ईरान-इजरायल के बीच जंग की वजह से मिडिल ईस्ट में भारी तनाव का सीधा असर वैश्विक बाजार पर पड़ रहा है। अमेरिका की तरफ से ईरान के तीन महत्वपूर्ण परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले ने इस पूरे संकट को और गहरा दिया है। ऐसी आशंका है कि अब जंग और लंबा खिंच सकती है। इस युद्ध ने ग्लोबल मार्केट को हिलाकर रख दिया है। ईरान की तरफ से कच्चे तेल के प्रमुख परिवहन मार्ग होर्मुज जलडमरुमध्य को बंद करने की धमकी से क्रूड ऑयल के भाव सातवें आसमान पर बढ़ने की आशंका बढ़ गई है।
क्रूड ऑयल की कीमतों में पिछले दिनों जो नरमी देखी जा रही थी, वो सारे रिकॉर्ड को तोड़ रही है। कच्चा तेल अब पांच महीने के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचकर 80 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। एक्सपर्ट का मानना हैकि ईरान जवाब एक्शन के तौर पर जो कदम उठाएगा उसमें एक होर्मुज जलडमरुमध्य को बंद करना भी है। अगर ऐसा होता है तो इससे दुनियाभर में कच्चे तेल की कीमत बढ़ेगी। इससे भारत पर अगर असर की बात करें तो न सिर्फ व्यापार घाटा बढ़ जाएगा बल्कि महंगाई का खतरा भी देश में बढ़ेगा।
होर्मुज जलडमरुमध्य से वैश्विक तेल का करीब 20 प्रतिशत इसी तरह मार्ग से परिवहन होता है। सिर्फ हफ्ते भर में ही तेल की कीमतों में 11 प्रतिशत की उछाल देखने को मिला है। ओपेक प्लस का ईरान तीसरा सबसे बड़ा ऑयल प्रोड्यूसर देश है। दुनियाभर में जितना तेल उत्पादन होता है, उसका करीब एक तिहाई हिस्से पर इसकी हिस्सेदारी है। ऐसे में गोल्मैन सैक्स ने ये आशंका जाहिर की है कि अगर होर्मुन का ये मार्ग बंद हुआ तो 100 डॉलर प्रति बैरल तक क्रूड ऑयल की कीमत पहुंच सकती है।
भारत की बात करें ये अपनी जरूरतों का करीब नब्बे फीसदी हिस्सा आयात करता है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयात देश है और रोजाना 55 लाख बैरल तेल में से करीब 15 से 20 लाख तेल इसी होर्मुज जलडमरुमध्य के रास्ते भारत आता है। ऐसे में इसे बंद करने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंच सकती है। हालांकि, पिछले दिनों पेट्रोलिय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जरूर ये आश्वासन देते हुए कहा था कि स्थिति की समीक्षा की जा रही है और फ्यूल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार की ओर से हरसंभव कदम इस बारे में उठाया जाएगा।