निर्माता बोनी कपूर और निर्देशक शेखर कपूर अमरीश पूरी से मिलने के लिए ऊटी गए थे जहा पर वो मल्टी स्टारर फिल्म लोहा की शूटिंग कर रहे थे। जब वो अमरीश पूरी से फिल्म मिस्टर इंडिया में काम करने के सिलसिले मे मिले तब तक मिस्टर इंडिया की 60 फीसदी शूटिंग पूरी हो चुकी थी। अपनी जीवनी में अमरीश पुरी ने इस बात का खुलासा नहीं किया है की उनके पहले किसके नाम पर विचार हो रहा था। जब उन्हें फिल्म में विलेन बनाने का ऑफर दिया गया तब वो यही सोच रहे थे की इनको अब मेरी याद आयी। अमरीश पुरी को उस वक़्त यही लगा था की शायद स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म इंडियाना जोंस देख कर उन्होंने उनको साइन करने की सोची होगी।
मोगाम्बो की परिकल्पना शुरू में हिटलर जैसे किरदार के रूप में की गयी थी जो थोड़ा शातिर होने के साथ साथ विलक्षण भी है। वो दुनिया पर शासन करना करना चाहता है लेकिन उसकी राष्ट्रीयता के बारें में किसी को इल्म नहीं है। मोगाम्बो नाम हॉलीवुड में 1953 में रिलीज़ हुई फिल्म मोगाम्बो से प्रेरित था जिसमे हॉलीवुड के मशहूर सुपरस्टार क्लार्क गेबल ने काम किया था। एक राजसी लुक देने के लिए उसके कपड़ो को कुछ वैसा ही फील दिया गया। शुरुआत में मोगाम्बो के लुक में उसके सर पर बाल नहीं थे लेकिन बाद में ये निश्चित किया गया की ब्लॉन्ड लुक की मदद से उसको एक विदेशी जैसा दिखाया जायेगा।
अमरीश पुरी ने मोगाम्बो के किरदार में आर के स्टूडियो में लगभग 20 दिन बिताये थे और इस दरमियान उनको सूरज के दर्शन नहीं हुए थे क्यंकि उनका किरदार पूरा समय अपने डेन के अंदर ही रहता है। शूटिंग ब्रेक के दौरान जब वो अपने सिंहासन पर खाली बैठे थे तब वो अचानक अपनी अंगूठियों से गाहे बगाहे अपने सिंहासन पर आवाज करने लगे और इस चीज़ को शेखर कपूर ने बड़े ही ध्यान से देखा और बाद में तय किया की वो उसे फिल्म का हिस्सा बनाएंगे। शेखर कपूर इस बात को भी लेकर थोड़े शंशय में थे की मोगाम्बो खुश हुआ डायलाग फिल्म में कई बार दोहराया जायेगा हुए और मुमकिन है की जनता इससे बार बार सुनकर बोर हो जाए। इससे निजात पाने के लिए अमरीश पुरी ने एक रास्ता सुझाया और वो ये था की वो उस डायलाग को जितने तरीके हो सकते है उसमे वो बोलने की कोशिश करेंगे।
जब अमरीश पुरी ने शेखर कपूर से फिल्म की शूटिंग के पहले पूछा की उनका एप्रोच मोगांबो के किरदार की तरफ कैसा होगा तब शेखर कपूर ने उनको यही बताया था की वो ये समझे की वो नौ और दस साल के बच्चो के लिए शेक्सपियर पर्फाम कर रहे है और उन बच्चो को शेक्सपियर के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उनको अपने किरदार को सिर्फ काल्पनिक और मनोरंजित बनाना है। फिल्म के सुपरहिट होने के बाद शेखर कपूर एक बार शारजाह में क्रिकेट मैच देख रहे थे। जब एक बैट्समैन ने छक्का जडा तब दर्शक दीर्घा में उनको एक पोस्टर नज़र आया जिसपर मोगाम्बो खुश हुआ लिखा हुआ था। इसके बाद शेखर समझ गए थे की अमरीश पुरी ने इस किरदार को अमर कर दिया है। इस फिल्म के बाद ‘कितने आदमी थे’ को ‘मोगाम्बो खुश हुआ’ के रूप में एक प्रतिद्वंदी मिल गया था।