राजग को राजेंद्र की अनदेखी शाहाबाद में पड़ी महंगी


राजेंद्र सिंह तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह के इशारे पर झारखंड से बिहार के दिनारा में अपनी राजनीतिक पारी खेलने के लिए 2015 में पहुंचे। झारखंड में राजेंद्र सिंह भाजपा के संगठन मंत्री के तौर पर रहते हुए रघुवर सरकार बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी।



बिहार विधान सभा चुनाव में राजग गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिल चुका है। भाजपा का प्रदर्शन बिहार के सभी भागों में अच्छा रहा। लेकिन शाहाबाद में अच्छा नहीं रहा। जबकि पूर्व चुनावों में राजग का शाहाबाद में काफी अच्छा प्रदर्शन रहा है। शाहाबाद में मुख्य रूप से चार जिले आते हैं-रोहतास, बक्सर, भभुआ और आरा। इन जिलों में इस हार राजग के ख़राब प्रदर्शन का कारण संघ पृष्ठभूमि वाले भाजपा नेता राजेंद्र सिंह की पार्टी नेतृत्व द्वारा अनदेखी किया जाना है।

राजेंद्र सिंह तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह के इशारे पर झारखंड से बिहार के दिनारा में अपनी राजनीतिक पारी खेलने के लिए 2015 में पहुंचे। झारखंड में राजेंद्र सिंह भाजपा के संगठन मंत्री के तौर पर रहते हुए रघुवर सरकार बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी। राजेंद्र सिंह की अहम भूमिका से प्रसन्न होकर पार्टी नेतृत्व ने राजेंद्र सिंह को उनके गृहराज्य बिहार से विधानसभा चुनाव लड़ने का संकेत दिया था।

राजेंद्र सिंह के बिहार आने से पहले ही उनके द्वारा झारखंड में भाजपा को सत्ता में पहुंचाने का संदेश ठीक उसी तरह फैल गया था, जिस तरह गांधी ने 1909 में नस्लभेद को लेकर जो आंदोलन अफ्रीका में किया और उसका प्रभाव भारत में पड़ा। गांधी के 1915 में भारत आने से पहले ही लोग उनको जान चुके थे, ठीक उसी तरह बिहार विशेषकर झारखंड के सीमावर्ती इलाका शाहाबाद में 2015 में राजेंद्र के आने के पहले ही लोग जान चुके थे। जिसका प्रभाव 2015 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला।

2015 विधानसभा चुनाव में भाजपा-जदयू दोनों अलग-अलग चुनाव लड़े थे। 2015 के विधानसभा चुनाव में दिनारा से भाजपा के उम्मीदवार राजेंद्र सिंह को बनाया गया, जो महागठबंधन के तत्कालीन उम्मीदवार जयकुमार सिंह महज ढाई हजार वोटों से हार गए। बिहार के राजनीतिक इतिहास में सामाजिक समीकरण के हिसाब से सबसे मजबूत गठबंधन 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन था, इस चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवार जयकुमार सिंह को 64500 वोट मिला था वहीं राजेंद्र सिंह 62000 वोट पाने में सफल हुए थे।

राजेंद्र सिंह चुनाव हारने के बाद लगतार क्षेत्र में लोगों से जुड़े रहे। दिनारा विधानसभा से सटे एनएच-30 के निर्माण के लिए धरना-प्रदर्शन आंदोलन करते रहे। इसका प्रतिफल हुआ कि केंद्र सरकार एनएच-30 का निर्माण फोर लाइन के तौर पर करना स्वीकार कर लिया। साथ ही क्षेत्र में करीब 10,000 बेरोजगारों को अलग-अलग माध्यम से रोजगार उपलब्ध करवाने का भी कार्य किया, जिससे राजेंद्र सिंह की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन केवल दिनारा विधानसभा में ही नहीं पूरे शाहाबाद में बढ़ने लगी।

एनडीए को शाहाबाद में बुरी तरह पराजय का मुंह 2020 के विधानसभा चुनाव में देखना पड़ा। 2020 विधानसभा चुनाव में भाजपा-जदयू के गठबंधन होने के कारण दिनारा विधानसभा जेडीयू के खाते में चली गई, हालांकि एनडीए राजेंद्र सिंह के क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता से अच्छी तरह वाकिफ था। लेकिन बीजेपी के कुछ शीर्ष नेताओं द्वारा साजिश के तहत राजेंद्र सिंह का टिकट काटकर इनको साइड-लाइन करने का प्रयास किया गया।

टिकट कटने पर राजेंद्र सिंह ने लोजपा से चुनाव लड़ने का शंखनाद किया। राजेंद्र सिंह के लोकप्रियता का आलम यह था कि एनडीए प्रत्याशी जयकुमार लड़ाई में दूर-दूर तक नहीं रहे। राजेंद्र सिंह महागठबंधन प्रत्याशी से महज 6000 वोटों से चुनाव हार गए। राजेंद्र सिंह को करीब 52000 वोट प्राप्त हुए जबकि राजद प्रत्याशी विजय मंडल को 58000 मत प्राप्त हुए।

राजेंद्र सिंह के चुनाव हारने का मुख्य कारण रहा कि इस विधानसभा में लोजपा का कोई खास आधार वोट नहीं है। जबकि क्षेत्र यादव बहुल है, राजेंद्र सिंह राजपूत जाति से आते हैं इनकी जाति दिनारा विधानसभा में दूसरे स्थान पर है। वहीं एनडीए उम्मीदवार भी राजपूत जाति से ही थे। दूसरी तरफ राजेंद्र सिंह को चुनाव हराने में पूरा प्रशासनिक तंत्र लगा हुआ था, फिर भी राजेंद्र सिंह अपनी व्यक्तिगत वोट बैंक के आधार पर महज 6000 वोट के अंतर से चुनाव हार गए। जबकि एनडीए प्रत्याशी 10 सालों से मंत्री रहे जयकुमार सिंह महज 20 से 22000 वोटों पर सिमट कर रह गये।

राजेंद्र सिंह का टिकट कटने का खामियाजा पूरे शाहाबाद में एनडीए प्रत्याशियों को भुगतना पड़ा। दिनारा विधानसभा से सटे करगहर विधानसभा में करीब 50 से 60 प्रतिशत राजपूत जाति के मतदाताओं ने लोजपा को वोट कर दिया। और एनडीए को हार का सामना करना पड़ा। वहीं सासाराम, डुंमराव में भी राजपूत जाति के मतदाताओं ने अच्छी संख्या में लोजपा को वोट कर एनडीए प्रत्याशियों को हराने में अपनी अहम भूमिका निभाई है।

आरा जिला के जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र में राजपूत जाति के करीब 70 प्रतिशत मतदाताओं ने लोजपा प्रत्याशी भगवान कुशवाहा के पक्ष में मतदान कर दिया है जिसका परिणाम यह हुआ कि जेडीयू प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गयी। वहीं बक्सर लोकसभा के एमपी अश्विनी चौबे द्वारा लगतार दिनारा विधानसभा में एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने का खामियाजा भी बक्सर, काराकाट में भाजपा उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा।