यामाहा मोटर इंडिया – जिसकी विश्वसनीयता पर देश को भरोसा है


यामाहा की शुरुआत वैसे तो भारत में 1963 में ही गयी थी जब कंपनी ने पर्ल यामाहा मोपेड का उत्पादन देश में शुरू हो गया था लेकिन पूरी तरह से देश में अपनी जड़ें ज़माने में यामाहा को 20 साल और लगे जब यामाहा ने एस्कॉर्ट्स के साथ एक अनुबंधन के तहत देश में फॉर्मल रूप से आयी।



यामाहा मोटर कंपनी की स्थापना 1 जुलाई 1955 को जापान के शिज़ुओका में हुई थी। 65 साल के बाद अब ये विश्वसनीयता का दूसरा नाम बन चुका है। टू-व्हीलर्स की दुनिया में इसका सिक्का चलता है। 1955 में YA1 मोटरसाइकिल के उत्पादन से लेकर फोर स्ट्रोक इंजन की बेहतरीन कारीगरी – यामाहा ने अपने बेहतरीन विश्व स्तर के प्रोडक्टस की वजह से दुनिया मे अपनी साख बना ली है। इंडिया यामाहा मोटर प्राइवेट लिमिटेड की भारत में शुरुआत 1985 में हुई थी और उसके बाद 50-50 संयुक्त उद्यम के तहत एस्कॉर्ट्स ग्रुप के साथ समझौता किया। लेकिन 2001 में यामाहा ने एस्कॉर्ट्स के जब सभी शेयर खरीद लिए तब उसके बाद ये यामाहा मोटर कंपनी जापान की 100 प्रतिशत सब्सिडियरी कंपनी बन गयी। 2008 में यामाहा मोटर कंपनी का मित्सुई एंड सौंपने के साथ अनुबंध हुआ जिसमे वो इंडिया यामाहा मोटर प्राइवेट लिमिटेड में ज्वाइंट इन्वेस्टर बने। इंडिया यामाहा मोटर्स हिंदुस्तान में अपने तीन यूनिट – चेन्नई, फ़रीदाबाद और सूरजपुर में अपने टू-व्हीलर का उत्पादन करती है। यामाहा की विश्वसनीयता की वजह इसका देशव्यापी नेटवर्क है और लगभग 400 डीलर्स देश की जनता को अपने शानदार ग्राहक सेवा में अपना योगदान दे रहे है। भारत में यामाहा की शुरुआत 100 सीसी 2-स्ट्रोक मोटरसाइकिल से हुई थी लेकिन विगत वर्षो में अब ये २-स्ट्रोक और ४-स्ट्रोक के विभिन्न टू-व्हीलर देश की जनता के लिए बनाती है। क्रक्स, अल्बा और ग्लैडिएटर इसके बेहद लोकप्रिय मोटरसाइकिल है।

कंपनी का विज़न 

यामाहा की भारत में शुरुआत एक विज़न के साथ हुई थी। कंपनी का उद्देश्य था – अपने विश्व स्तर के उत्पाद के आधार पर ग्राहकों के बीच अनन्य और विश्वसनीय ब्रांड की स्थापना करना। दूसरे शब्दों में कहे तो जापानी शब्द कांदो में इसका मूल छुपा हुआ है जिसका अर्थ संवेदनशीलता होता है। 

कंपनी का मिशन

यामहा कंपनी का मिशन भी ग्राहकों के हक मे कहा जायेगा। उनका मिशन यही था कि यामाहा उत्पादों के विपणन क्षेत्र में वो एक प्रसिद्ध और विश्वसनीय ब्रांड हो। ग्राहकों की सेवा पर ध्यान केंद्रित रहे और प्रदर्शन, उत्कृष्टता, सक्रिय डिज़ाइन और नवीन प्रौद्योगिकी के माध्यम से अपनी लोगो की जीवन शैली मे योगदान देकर दीर्घकालिक संबंध बनाये। 

कंपनी की शुरुआत 

जब 1953 ने यामाहा मोटर्स के प्रेजिडेंट गेनीची कावाकामी ने – मैं मोटरसाइकिल इंजन का परीक्षण निर्माण करना चाहता हूं – शब्द कहे थे तब यामाहा मोटर का जन्म हुआ था। 1953 में निप्पोन गेक्की में हामाकिता फैक्ट्री बना और उसके बाद उत्पादन शुरू हुआ। इस कंपनी की शुरुआत 274 कर्मचारियों के साथ हुई थी और हर महीने 200 यूनिट का उत्पादन होता था। गेनीची के कार्यकाल में कंपनी ने जबरदस्त उड़ान भरी जिसके फलस्वरूप जापान के अलावा 1980 में इनका नया हेडक्वार्टर साईप्रस, कैलिफ़ोर्निया में बना। तब तक यामाहा दुनिया भर मे अपने बेहतरीन उत्पाद के माध्यम से अपना डंका बजा चुका था। 

भारत मे शुरुआत

80 के दशक में यामाहा मोटर्स ने अपने आर एक्स 100 मोटरसाइकिल केटेगरी से टू-व्हीलर्स की दुनिया में धमाका कर दिया था। इस मोटरसाइकिल की सफलता की वजह से यामाहा एक ऐसा नाम बना गया जिसको लोग घर घर में पहचानने लगे। युवाओं के बीच इसकी जबर्दस्त लोकप्रियता ने इसको देश को सबसे ज्यादा बिकने वाला मोटरसाइकिल बना दिया। आगे चलकर अपने नए मॉडल वैलेंटिनो रोस्सी ने भी यामाहा को और लोकप्रिय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जब 2009 के ऑटो एक्सपो में यामाहा YZF R आर 15 लांच किया तब उसने तहलका मचा दिया। भारत के टू-व्हीलर मार्केट को उसने एक तरह से झकझोर दिया। बहुत ही कम समय में इसने हिन्दुस्तानियो के दिलो में अपनी जगह बना ली अपने मजबूत इंजन और स्लीक डिज़ाइन ने माध्यम से। 

फिलहाल 2300 कर्मचारियों की मदद से यामाहा देश का अग्रणी मोटरसाइकिल कंपनी बना हुआ है. कंपनी के पोर्टफोलियो में फिलहाल Fazer25 (249 cc), FZ25 (249 cc), YZF-R15 Version 2.0 (149.8cc), YZF-R15s (149cc), Fazer-FI (149cc), FZS-FI (149 cc), FZ (153cc), FZ-FI (149 cc), SZ – RR Version 2.0 (149 cc), Saluto (125cc) and Scooters Ray Z (113cc), Alpha (113cc), Fascino(113cc) & Ray ZR(113cc) प्रोडक्ट्स है जो हिंदुस्तानी दिलो पर राज़ कर रहे है। 

पिछले साल ही यामाहा देश में दोपहिया वाहन के निर्माण के क्षेत्र में 10 मिलियन टू-व्हीलर्स का उत्पादन करके मील का पत्थर हासिल किया है। इस उपलब्धि को हासिल करने के पीछे फ़रीदाबाद, चेन्नई और सूरजपुर की तीन विनिर्माण सुविधाओं वाली कंपनियों का योगदान है। इसके पहले भारत मे यामाहा मोटर ने 1999 में पहला मील का पत्थर हासिल किया था जब सूरजपुर यूनिट ने एक मिलियन यूनिट दोपहिया वाहनों का उत्पादन किया था। 2012 में, पांच मिलियन यूनिट उत्पादन एक ही यूनिट पर प्राप्त किया गया था। 2016 में, इंडिया यामाहा मोटर 2012 में अपने पहले स्कूटर मॉडल ‘रे’ के लॉन्च के बाद से भारत में अपने स्कूटर के लिए एक मिलियन उत्पादन मील का पत्थर तक पहुंच गया। 2015 में अगर 4.5 लाख यूनिट का उत्पादन हुआ तो वही ये आंकडा 2019 में मोतोफुमी शितारा के नेतृत्व में यूनिट की क्षमता रिकार्ड 9 लाख तक पहुंच गई। 
देश में यामाहा की यात्रा इन सभी वर्षों में काफी रोमांचक रही है और अपने शानदार प्रोडक्टस की वजह से देश भर के ग्राहकों की ओर से कंपनी को अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली है। कंपनी की यह ऐतिहासिक उपलब्धि कंपनी की बढ़ती लोकप्रियता और उनके विश्व स्तर उत्पादों की मांग का प्रमाण है।