चुनाव से पहले बंगाल में बढ़ती सियासी हिंसा…


पश्चिम बंगाल में इन दिनों ऐसा एक भी दिन नहीं गुजरता जब ये सुनने में न आया हो कि अमुक जगह पर एक राजनीतिक पार्टी के नेता या कार्यकर्ता पर हमला हुआ या फलां पार्टी के दफ्तर पर बम फेंका गया। ये वहां अब रोज मर्रा की बात हो गई है।


Ritesh Mishra Ritesh Mishra
बंगाल चुनाव-2021 Updated On :

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गईं हैं। सभी दल चुनाव के मद्देनजर अपनी सारी ताकत लगा रहे हैं। इन सभी के बीच एक बात बहुत ही सुर्ख़ियों में है ‘बंगाल में हिंसा’। बंगाल में बढ़ रही हिंसा की घटनाएं स्वाभाविक हैं या फिर सियासी, इसको लेकर भी कई मतभेद हैं। चुनाव से पहले आजकल पश्चिम बंगाल में हो रहा है, उस पर देश के लोगों की निगाहें तिकी हुईं हैं।

पश्चिम बंगाल में इन दिनों ऐसा एक भी दिन नहीं गुजरता जब ये सुनने में न आया हो कि अमुक जगह पर एक राजनीतिक पार्टी के नेता या कार्यकर्ता पर हमला हुआ या फलां पार्टी के दफ्तर पर बम फेंका गया। ये वहां अब रोज मर्रा की बात हो गई है। शायद लोगों को इसकी आदत भी पड़ चुकी है और कमोवेश इसे वे स्वीकार भी कर चुके हैं।

जब कभी बीजेपी के नेता पर हमला होता है तो इसका आरोप टीएमसी पर लगता है और यही हाल टीएमसी का भी है। दोनों पार्टी के कार्यकर्ता आपस में भिड़े तो फिर शुरू होता है बयानबाजी का दौर। पिछले साल 13 जुलाई 2020 को उत्तर दिनाजपुर ज़िले में हेमताबाद क्षेत्र के विधायक देवेंद्र नाथ रॉय की लाश बीच बाज़ार में फंदे से लटकी मिली थी। सीपीएम के टिकट पर चुने गए रॉय पाला बदल बीजेपी में चले गए थे। बीजेपी आरोप लगाती है कि तृणमूल कांग्रेस ने उनकी हत्या की, तृणमूल इसे आत्महत्या का मामला बताती है।

यहां ये भी बता दें कि 4 अक्तूबर 2020 को कोलकाता के पास उत्तर 24 परगना ज़िले के टीटागढ़ शहर में बीजेपी के एक स्थानीय युवा नेता मनीष शुक्ला को सरेआम गोलियों से छलनी कर दिया गया था तो 9 फ़रवरी 2019 को नदिया ज़िले की कृष्णागंज सीट से तृणमूल कांग्रेस के विधायक सत्यजीत बिस्वास पर सरस्वती पूजा के एक कार्यक्रम में दिन-दहाड़े गोलियां चलाई गईं थीं। घटनाओं के बाद टीएमसी और बीजेपी एक दूसरे पर आरोप लगाती है।

पिछले साल दिसम्बर में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पश्चिम बंगाल गए तो उनके और पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के काफिले पर हमला कर दिया गया था। इसके बाद से दोनों पार्टियों के बीच राजनीतिक युद्ध शुरू हो गया। बीजेपी ने इसे गुंडाराज बताया तो टीएमसी ने पलटवार करते हुए इसे बीजेपी की नौटंकी करार दिया।

पश्चिम बंगाल में जिस तरह से हिंसा की घटनाएं बढ़ रही है, ऐसे में वहां शांतिपूर्ण चुनाव कराना चुनाव आयोग के लिए बड़ी चुनौती है। चुनाव से पहले हो रही लगातार हिंसा और शिकायतों को लेकर मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में आयोग की पूरी बेंच चुनाव से पहले राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर कोलकाता पहुंची थी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बंगाल की स्थितियों को लेकर स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं।

अभी कुछ दिन पहले ही भाजपा नेता पर बम और गोलियों से हमला किया गया था। अब बुधवार की देर रात कोलकाता लौटते समय मुर्शिदाबाद के निमतिता स्टेशन के पास सूबे के श्रम राज्यमंत्री जाकिर हुसैन पर बमों से हमला किया गया। उन्हें कोलकाता लाकर एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी स्थिति स्थिर है। उनके पांव- हाथ और शरीर के अन्य हिस्से में जख्म है। इस घटना में मंत्री समेत 22 लोग जख्मी हैं। उनमें से कुछ को जंगीपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।