रामविलास पासवान की मृत्यु पर बढ़ा विवाद, मांझी की न्यायिक जांच की मांग को चिराग ने बताया षडयंत्र


चिराग पासवान ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने ‘‘उनके साथ राजनीतिक बदला लेने के लिए एक साजिश रची है’’ और उन्हें एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लोजपा के अभियान को कुंद करने के लिए ‘एचएएम’ को भावनात्मक मुद्दा बनाने के लिए उकसाया है।


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बिहार चुनाव 2020 Updated On :

पटना। राजग गठबंधन की सहयोगी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (एचएएम) के नेता जीतन राम मांझी ने रामविलास पासवान के निधन की न्यायिक जांच की सोमवार को मांग की जिसके बाद लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने दावा किया कि यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक ‘‘षड्यंत्र’’ है ताकि उन्हें ऐसे समय संदेह के घेरे में लाया जाए जब चुनाव चल रहा है।

चिराग पासवान ने मांझी पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को इस मुद्दे के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब उनके पिता अस्पताल में भर्ती थे तब मोदी उनकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकारी लेने के लिए उन्हें प्रतिदिन फोन करते थे। उन्होंने कहा कि कभी-कभी प्रधानमंत्री लोजपा संस्थापक की स्थिति के बारे में चिकित्सकों से जानकारी लेने के बाद उन्हें बताने के लिए भी फोन करते थे।

मांझी ने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वे मामले में चिराग पासवान की संदिग्ध भूमिका को उजागर करने के लिए रामविलास पासवान की मृत्यु मामले की न्यायिक जांच का आदेश दें।’’

एचएएम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने भी मोदी को पत्र लिखकर इस मांग का समर्थन किया। रिजवान ने साथ ही इसमें चिराग के उस वीडियो का हवाला भी दिया जिसमें वह अपने पिता की मृत्यु के एक दिन बाद एक वीडियो संदेश जारी करने से पहले कथित तौर पर पूर्वाभ्यास करते और वहां उपस्थित लोगों के साथ अपने बालों को लेकर मजाक करते भी दिख रहे हैं।

चिराग पासवान ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने ‘‘उनके साथ राजनीतिक बदला लेने के लिए एक साजिश रची है’’ और उन्हें एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लोजपा के अभियान को कुंद करने के लिए ‘एचएएम’ को भावनात्मक मुद्दा बनाने के लिए उकसाया है।

मांझी ने सवाल किया कि किसने अस्पताल को पासवान का नियमित स्वास्थ्य बुलेटिन जारी न करने का आदेश दिया, वह ‘‘इतना बड़ा नेता’’ कौन था। मांझी ने यह भी दावा किया कि जब रामविलास पासवान अस्पताल में भर्ती थे तब लोगों को दलित नेता से मिलने से रोका गया था।

चिराग पासवान ने आठ अक्टूबर को एक ट्वीट के जरिए लोगों को अपने पिता के निधन की जानकारी दी थी। मांझी ने दावा किया है कि यह अनुमान लगाया जा रहा है कि लोजपा नेता की मृत्यु 2-3 दिन पहले ही हो गई थी।

चिराग पासवान ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘जब मेरे पिता अस्पताल में थे, तब उन्होंने मुझे फोन किया था। मैंने उन्हें सब कुछ बताया था। उन्होंने फिर न तो फिर मुझे फोन किया और और न ही पापा से मिलने अस्पताल ही आये।’’

राजग में वापसी के बाद से मांझी और उनकी पार्टी ने लोजपा को नियमित रूप से निशाना बनाया है। लोजपा बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग होने के बाद बिहार विधानसभा चुनाव अकेले ही लड़ रही है। चिराग ने मुख्यमंत्री पर कई बार निशाना साधा है।

एचएएम और लोजपा दोनों ही दलित मतदाताओं से ताकत प्राप्त करती हैं और जब दोनों 2015 के विधानसभा चुनाव में राजग में थे तब मांझी और रामविलास पासवान के बीच संबंध अच्छे नहीं थे।

लोजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘कुमार, जो अब मेरे पिता की मृत्यु को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं, उन्होंने कभी मुझे अस्पताल में उनके स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए फोन नहीं किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी दयालु थे और वह पापा के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करने के लिए दिन में लगभग दो बार मुझे फोन करते थे और कभी-कभी मुझे यह भी बताते के लिए फोन करते थे कि डॉक्टर उनकी स्थिति के बारे में क्या कह रहे हैं।’’

उन्होंने याद किया कि मोदी ने सासाराम में अपनी पहली चुनावी रैली में कहा था कि पासवान अपनी आखिरी सांस तक उनके साथ रहे।

38 वर्षीय लोजपा प्रमुख ने खुद को मोदी का हनुमान घोषित किया और कहा कि वह (मोदी) एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्होंने उनके पिता की अंतिम सांस तक उनकी चिंता की।

उन्होंने दावा किया कि पहले चरण के चुनाव के बाद लोजपा उम्मीदवारों के चेहरे पर मुस्कान है, जबकि कुमार उदास हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘नीतीश कुमार 10 नवंबर के बाद बोरिया बिस्तर बांधेंगे।’’

94 विधानसभा सीटों के मतदाता मंगलवार को मतदान करेंगे।

पासवान ने दावा किया कि चुनाव के बाद भाजपा-लोजपा की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि लोजपा कार्यकर्ता कई निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवारों की चुपचाप मदद कर रहे हैं।

लोजपा ने तीन नवंबर को दूसरे चरण के मतदान में कुल 52 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिसमें 43 सीटें ऐसी हैं जहां जदयू के उम्मीदवार मैदान में हैं।

पासवान ने जद(यू) और भाजपा के बीच दरार का संकेत देते हुए कहा कि नीतीश कुमार की पार्टी ने फिर से सत्ता में आने पर जनता के कल्याण के लिए जहां अपने ‘सात निश्चय’ को आगे बढ़ाने का फैसला किया है वहीं भाजपा ने 19 लाख रोजगार उत्पन्न करने का वादा किया है।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘तो, जद (यू)-भाजप गठबंधन की भावी सरकार द्वारा किसका एजेंडा अपनाया जाएगा?’’

लोजपा नेता ने महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव द्वारा 10 लाख सरकारी नौकरियों के वादे को ‘‘लॉलीपॉप’’ करार दिया और जानना चाहा कि 2015-17 में उप मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कार्य को पूरा क्यों नहीं किया।