नई दिल्ली। देश में इन दिनों पेट्रोल डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। 3 अक्टूबर को पेट्रोल के दाम 25 पैसे लीटर और बढ़े, डीजल 30 पैसे महंगा होने के कारण दिल्ली में पेट्रोल 102.39 रुपये प्रति लीटर के अपने सबसे उच्चस्तर पर पहुंच गया है। वहीं मुंबई में यह 108.43 रुपये प्रति लीटर है। बात डीजल के दामों की करें तो, दिल्ली में 90.77 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में डीजल 98.48 रुपये प्रति लीटर की नया रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है।
जिसे लेकर विपक्ष सरकार पर जमकर निशाना साध रहा है। सरकार का तर्क है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ गई है, जिसके चलते भारतीय बाजार में पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ गए हैं। हालांकि दुनिया के कई देशों की तुलना में भारत में पेट्रोल डीजल के दामों में भारी उछाल आया है, जिसका प्रमुख कारण क्या आइए सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं।
आखिर पेट्रोल- डीजल के दाम लगातार क्यों बढ़ रहे है?
भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोतरी की एक बड़ी वजह इस पर लगने वाली सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और विभिन्न राज्यों के टैक्स हैं। पीटीआई की खबर के मुताबिक भारत सरकार के अधिकारियों के हवाले से एंजेसी को बताया गया है कि भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 85 फीसदी और प्राकृतिक गैस की जरूरत का करीब आधा आयात करता है। जहां आयातित कच्चे तेल को पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में बदल दिया जाता है, गैस का उपयोग वाहनों में सीएनजी और कारखानों में ईंधन के रूप में किया जाता है।
मूल्य वृद्धि से जुड़े फैसले में शामिल एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं, जिससे भारत जैसे प्रमुख तेल आयातकों को कोई राहत नहीं मिली है। (अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क) ब्रेंट क्रूड वायदा आज 79 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। एक महीने पहले यह 72 डॉलर से कम था।”
इस उछाल की वजह से तेल कंपनियों के मार्जिन पर असर पड़ रहा है और और वे पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में उपभोक्ताओं पर इसका बोझ डालने पर मजबूर हैं। अधिकारी ने कहा, “जुलाई और अगस्त के दौरान अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने के साथ, तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने 18 जुलाई से 23 सितंबर तक कोई मूल्य वृद्धि नहीं की थी।
इसके उलट पेट्रोल पर 0.65 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 1.25 रुपये की कुल कमी हुई थी।” उन्होंने कहा, “हालांकि, अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि से कोई राहत नहीं मिलने के कारण तेल विपणन कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के खुदरा बिक्री मूल्य में क्रमश: 28 सितंबर और 24 सितंबर से बढ़ोतरी शुरू कर दी।”
जहां सोमवार को कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया, वहीं 24 सितंबर से डीजल के मामले में कीमतों में 2.15 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। एक हफ्ते में पेट्रोल के दाम में 1.25 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। एक दूसरे अधिकारी ने कहा, “जब तक अंतरराष्ट्रीय कीमतों में नरमी नहीं आती, तेल कंपनियों के पास उपभोक्ताओं पर वृद्घि का बोझ डालने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।”
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के मुताबिक, पिछले साल ही सरकार ने सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और राज्यों ने अपने- अपने टैक्स में भी बढ़ोतरी की है। जिसमें केन्द्र ने सेंट्रल एक्साइज में पेट्रोल पर 13 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 16 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। यही वजह है कि इस वक्त देश में पेट्रोल डीजल की कीमतें काफी ज्यादा बढ़ गई हैं।
रिफाइनरी से डीलर तक आने में पेट्रोल की कीमत के गणित को समझिए
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की वेबसाइट के 16 जुलाई, 2021 के आकड़े के अनुसार रिफाइनरी से डीलर तक आने में पेट्रोल की कीमत दिल्ली में करीब 41 रुपए प्रति लीटर पड़ रही है। इसके बाद ग्राहकों को जो पेट्रोल बेचा जाता है उसमें केन्द्र की एक्साइज ड्यूटी 32.90 रुपए प्रति लीटर और राज्यों के टैक्स के करीब 23.43 रुपए प्रति लीटर समेत कुछ और टैक्स भी शामिल होते हैं।
इस तरह ग्राहक को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल करीब 101.54 रुपए पड़ रही है। जिन राज्यों में पेट्रोलियम पर टैक्स ज्यादा है, वहां यह कीमत और भी ज्यादा हो गई है। इस साल मार्च में केंद्र सरकार के लोकसभा दिए गए एक सवाल के जवाब में बताया कि साल 2014 में पेट्रोल पर 9.48 रुपये प्रति लीटर एक्साइज़ ड्यूटी लगती थी, जो अब बढ़ कर 32.90 रुपये प्रति लीटर हो गई है।
सरकार मजबूरी क्या हैं?
सरकार के राजस्व के बहुत बड़ा हिस्सा पेट्रोल डीजल की बिक्री पर निर्भर है। बीते साल कोरोना महामारी के चलते सभी आर्थिक गतिविधियां बंद रहीं, जिसके चलते सरकार के राजस्व में भारी कमी आई है। इससे सरकार का राजकोषीय घाटा भी काफी बढ़ गया है। शायद यही वजह है कि भारी विरोध के बावजूद सरकार ने पेट्रोल- डीजल पर लगने वाले टैक्स में कटौती का अभी तक कोई फैसला नहीं किया है।
अन्य देशों में कितना लगता है टैक्स?
दुनिया के अन्य देशों की बात करें तो, भारत में अभी पेट्रोलियम पर करीब 60 प्रतिशत टैक्स लगता है। इसी तरह जर्मनी और इटली आदि देशों में भी पेट्रोलियम पर टैक्स करीब 65 प्रतिशत है। हालांकि जापान में यह दर 45 प्रतिशत है और अमेरिका में तो यह सिर्फ 20 प्रतिशत ही है।