3 ट्रेंड्स जो 2021 में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी सेक्टर को कर सकते हैं प्रभावित: मेघना

नई दिल्ली। 2020 ग्लोबल बिजनेस इकोसिस्टम में टेक्टोनिक शिफ्ट लाया है। यह डिजिटल पर शिफ्ट होने और उसे अपनाने का अग्रदूत बन गया, उन बिजनेस के लिए भी जो शारीरिक तौर पर मौजूदगी पर अत्यधिक निर्भर होते थे। डिजिटल पेमेंट मैनेजमेंट से लेकर डिजिटल ऑर्डर मैनेजमेंट तक, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA) से लेकर 360 डिग्री कैमरों के माध्यम से घरों के ऑनलाइन टूर तक, कई इनोवेटिव और भविष्य की अप्रौच वाले उपाय इस वर्ष में मुख्यधारा बन चुके हैं।

मेघना सूर्यकुमार, सह-संस्थापक और सीईओ, क्रेडिवॉच बताती हैं कि इस क्षेत्र को गति देने के साथ ही यह जानना महत्वपूर्ण है कि फाइनेंशियल सर्विस इंडस्ट्री और फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी यहां से क्या आकार ले सकती हैं। हम यहां लेकर आए हैं फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी क्षेत्र के कुछ टॉप ट्रेंड्स जो 2021 में हावी रहेंगे।

कैश-फ्लो-आधारित लोन इस समय सही हो सकता है। किसी बिजनेस को लोन देना चाहिए या नहीं, यह तय करने के लिए पारंपरिक तरीके बहुत सुस्त है और कई मायनों में सबसे अच्छे भी नहीं हैं। टेक्नोलॉजी में हुए एडवांसमेंट को अपनाने और डेटा की उपलब्धता की वजह से यह तरीके तेजी से अप्रचलित हो रहे हैं। इस प्रकार, अब तक लाखों क्रेडिट देने योग्य उम्मीदवार क्रेडिट नेट से बाहर छूट गए हैं, वहीं लोन ‘क्रेडिटवर्दी’ कंपनियों को दिए गए हैं।

जिन्हें बैंकों ने लोन देने योग्य यानी भरोसेमंद समझा, उन्होंने ही डिफॉल्ट कर दिया है और पिछले एक दशक में इससे एक बड़े एनपीए संकट खड़ा हो गया है। ये डिफॉल्ट इतने आम हैं कि हमने उन्हें नेटफ्लिक्स पर ‘बैड बॉय बिलियनेयर्स ’जैसे शो में भी नाटकीय रूप से देखा है। दूसरी ओर, यह तर्क दिया जाता है कि कर्ज देने के लिए कैश-फ्लो बेस्ड मूल्यांकन किसी कंपनी विशेष के वित्तीय सेहत के साथ अधिक आपसी संबंध प्रदान कर सकता है।

एक इंडस्ट्री या सब-सेग्मेंट का समान विश्लेषण आगे रिस्क इंटेलिजेंस प्रदान कर सकता है। 2021 में आरबीआई का फोकस महामारी के बाद की परिस्थितियों में अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए लिक्विडिटी को अनलॉक करने पर है, और इस वजह से केंद्रीय बैंक अधिक कैश-फ्लो बेस्ड लोन को प्रोत्साहित करने पर विचार कर सकता है और इस संबंध में प्रासंगिक गाइडलाइंस ला सकता है।

अर्ली वार्निंग सिग्नल यानि ईडब्ल्यूएस
2020 तक चले दशक ने आधुनिक बैंकिंग प्रणाली की कई खामियों को सामने लाया। बिजनेस के बढ़ते लोन डिफॉल्ट की वजह से बने एनपीए संकट को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने सिफारिश की है कि ऐसी घटनाओं को कम करने के लिए सभी उधार देने वाले संस्थान टेक्नोलॉजी की ताकत का लाभ उठाएं। शाखा स्तरों पर लोन डिस्बर्समेंट प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के कारण कुछ बैंक और एनबीएफसी ध्वस्त हो गए।

शीर्ष स्तर के अधिकारियों का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ा, जैसा कि पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमसी बैंक) के साथ हुआ था। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलने वाले एल्गोरिदम और मशीन लर्निंग मॉडल लोन के लाइफ साइकल में शुरुआती चेतावनियों को पहचानने में कामयाब रहे हैं। आरबीआई ने ऐसी टेक्नोलॉजी को अपनाने की अनिवार्यता पर जोर देना शुरू किया है और बैंकर अपनी लोन बुक्स को बढ़ाने का दबाव का सामना कर रहे हैं, ऐसे में अर्ली वार्निंग सिग्नल्स (EWS) सिस्टम लैंडिंग इकोसिस्टम का अभिन्न अंग बनने की संभावना है।

इनवॉइस क्रेडिट का बढ़ना
सिर्फ बैंक और एनबीएफसी ही लोन नहीं देते। जब कोई विक्रेता किसी खरीदार को इनवॉइस पर क्रेडिट देता है तो वह भी लैंडिंग का ही एक प्रकार है। इस तरह का क्रेडिट कमर्शियल एक्टिविटी का लाइफ ब्लड होता है और उसके बिना उसका जीवित रहना मुश्किल है। बिजनेस आम तौर पर एक बैंक से वर्किंग कैपिटल लोन तक पहुंच प्राप्त करके इसके लिए सक्षम बनते हैं। एक बड़े इनवॉइस की अदायगी में महत्वपूर्ण देरी किसी बिजनेस पर परिणाम डाल सकती है।

इसके लिए कर्जों के उचित प्रबंधन की आवश्यकता होती है और इसकी वजह से वर्किंग कैपिटल खराब ग्राहकों के पास लॉक हो जाती है। फिर भी, इस मोर्चे पर बिजनेस बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकते क्योंकि लगभग हर खरीदार एक इनवॉइस पर 30 से 60 दिनों के क्रेडिट की उम्मीद करता है। इसने कंपनियों को ‘ज्ञात’ संस्थाओं के साथ कारोबार करने को प्रेरित किया है। हालांकि, यहां तक कि उन ज्ञात संस्थाओं में से कुछ आर्थिक रूप से लड़खड़ा जाती हैं, तब सब एक जैसी ही स्थिति में आ जाती हैं।

हालांकि, इनवॉइस क्रेडिट, जिसे सप्लाई चेन फाइनेंसिंग के रूप में भी जाना जाता है, को नया जीवन मिलता दिख रहा है। बिजनेस इनवॉइस क्रेडिट लेने या देने में आत्मविश्वास हासिल करने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठा रहे हैं। डेटा का उपयोग करते हुए हमें कई विकल्प मिल गए हैं। जीएसटी, ईपीएफओ, अदालती मामले, ट्रेड और ब्लैकलिस्ट होने से जुड़ी जानकारियों से पता चल जाता है कि बिजनेस की फाइनेंशियल सेहत क्या है।

जब यह डेटा एआई और एमएल मॉडल के साथ सतह लेता है तो यह बिजनेस पार्टनर की विश्वसनीयता निर्धारित करने में मदद करता है। इसी वजह से अधिक व्यवसाय अब व्यापार करते समय इस तरह के अपारंपरिक अप्रौच का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं, उन बिजनेस पार्टनर्स के साथ व्यवहार के दौरान भी, जिन्हें वे वर्षों से जानते हैं।

First Published on: April 29, 2021 4:09 PM
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