खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी ने थामी शेयर बाजार में गिरावट

कोविड काल के बाद से देश में खुदरा निवेशकों की संख्या बहुत बढ़ी है और पिछली कुछ तिमाहियों में इसमें और तेजी दर्ज की गई है। कारोबारी विश्लेषकों का कहना है कि अधिक तरलता की वजह से खुदरा निवेशक बढ़े हैं।

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते सात जून को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के एक कार्यक्रम में कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भारी बिकवाली के दबाव से शेयर बाजार को घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) की बचा रहे हैं। निर्मला सीतारमण ने कहा कि खुदरा निवेशक बाजार के उथलपुथल के बीच स्थिरता बनाए रखे हुए हैं। भारतीय बाजार पर अब एफपीआई की बिकवाली का उतना अधिक असर नहीं हो रहा है, क्योंकि खुदरा निवेशकों का आधार बहुत बढ़ गया है।

कोविड काल के बाद से देश में खुदरा निवेशकों की संख्या बहुत बढ़ी है और पिछली कुछ तिमाहियों में इसमें और तेजी दर्ज की गई है। कारोबारी विश्लेषकों का कहना है कि अधिक तरलता की वजह से खुदरा निवेशक बढ़े हैं। ब्याज दर में बढ़ोतरी उद्योगों और कॉरपोरेट के लिए ऋण की लागत बढ़ा देता है, जिससे आर्थिक विकास की दर प्रभावित होती है।

विदेशी निवेशकों ने गत आठ माह में भारतीय बाजार से 42 अरब डॉलर या 3.26 लाख करोड़ रुपये की पूंजी निकाली है। घरेलू निवेशकों ने समान अवधि में 32 अरब डॉलर यानी ढाई लाख करोड़ रुपये निकाले।

मॉर्गन स्टेनली ने गत अप्रैल में कहा था कि घरेलू निवेशकों की होल्डिंग 2015 से 600 आधार अंक बढ़ी है, जबकि एफपीआई में करीब 150 आधार अंक की गिरावट आई है।

वित्तवर्ष 20 से डीमैट अकांउट की संख्या सात गुना बढ़ी है। वित्तवर्ष 20 में नए डीमैट अकांउट की संख्या औसतन चार लाख प्रतिमाह थी। वित्तवर्ष 21 में यह बढ़कर 12 लाख तथा वित्तवर्ष 22 में यह बढ़कर 29 लाख हो गया।

मार्च 2019 तक कुल डीमैट अकांउट की संख्या 3.6 करोड़ थी, जो गत साल बढ़कर 7.7 करोड़ हो गई। शेयर बाजार तक आम लोगों की पहुंच बनाने में इंटरनेट और मोबाइल आधारित निवेश प्लेटफॉर्म के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। देश में खुदरा निवेशकों के साथ घरेलू संस्थागत निवेशकों की संख्या भी बढ़ी है।

First Published on: June 20, 2022 11:54 AM
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