहा है, जो पहले दिखता था। प्रधानमंत्री अब रटा-रटाया भाषण अपनी रैलियों में दे रहे है। जिस पर बिहार की जनता शायद ही विश्वास करें।
अगड़ी जातियों के मतदाता जो पहले प्रधानमंत्री के भाषण से खासे प्रभावित होकर रैलियों में आते थे, वे इस बार रैलियों से गायब है। लॉक डाउन के कारण प्रवासी बिहारियों का प्रधानमंत्री पर विश्वास काफी कम हो गया है। इसलिए भाजपा को प्रधानमंत्री की रैलियों का लाभ मिलता नहीं दिख रहा है। भाजपा जिला और ब्लॉक स्तर पर केंद्रीय मंत्रियों का कार्यक्रम करवा रही है।
पटना शहर के विधानसभा सीटों पर भाजपा को हार का भय सता रहा है। फुलवारी विधानसभा क्षेत्र में सांसद रामकृपाल यादव को भारी विरोध का सामना करना पड़ा है। पटना की शहरी सीटों पर जीत पक्की करने के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नडडा ने बुद्धिजीवियों की एक बैठक पटना स्थित पार्टी कार्यालय में बुलायी। वे खुद बैठक में शामिल हुए। इसमें पटना के वकील, डॉक्टर आदि शामिल हुए है।