केंद्र सरकार ने आरबीआई के गरर्नर शक्तिकांत का कार्यकाल अगले 3 साल के लिए बढ़ा दिया है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने गुरुवार देर रात इस फैसले को मंजूरी दी। शक्तिकांत दास पहले वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव थे। और उन्हें 11 दिसंबर, 2018 को तीन साल की अवधि के लिए सेंट्रल बैंक RBI के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था।
कैसे तय होता RBI गवर्नर का कार्यकाल
भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 8 के अनुसार बोर्ड के सदस्यों को भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। आरबीआई के प्रशासनिक अधिकारी के रूप में निदेशकों के दो सेट शामिल हैं, पहला आधिकारिक निदेशक और दूसरा, गैर-आधिकारिक निदेशक है। आरबीआई अधिनियम के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत किया गया है। आरबीआई गवर्नर की नियुक्ति अभी तक वित्त मंत्री की सलाह पर प्रधानमंत्री द्वारा की जा रही है।
अगर बात आरबीआाई के गवर्नर की सेवा विस्तार की बात की जाए तो, आरबीआई ऐक्ट सरकार को आरबीआई गवर्नर का कार्यकाल तय करने की छूट देता है, लेकिन यह कार्यकाल पांच साल से ज्यादा नहीं हो सकता। हालांकि, सरकार चाहे तो किसी को लगातार दूसरी बार आरबीआई गवर्नर पद पर नियुक्त कर सकती है।
कौन हैं शक्तिकांत दास?
शक्तिकांत दास 1980 बैच के तमिलनाडु काडर के आईएएस अधिकारी हैं. दास दिल्ली विश्वविद्यालय सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में स्नात्कोत्तर हैं। वे अपने 37 वर्ष के लंबे कार्यकाल में केंद्र और राज्य में ज्यादातर आर्थिक एवं वित्त विभागों में ही तैनात रहे।
शक्तिकांत दास को वित्त मंत्रालय में पहली बार 2008 में संयुक्त सचिव के तौर नियुक्त किया गया, जब पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे। इसके बाद संप्रग सरकार में जब प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला तब भी वह इसी मंत्रालय में डटे रहे और पहले संयुक्त सचिव के तौर पर और फिर अतिरिक्त सचिव के रूप में लगातार पांच साल वह बजट बनाने की टीम का हिस्सा रहें।
शक्तिकांत दास को एक शांत स्वभाव के व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। अमूमन वह अपना आपा कभी नहीं खोते हैं और आम सहमति से समाधान निकालने पर ज्यादा ध्यान देते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक में गवर्नर की भूमिका में वह आम सहमति से काम आगे बढ़ा सकते हैं। आपको बता दें कि उर्जित पटेल के इस्तीफा देने के बाद वित्त आयोग के सदस्य शक्तिकांत दास को आरबीआई के 25वें गवर्नर नियुक्त किया था।