महंगाई दर दूसरी तिमाही में ऊंची रह सकती है: आरबीआई


आरबीआई के मौद्रिक नीति बयान 2020-21 में कहा गया है कि कोविड-19 के चलते आपूर्ति की राह में अड़चने बनी हुई हैं, जिससे खानपान और दूसरी वस्तुओं पर मुद्रास्फीति का दबाव है।



मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में महंगाई की दर ऊंची रह सकती है, लेकिन वर्ष की दूसरी छमाही में यह नीचे आ जाएगी। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यहां मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के निष्कर्ष और निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण घरेलू खाद्य महंगाई तेज बनी रहेगी।

आरबीआई के मौद्रिक नीति बयान 2020-21 में कहा गया है कि कोविड-19 के चलते आपूर्ति की राह में अड़चने बनी हुई हैं, जिससे खानपान और दूसरी वस्तुओं पर मुद्रास्फीति का दबाव है।

बयान में कहा गया है, ‘‘वित्तीय बाजारों में अस्थिरता और परिसंपत्तियों की बढ़ती कीमतें भी संभावनाओं के लिए जोखिम पैदा करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, प्रमुख मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में तेज बनी रह सकती है, लेकिन अनुकूल आधार प्रभाव के कारण दूसरी छमाही में इसमें नरमी हो सकती है।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘वित्तीय बाजारों में अस्थिरता और परिसंपत्तियों की बढ़ती कीमतें भी संभावनाओं के लिए जोखिम पैदा करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, प्रमुख मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में तेज बनी रह सकती है, लेकिन अनुकूल आधार प्रभाव के कारण दूसरी छमाही में इसमें नरमी हो सकती है।’’

रिजर्व बैंक की द्विमासिक नीतिगत समीक्षा में प्रमुख रेपो दर को चार प्रतिशत पर यथावत रखते हुए आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि रेपो के बारे में फैसला यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के भीतर बनी रहे। दास ने हालांकि यह नहीं बताया कि मुद्रास्फीति किस दायरे में रहेगी।

आरबीआई ने मध्यम अवधि के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति या खुदरा महंगाई के चार प्रतिशत के करीब रहने का लक्ष्य तय किया है, जो दो प्रतिशत कम या अधिक हो सकती है।

आरबीआई ने मध्यम अवधि के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति या खुदरा महंगाई के चार प्रतिशत के करीब रहने का लक्ष्य तय किया है, जो दो प्रतिशत कम या अधिक हो सकती है।

छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की नीतिगत समीक्षा के अनुसार रबी की जोरदार पैदावार होने पर अनाज की कीमतें कम रह सकती हैं, खासकर अगर खुले बाजार में बिक्री और सार्वजनिक वितरण के तहत खरीद बढ़ जाती है तो ऐसा हो सकता है। हालांकि, खाद्य पदार्थों की महंगाई का जोखिम बना हुआ है।

आरबीआई प्रमुख ने भारत के कृषि क्षेत्र पर उम्मीद व्यक्त करते हुये कहा कि खरीफ की फसल अच्छी रहने से ग्रामीण क्षेत्र में मांग सुधरेगी। दास ने आगे कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों पर भारी करों के कारण पंप पर इनकी कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और इससे व्यापक आधार पर लागत बढ़ने का दबाव बनेगा।

उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर भी आर्थिक कारोबार कमजोर है और पुनरूद्धार के शुरुआती संकेत, अब कोविड-19 महामारी के बढ़ने से कमजोर पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कारोबार में तेजी आने लगी थी, लेकिन कारोना संक्रमण के मामले बढ़ने से मजबूरन कई जगह लॉकडाउन लगाना पड़ा।