नई दिल्ली।भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण के लिए सरकार को 10 साल का खाका तैयार करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि यह रूपरेखा या खाका हितधारकों को बहुत जरूरी अनुमान मुहैया कराएगा।
सुब्बाराव ने आगे कहा कि सार्वजानिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिए बहुत बड़ा दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत नहीं है, लेकिन साथ ही इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में भी नहीं रखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘आदर्श रूप से हमारे पास सभी पीएसबी का निजीकरण करने के लिए शायद 10 साल की समयसीमा में एक खाका या रूपरेखा होनी चाहिए। इससे सभी हितधारक स्थिति का अनुमान लगा सकेंगे।’’
सुब्बाराव ने कहा कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कंपनी का रूप देने के बार में भी सोचना चाहिए ताकि वे समान रिजर्व बैंक विनियमन के दायरे में आ जाएं।
सुब्बाराव के अनुसार, सरकारी बैंकों के निजीकरण से भारतीय अर्थव्यवस्था पर दो तरह से असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, सामाजिक उद्देश्यों को चलाने के दायित्व से मुक्त होकर निजी बैंकों की तरह लाभ को अधिकतम करने का प्रयास करेंगे। इससे बैंकिंग प्रणाली की समग्र दक्षता में सुधार होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, इससे वित्तीय समावेशन और प्राथमिकता क्षेत्र ऋण जैसे सामाजिक उद्देश्य कुछ हद तक प्रभावित हो सकते हैं।’’