शामली। यूपी पुलिस के मोस्टवांटेड अपराधी की उज्जैन में गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार की सुबह उसके एनकाउंटर की खबरें जैसे ही मीडिया माध्यमों से लोगों तक पहुंची, तो जनता की बांछे खिल गई। लोग योगीराज में इंसाफ की मिसालें पेश करने लगे। कई लोगों ने तो जेल में माफियाराज चला रहे बदमाशों को भी एनकाउंटर के जरिए पाताल में उतारने की बात कहीं, हालांकि यूपी पुलिस द्वारा जारी किया ब्यान मोस्टवांटेड द्वारा भागने की कोशिश के तहत हुए एनकाउंटर के ईद-गिर्द ही घूमता रहा।
शुक्रवार की सुबह आठ बजे जब लोगों ने अपने टीवी सैट खोले, तो एकाएक कानपुर के सबसे बड़े हत्यारे विकास दुबे को यमलोक पहुंचाने की खबरें टीवी स्क्रीन पर छाती नजर आई। हालांकि मीडिया बारीकि से विकास दुबे के काफिले का पीछे कर रही थी, लेकिन पुलिस की तेज रफ्तार और कोरोना काल में आम इंसानों के लिए जारी पुलिस की चेकिंग ने सभी को काफिले से पीछे धकेल दिया।
इसके बाद मीडियाकर्मियों द्वारा जब अपराधी विकास दुबे की लाश जनता को दिखाई गई, तो लोग पुलिस के एनकाउंटर को सही ठहराते नजर आए, हालांकि एनकाउंटर के बाद अपराधी से दुश्मनी दिखाने वाले राजनीति के बाशिंदे जरूर ठण्डे पड़ गए। उन्होंने इस एनकाउंटर में भी सियासी रोटियां सेंकने की कोशिश की। यें वहीं लोग थे, जो कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की शहादत के बाद चींख-चींख कर प्रदेश की योगी सरकार पर आरोप गढ़ रहे थे। हालांकि राजनीतिक गलियारों से उलट आम जनता का रूझान इस पर सरकार के साथ देखने को मिला।
जनता बोली…इसे कहते हैं इंसाफ
शामली के अजंता चौक पर मिष्ठान की दुकान करने वाले व्यापारी विकास ने बताया कि पुलिस ने अपराधी को उसके असल अंजाम तक पहुंचा दिया है, जो भी हुआ बिल्कुल ठीक हुआ। अपराधियों को दामाद बनाकर जेल में रखने से भी क्या हासिल होता है…? वक्त बदल रहा है, इसलिए संगीन अपराधों को अंजाम देने वालों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए, इससे ही तो समाज सुधरेगा।
शहर के मोहल्ला भाकूवाला निवासी नितिन ने बताया कि जिन्हें उंगलियां उठाने की आदत है, वें तो उठाएंगे ही। जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उनके लिए एनकाउंटर से बड़ी तसल्ली ओर कुछ नही हो सकती थी। यदि अपराधी विकास दुबे का एनकाउंटर ना हुआ होता, तो वह जेल में सुरक्षित रहकर फिर से अपने प्यादे खड़े कर कानून को अपनी उंगलियों पर नचाने का काम करता।
मोहल्ला शांतिनगर निवासी संजय लाला ने बताया कि कानपुर में शहीद हुए पुलिस के जवानों को यह प्रदेश सरकार की सच्ची श्रद्धांजलि है। अपराधी ने उज्जैन में कबूल किया था कि यदि मौके पर फोर्स ना आती, तो वह सभी पुलिसकर्मियों की लाशें तक जला देता। ऐसे अपराधी को जेल में बिठाकर खाना खिलाने के बजाय सीधे यमराज तक पहुंचाने की जरूरत थी, जो हुआ बिल्कुल सही हुआ।
विकास दुबे द्वारा पुलिसकर्मियों को गोली मारकर गिरफ्त से भागने की कोशिश की गई, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में वह ढ़ेर हो गया। एनकाउंटर के बाद पुलिस के अधिकारियों के इस ब्यान पर उंगलियां उठ रही है, लेकिन यह भी देखने में आ रहा है कि यें उंगलियां सिर्फ राजनीति की गलियों से ही बाहर निकल रही है, जिनकी बदौलत एक आम और छुठभैया गुण्डा बड़ा माफिया बनकर आम जनता को मौत के घाट उतारते हुए राजनेताओं के मनोरथ सिद्ध करता है।