भारत को स्थानीय उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करने का प्रयास करना चाहिए: यासुहीरो सुजुकी

यामाहा मोटर ग्राहकों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए अपने कुशल कारीगरों का उपयोग करके नये-नये प्रयोग लगातार करता रहता है। जिससे लाखों लोगों के जीवन में समृद्धि एवं खुशी आती रहती है। यामाहा कंपनी का मिशन प्रत्येक दिन बेहतर होने और अपने ग्राहकों को उनके साथ सर्वोत्तम सुविधा प्रदान करने पर केंद्रित है। दुनिया भर में कोरोना महामारी से सभी मैनुफैक्चरिंग यूनिट पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। इस प्रभाव से यामाहा मोटर भी अछूता नहीं है। जिसका अंदाजा आप इस आंकड़े से लगा सकते है कि इस साल अप्रैल-जून तिमाही के लिए, इसके वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में 94 फ़ीसद, तीन-पहिया 92 फ़ीसद और दोपहिया वाहनों में 72 फ़ीसद की गिरावट आई है। महामारी के इस दौर में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन पर भारत यामाहा मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड में विनिर्माण के उप-चेयरमैन यासुहीरो सुजुकी  का दैनिक भास्कर टीम से विशेष बातचीत का प्रमुख अंश :

प्रश्न: औद्योगिक निर्माता, विशेष रूप से यामाहा मोटर्स जैसे प्लांट COVID-19 से प्रभावित हो रहे हैं, वे इस वैश्विक महामारी में किस तरह काम कर रहे हैं?

यासुहीरो सुजुकी: महामारी के कारण, लोग बसों और टैक्सियों जैसे सार्वजनिक परिवहन में सक्रिय रूप से यात्रा नहीं कर रहे हैं। वे ज्यादातर मोटरसाइकिल जैसे निजी वाहनों को पसंद कर रहे हैं। इसलिए मोटरसाइकिल जैसे निजी वाहन की बाजार में मांग अभी भी काफी अधिक है और हम इस मांग को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। इन सब के साथ हम निर्माण इकाई में काम करने वाले सभी निवारक उपायों का पालन कर रहे हैं जैसे मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना और कई शिफ्ट में काम करना।

प्रश्न: जापान अतीत में भी तमाम गंभीर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता रहा है और उससे अच्छे से पार पाकर उभरा है, महामारी के बीच हमारे पाठकों को आप किस सलाह का पालन करने को बताएंगे?

यासुहीरो सुजुकी: जापान में लोग ‘कैसे करें?’ के दृष्टिकोण का अनुसरण करते हैं। जापानी लोग एक सहभागी तरीके से काम करते हैं। वे वास्तव में काम करने और निस्वार्थ रूप से स्थिति से निपटने में विश्वास करते हैं। इसलिए मैं उन्हें यही सलाह दूंगा। आप लोग भी इन सब बातों को अपने जीवन में लाए तभी मौजूदा परिस्थितियों पर काबू पाया जा सकता है। इतनी बड़ी आबादी वाले देश में बेहतर समन्वय एक जरूरी टूल बन सकता है।

प्रश्न: जापान की कार्य संस्कृति से भारतीय कारपोरेट का माहौल कितना अलग है और यहां के कार्यबल के साथ काम करते समय किस प्रकार की चुनौतियों से आपका सामना होता है?

यासुहीरो सुजुकी: हमारे देश जापान की कार्य-संस्कृति भारत से बहुत भिन्न हैं। जापानी कंपनियां अपने व्यवसायों के हर पहलू में बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थित होना पसंद करती हैं। उनके कर्मचारी अपना दायित्व बखूबी समझते है। हमारा ‘वर्क टाइम मैनेजमेंट’ कमाल का होता है जैसे कि अगर फैक्ट्री 8 बजे शुरू होनी है तो पौने 8 बजे सारे कर्मचारी के पास पूरे दिन की कार्य योजना होती है। जबकि यहां 8 बजे लोग आना शुरू करते हैं। यह कई भारतीयों को अत्यधिक दबाव वाली कार्य-संस्कृति लग सकती है। लेकिन जापानी कार्य पद्धति श्रमिकों को व्यवसाय में भागीदार की तरह देखती करती है।

प्रश्न: मौजूदा परिस्थितियों में जब चीन के प्रति विश्व के बहुसंख्यक देशों में एक संशय की स्थिति बनी हुई है। इसका कितना फायदा हिंदुस्तान को मिल सकता है?

यासुहीरो सुजुकी: भारत और चीन के बीच उत्पादन स्तर में बहुत बड़ा अंतर है। लेकिन मैं वास्तव में इस सवाल का जवाब नहीं दे सकता। दोनों राष्ट्रों की अपनी कार्य-नीतियां हैं। मेरी एक सलाह जरूर है कि अगर भारत के संस्थान बेहतर प्रोफेशनल वर्क फोर्स का निर्माण करे तो निश्चित रूप से इसका फायदा मिलेगा।

प्रश्न: क्या आप भारत के किसी स्थानीय उत्पाद का उपयोग करते हैं। भारतीय उत्पादों पर आपकी क्या राय है?

यासुहीरो सुजुकी: हां! भारत की कई चीजें मुझे पसंद हैं और मैं उनका उपयोग करता हूं। जापान के उत्पादों की गुणवत्ता बहुत स्पष्ट है। जबकि यहां के स्थानीय उत्पादों की गुणवत्ता को दुरुस्त करने की बहुत सम्भावनाएं हैं। भारत के वर्क फोर्स को और ज्यादा ऑप्टेमाइज़ होना पड़ेगा। जिसकी पहल स्कूलों को करनी चाहिए जो आगे चल कर विस्वस्तरीय उत्पाद बनाने में सक्षम हो। हम सब अपने प्रवास के दौरान रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में यहां के स्थानीय उत्पादों का इस्तेमाल करते रहते है। कुछ परेशान करते हैं और कुछ नहीं करते।

प्रश्न: भारत में इतने लंबे समय तक काम करने के बाद आप हमारे भारतीय कर्मचारियों को क्या सुझाव देना चाहेंगे?

यासुहीरो सुजुकी: भारतीय कामगारों को अनुशासित काम पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए और नई तकनीकों के अनुसार अपने कौशल को उन्नत और बेहतर बनाना चाहिए। मानसिकता फ्लेक्सिबल होनी चाहिए। पुरानी पीढ़ी की तुलना में नई पीढ़ी अधिक सकारात्मक, अनुशासित, विश्वसनीय और कड़ी मेहनत करने वाली होती है। यामाहा में श्रमिकों को गर्व महसूस होता है कि वे यामाहा के साथ काम कर रहे हैं। उनका जोर समस्याओं का निदान करने पर ज्यादा केंद्रित रहता है। पर उस समस्या की जड़ पर वो जाना ही नहीं चाहते हैं। मेरी ये सलाह जरूर है कि उत्पन्न हुई समस्या के सुलझने के बजाय हमारी कोशिश उसके जड़ तक पहुंचने की होनी चाहिए।

प्रश्न: जापान और भारत कुछ संस्कृति साझा करते हैं। आप भविष्य में जापानी कंपनियों के साथ हमारे व्यापार सहयोग को बढ़ाने के लिए हमें क्या सलाह देंगे?

यासुहीरो सुजुकी: कंपनियों को आकर्षित करने के लिए एक ईमानदार दृष्टिकोण ही एकमात्र कुंजी है। रूढ़िवादी विचारों के बजाय, अधिक खुले और मुक्त विचारों को प्रबल होना चाहिए। कुछ मामलों में, भारतीय लोगों का दिमाग इतना रिजिड होता कि उनको समझा पाना लोहे के चने चबाने जैसा लगता है।

प्रश्न: भारत में जापानी भोजन के बारे में आपका क्या कहना चाहते है, यहां उपलब्ध भोजन की गुणवत्ता आपको कैसे लगती है। भारतीय खाने के बारे में आप की क्या राय है?

यासुहीरो सुजुकी: भारतीयों के दिमाग में जापानी खाने को लेकर एक मिथक है कि जापानी भोजन पूरी तरह से मांसाहारी है जो सच नहीं है। यहां के जापानी रेस्टोरेंटो में भारतीयों के संख्या बहुत काम है जबकि अन्य देशों में ऐसा नहीं है। जापानी व्यंजन का मोह उन्हें वहां ले आता है। इसलिए मैं कहूंगा कि यहां छोटे समझदार समायोजन की आवश्यकता है। लेकिन कुल मिलाकर भोजन की गुणवत्ता अच्छी है। भारतीय भोजन पूरी तरह से पवित्र है लेकिन जापानी मसाले के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

First Published on: August 21, 2020 4:00 PM
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