
उच्च न्यायालय पटना के आदेश पर प्रथम जिला अपर सत्र न्यायाधीश सैयद मो. फजलुल बारी के निर्देश पर मंडल कारा में बंद अभियुक्त छोटू यादव उर्फ ब्रदी यादव के साथ पीड़िता की शादी मंगलवार को जेल परिसर में कराई गई। पीड़िता ने अभियुक्त पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पीड़िता की तीन साल की एक बच्ची भी है।
यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपी के माननीय उच्च न्यायालय में दायर जमानत आवेदन में माननीय उच्च न्यायालय, पटना ने संबंधित न्यायालय को शादी सत्यापन के बाद बेल बॉन्ड स्वीकार करने का आदेश जारी किया था। इसी आदेश के आलोक में जिला अपर सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायाधीश ने मंडल कारा अधीक्षक को जेल परिसर में ही जेल में बंद अभियुक्त कि शादी कराने का निर्देश दिया था।
न्यायालय के इसी निर्देश के आलोक में मंडल कारा परिसर में अभियुक्त छोटू यादव उर्फ बद्री यादव की शादी पीड़िता गीता कुमारी से कराई गई। इस दौरान अभियुक्त के अधिवक्ता विजय कुमार भारती व सूचिका के अधिवक्ता नितेश गुप्ता, जेलर राम विलास दास, अभियुक्त के पिता जयनारायण यादव, चाची कौशल्या देवी सहित जेलकर्मी मौजूद थे।
अपर लोक अभियोजक मिश्री लाल यादव के अनुसार मामला लौकही थाना क्षेत्र से जुड़ा है। पीड़िता कि पति कि मौत के बाद उसका छोटा भाई आरोपी छोटू यादव उर्फ ब्रदी यादव उसके साथ यौन संबंध बनाता था। इससे पीड़िता कई बार गर्भवती भी हुई, लेकिन उसे दवाई खिलाकर गर्भ गिरा दिया था। इसी क्रम में पीड़िता फिर गर्भवती हो गई। आरोपी फिर गर्भ गिराने का दबाव देने लगा। मना करने पर पीड़िता के साथ वो मारपीट भी करने लगा।
मारपीट से बचने और बच्चे के जीवन के लिए वह घर से निकल गई। इसके बाद घटना को लेकर आवेदिका गीता कुमारी ने महिला थाना में छोटू यादव उर्फ ब्रदी यादव पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसके आलोक में उच्च न्यायालय, पटना के आदेश पर प्रथम जिला अपर सत्र न्यायाधीश ने आरोपी से आवेदिका को शादी कराई।
न्यायालय के आदेश पर जेल में शादी होना एक दुर्लभ घटना है, लेकिन ऐसा संभव है। जैसा कि बिहार के सीवान जिले में मार्च 2025 में हुआ था, जहां एक युवक पर जबरन भगा ले जाने का मामला दर्ज था और कोर्ट के आदेश पर उसे जेल में सुरक्षा के बीच अपनी प्रेमिका से हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी करनी पड़ी थी। इस तरह के आदेश तब दिए जाते हैं जब प्रेमी-प्रेमिका साथ रहने का फैसला करते हैं और कोर्ट इस बात को सुनिश्चित करने के लिए शादी का आदेश दे सकता है कि उनका रिश्ता आपसी सहमति पर आधारित है।