नई दिल्ली। पुलिस ने झारखंड के रांची से दुर्व्यापार (ट्रैफिकिंग) कर लाई गई एक 17 वर्षीय लड़की को गुड़गांव के एक पॉश एरिया सुशांत लोक बंग्लो से मुक्त् कराया है। गौरतलब है कि लड़की पिछले साल जून में नियोक्ताओं को 60,000 रुपये में बेची गई थी और वह वहां घरेलू नौकरानी के रूप में काम कर रही थी।
लड़की को मुक्त कराए जाने के बाद स्थानीय बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश किया गया, जहां उसका बयान दर्ज किया गया। लड़की का बयान लेने के बाद उसे एक बाल संरक्षण गृह में भेजा गया, जहां उसे मेडिकल जांच से पहले क्वारेंटाइन में रखा गया है। बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) की पहल पर पुलिस ने इस लड़की को छुड़ाया है। बीबीए के कार्यकर्ताओं ने पुलिस को सूचित किया था कि लड़की को रांची से दुर्व्यापार कर लाया गया है और उससे गुड़गांव स्थित घर में उसकी मर्जी के खिलाफ जबरिया काम कराया जाता है।
पुलिस सत्यापन प्रक्रिया और लड़की की काउंसलिंग के बाद 1 मई को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363 और 368 और 2015 के जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) के सेक्शन 75 और 79 के तहत छोटू ऊंराव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। छोटू ऊंराव ने ही लड़की का दुर्व्यापार कर उसे रांची से दिल्ली लाया था। सुशांत लोक बंग्लो के लड़की के नियोक्ता पर भी कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।
पुलिस को दिए अपने बयान में लड़की (जिसकी पहचान अभी उजागर नहीं की जा रही है) ने बताया कि छोटू उसे 2019 में दिल्ली लाया था और उसके बाद उसके साले मनोज लोहरा ने उसे ग्रेटर कैलाश के सी ब्लॉक स्थित एक घर में काम पर रखवा दिया था। ग्रेटर कैलाश में काम करने के बाद उसके नियोक्ता ने गुड़गांव स्थित सुशांत लोक बंग्लो में रहने वाली अपनी बेटी के पास उसे भेज दिया था।
लड़की ने पुलिस से जानकारी साझा करते हुए आरोप लगाया कि सुशांत लोक के जिस बंग्लो में वह काम करती थी, उसकी मालकिन प्रियंका और उसके पति उसको ठीक से खाना नहीं देते थे। देर रात तक उससे काम करवाते थे और घर से बाहर निकलने पर सख्त पाबंदी लगा दी थी। लड़की ने आरोप लगाया कि उसे कभी भी समय से वेतन का भुगतान नहीं किया गया। उसके साथ अक्सर मार-पीट की जाती थी। लड़की ने कहा कि मैं रोते हुए उनसे जब यह गुहार लगाती थी कि मुझे अपने घर भेज दीजिए, तो उस पर वे हंसने लगते थे।
लड़की ने दावा किया कि उसने किसी तरह अपने चाचा से संपर्क किया। इसके बाद चाचा के फोन पर उसने अपनी मां के साथ बात की। इस बीच लड़की की मां ने रांची स्थित एक स्वयंसेवी संस्था ‘’प्रतिज्ञा’’ को सारी बातों की जानकारी दी। जिसने दिल्ली स्थित बीबीए कार्यकर्ताओं को इस बात की सूचना दी। बीबीए ने पंचकूला में अपने सहयोगियों को तुरंत सतर्क किया, जिसने गुड़गांव पुलिस के समक्ष पूरे मामले को उठाया।
लड़की को मुक्त कराने की जानकारी देते हुए बीबीए प्रवक्ता मनीष शर्मा ने कहा कि पुलिस को दुर्व्यापारियों की भूमिका की गहराई से जांच करनी चाहिए और उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार करना चाहिए। यह सुनिश्चित होना चाहिए कि लड़की का ठीक से पुनर्वास हो और उसको गुड़गांव के नियोक्ता से बकाया सारी मजदूरी का भुगतान हो जाए।