लवली आनंद बेटा के साथ RJD में शामिल, कहा- NDA ने दिया राजपूत समाज को धोखा

अमरनाथ झा
बिहार चुनाव 2020 Updated On :

लालू यादव के नेतृत्व में पिछड़ावाद के उत्थान के दिनों में सवर्ण अस्मिता के प्रतीक बनकर उभरे बाहुबली राजनेता आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद राजद में शामिल हो गईं हैं जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू हैं। लवली का राजनीति में प्रवेश 1994 में हुआ जब वैशाली उपचुनाव में उन्होंने सरकार के सारे हथकंडों का नाकाम करते हुए दिग्गज राजनीतिक घराने की किशोरी सिन्हा को परास्त कर दिया था। उन्होंने 1996 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा और 1999 में पराजित हो गई।

आनंद मोहन भी दो बार विधायक रहे। एक बार बाढ़ चुनाव क्षेत्र से और दोबारा नवीनगर से। वे दो बार शिवहर से लोकसभा सदस्य (1996 और 1998) भी रहे। पर अभी गोपलगंज के डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड में हत्यारी भीड़ को उकसाने के आरोप में जेल में बंद हैं औऱ आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। लवली पार्टियां बदलते हुए कई बार चुनाव मैदान में उतरी, पर हर बार पराजित हुई।

लवली आनंद ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की, फिर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस अवसर पर लवली आनंद के बेटे चेतन आनंद भी मौजूद थे। अनुमान है कि वे राजद से टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। बाद में उन्होंने कहा कि एनडीए ने राजपूत समाज को ठगा है।

इस साल जनवरी में जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर एक समारोह किया था जिसमें राज्य के अलग-अलग हिस्सों से आए लोगों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने आनंद मोहन को रिहा करो के नारे लगाए थे। तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही आनंद मोहन बाहर होंगे और अपने साथ होंगे, लेकिन चुनाव आचार संहिता की घोषणा हो चुकी है अब तक आनंद मोहन बाहर नहीं आए और किसी तरह की कोई सुगबुगाहट भी नहीं देखी गई। इसके चलते लवली आनंद ने राजद में शामिल होने का फैसला किया।

आनंद मोहन कभी कोशी क्षेत्र के कद्दावर नेता माने जाते थे। पप्पू यादव से उनकी दुश्मनी काफी चर्चा में रही है। राजनीति में उनका प्रवेश 1990 में हुआ। तब पहली बार वे सहरसा से निर्दलीय विधायक बने। बाद में वे जनता दल में चले गए। पप्पू यादव से हिंसक टकराव की घटनाएं देश भर में सुर्खियां बनी थीं। उसी दौरान लालू सरकार के साथ भी टकराव आरंभ हो गया और बिहार पीपुल्स पार्टी की स्थापना हुई।

वैशाली उप चुनाव में लवली आनंद के सांसद बनने के बाद जी.कृष्णैया हत्याकांड में वे जेल चले गए। जेल से ही 1996 में समता पार्टी के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए। फिर जमानत और जेल का सिलसिला चला और आखिरकार उन्हें आजीवन कारावास की सजा हो गई। जेल में रहते हुए आनंद मोहन ने दो किताबें लिखी हैं।