एयर इंडिया के लिए टाटा संस शीर्ष बोलीदाता: सूत्र

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अर्थव्यवस्था Updated On :

नई दिल्ली। टाटा संस कर्ज में’ डूबी सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए शीर्ष बोलीदाता के रूप में उभरी है। हालांकि सूत्रों ने बताया कि बोली को अभी तक गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने मंजूरी नहीं दी है।

इस मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि टाटा संस और स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह की वित्तीय बोलियों को कुछ दिन पहले खोला गया और बुधवार को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में विनिवेश संबंधी सचिवों के समूह ने इसकी जांच-परख की।

उन्होंने बताया कि आरक्षित निर्धारित मूल्य के मुकाबले बोलियों का मूल्यांकन किया गया और पाया गया कि टाटा की बोली सबसे ऊंची है। सूत्रों ने कहा कि अब इसे एयर इंडिया के निजीकरण के लिए गठित शाह के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह के सामने रखा जाएगा।

‘एयर इंडिया स्पेसिफिक ऑल्टरनेटिव मैकेनिज्म’ (एआईएसएएम) नामक इस समिति के अन्य सदस्यों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं। वित्त मंत्रालय और टाटा संस ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार किया।

इस बीच, निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने एक ट्वीट में कहा कि सरकार ने अभी तक एयर इंडिया के लिए किसी भी वित्तीय बोली को मंजूरी नहीं दी है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘एयर इंडिया विनिवेश मामले में भारत सरकार द्वारा वित्तीय बोलियों को मंजूरी देने वाली मीडिया की खबरें गलत हैं। सरकार जब भी फैसला लेगी, मीडिया को इसके बारे में बताया जाएगा।’’

बोलियां 15 सितंबर को जमा करने के बाद, बोलीदाताओं की सुरक्षा संबंधी मंजूरी हासिल की गयी। इसके बाद विनिवेश संबंधी सचिवों के मुख्य समूह (सीजीडी) द्वारा उनकी वित्तीय बोलियां खोली गईं।

यदि टाटा संस की बोली स्वीकार कर ली जाती है, तो वह उस राष्ट्रीय एयरलाइन का अधिग्रहण कर लेगा, जिसकी स्थापना उसने ही की थी। जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की थी। उस समय इस विमानन कंपनी को टाटा एयरलाइंस कहा जाता था। उल्लेखनीय है कि सरकार एयर इंडिया में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है। विमानन कंपनी 2007 में घरेलू इकाई इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से घाटे में है।

यह प्रक्रिया हालांकि जल्द पूरी की जानी थी लेकिन कोविड-19 के कारण हिस्सेदारी बिक्री प्रक्रिया में देरी हुई और सरकार ने एयर इंडिया की प्रारंभिक बोलियां जमा करने की समय सीमा पांच बार बढ़ाई। बोली जमा करने की अंतिम तारीख 15 सितंबर थी।

टाटा समूह एयरलाइन को खरीदने के लिए दिसंबर 2020 में रूचि पत्र जमा करने वाली कई इकाइयों में शामिल थी। एयर इंडिया को खरीदने वाले सफल बोलीदाता को घरेलू हवाई अड्डों पर 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग तथा पार्किंग स्लॉट का नियंत्रण दिया जाएगा।

सफल बोली लगाने वाली कंपनी को एयर इंडिया की सस्ती विमानन सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस का भी शत प्रतिशत नियंत्रण मिलेगा और एआईएसएटीएस में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी पर कब्जा होगा। एआईएसएटीएस प्रमुख भारतीय हवाईअड्डों पर कार्गो और जमीनी स्तर की सेवाओं को उपलब्ध कराती है।

सरकार 2017 से ही एयर इंडिया के विनिवेश का प्रयास कर रही है। तब से कई मौके पर प्रयास सफल नहीं हो पाये। इस बार सरकार ने संभावित खरीदार को यह आजादी दी है कि वह एयर इंडिया का कितना कर्ज बोझ अपने ऊपर लेना चाहता है वह फैसला करे।